पिछली दो तिमाहियों से बिक्री में लगातार दबाव झेल रही भेल की जून की तिमाही में बिक्री 34 फीसदी ज्यादा रही। कंपनी की बिक्री सालाना आधार पर 4,329 करोड़ रुपए के स्तर पर पहुंच गई।
19,365 करोड़ की कंपनी भेल की बिक्री जून की तिमाही में 34 फीसदी ज्यादा रही। हालांकि कंपनी का ऑपरेटिंग मार्जिन एक फीसदी कम होकर 8.63 फीसदी के स्तर पर रहा। कंपनी को वेज पर काफी खर्चा करना पड़ा है।
कंपनी की ऑपरेटिंग प्रॉफिट 20 फीसदी बढ़ी और शुदध लाभ में 30 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई तो इसकी मुख्य वजह कंपनी की अन्य माध्यमों से प्राप्त आय का ऊंचा होना रहा। कंपनी के लिए खुशी देने वाली जो बात है कि इस जेनरेटर और टर्बाइन कंपनी के ऑर्डर बुक में जून की इस तिमाही में 28 फीसदी की बढ़त देखी गई।
कंपनी के पास मौजूदा समय में 95,000 करोड़ का बैकलाग है जो कि कंपनी के आगे तीन सालों के अनुमानित राजस्व से 52 फीसदी ज्यादा है। कंपनी ने ध्यान देने वाला जो क्षेत्र है वह है कि कंपनी का लिक्विडेटेड नुकसान पिछले चार सालों में तेजी से बढ़ा है। कंपनी को अब तक इस नुकसान के रुप में 800 करोड़ रुपए गवांने पड़े हैं। जून की तिमाही में पॉवर डिविजन ने कंपनी के राजस्व में सबसे ज्यादा योगदान किया और कंपनी अब 10,000 मेगावॉट की अतिरिक्त क्षमता का भी इस्तेमाल कर सकती है।
इससे कंपनी की कुछ परेशानियों पर विराम लगना चाहिए हालांकि कंपनी की कई योजनाएं नौ से 15 महीनें देरी से चल रही हैं। जबकि कच्चे माल की बढ़ती लागत में नियंत्रण कर लिया है। कंपनी को अब अपनी लागत पर 70 फीसदी कम खर्च करना पड़ रहा है। हालांकि कंपनी का कीमतों पर नियत्रंण कुछ और तिमाहियों तक जारी रहना चाहिए क्योंकि स्टील कीमतों में भविष्य में कोई सुधार होनें की संभावना नजर नहीं आ रही है। कंपनी के आधे ठेकों पर प्राइस वैरियेशन क्लॉज है जबकि आधे के लिए कंपनी कच्चे माल की एक इंवेंटरी बनाने का प्रयास कर रही हैं।
हालांकि कंपनी को विदेशी खिलाड़ियों से भी प्रतियोगिता का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि भेल की ऑर्डर बुक काफी मजबूत है। वित्त्तीय वर्ष 2009 में कंपनी की कुल बिक्री 27,000 करोड़ के करीब होनी चाहिए जबकि कंपनी को 3,400 करोड़ का शुध्द लाभ भी अर्जित करना चाहिए। इससे कंपनी की प्रति शेयर आय में 20 फीसदी की बढ़ोतरी होनी चाहिए।
कंपनी के स्टॉक के मूल्य में जनवरी की ऊंचाई से अब तक 38 फीसदी की गिरावट आई है जबकि सेसेंक्स में 32 फीसदी की गिरावट देखी गई है। मौजूदा बाजार मूल्य 1,590 रुपए पर कंपनी के स्टॉक का कारोबार वित्त्तीय वर्ष 2009 में अनुमानित आय से 22 गुना के स्तर पर हो रहा है। कंपनी को भविष्य में एक आउटपरफार्मर रहना चाहिए।
सिपला-विदेशों में सक्रिय
निर्यात में 50 फीसदी से भी ज्यादा का ग्रोथ होने की वजह से 4,227 करोड़ की सिपला की टॉप लाइन ग्रोथ में करीब 34 फीसदी का सुधार हुआ। इसकी वजह दूसरी तिमाही में लो बेस का बनना और रुपए का कमजोर होना रहा। यह लगातार चौथी तिमाही है जब इस दवा कंपनी ने बेहतर ग्रोथ दर्ज की है।
कंपनी का घरेलू बाजार से प्राप्त होने वाले राजस्व में भी 16 फीसदी की वृध्दि हुई। इसप्रकार कंपनी के ऑपरेटिंग प्रॉफिट में 3.6 फीसदी का सुधार देखा गया। कंपनी को पिछली तिमाही में 75 करोड़ का फॉरेक्स लॉस हुआ था। हालांकि इस फॉरेक्स लॉस की वजह से ऑपरेटिंग प्रॉफिट पर अवश्य दबाव पड़ा और यह सिर्फ 17 फीसदी 140 करोड़ रहा। कंपनी को प्राप्त कुल राजस्व में निर्यात की हिस्सेदारी 1207 करोड़ रुपए रही।
विश्लेषकों को विश्वास है कि कंपनी अपने एक्टिव इंग्रीडिएंट की बिक्री से कंपनियों को अपनी बिक्री को बढ़ाने में मद्द मिलेगी। जिसमें टेवा को की जाने वाली सप्लाई भी शामिल है। चूंकि अमेरिका में सप्लाई के लिए अनुमति मिलने में वक्त लगता है इसलिए कंपनी को इससे लाभ कमानें में मद्द मिलेगी। कंपनी को इससे आगे 25 से 30 फीसदी ग्रोथ अर्जित करने में मद्द मिलेगी। इसके अतिरिक्त कंपनी को अपनी बिक्री में ऊच्च मूल्य वाले उत्पादों के अनुपात को भी बढ़ाने की जरुरत है। कंपनी इनहेलर को भी बाजार में लाने जा रही है।
सिपला जिसने पुर्तगाल, जर्मनी और स्पेन के बाजार में अस्थमा इनहेलर की लांचिंग की है, को अनुमान है कि उसकी बिक्री में इनहेलर का काफी कुछ शेयर होगा। भारतीय कंपनियों में सिपला के पास सबसे बेहतर जेनेरिक पाइपलाइन है। कंपनी ने यूस दवा बाजार में प्रवेश किया है और इसके लिए कंपनी ने दो कंपनियों को अपना भागीदार भी बना लिया है और यह अब इन्ही के जरिए अपने उत्पादों की बिक्री करेगी। कंपनी को पेटेंट के मामले में भी किसी प्रतिरोध का सामना नहीं करना पड़ा है।
कंपनी की योजना अमेरिकी और यूरोपीय बाजारों मे सौ से भी अधिक उत्पाद बेचने की है। कंपनी के प्रबंधकों को विश्वास है कि कंपनी के राजस्व में इस वित्तीय वर्ष में 12 से 15 फीसदी की बढ़ोतरी होगी जबकि कंपनी का शुध्द लाभ 11 से 13 फीसदी के करीब रह सकता है। कंपनी की प्रति शेयर आय के भी 20 फीसदी की रफ्तार से बढ़ने की संभावना है। हालांकि अभी कमजोर बाजार के हालातों में फार्मा सेक्टर का प्रदर्शन कमजोर बना हुआ है। मौजूदा बाजार मूल्य 238 रु पर कंपनी के स्टॉक का कारोबार वित्त्तीय वर्ष 2009 में अनुमानित आय से 21 गुना के स्तर पर हो रहा है।