facebookmetapixel
CAFE-3 Norms पर ऑटो सेक्टर में बवाल, JSW MG Motor और टाटा मोटर्स ने PMO को लिखा पत्रShare Market: चौथे दिन भी बाजार में गिरावट, सेंसेक्स-निफ्टी सपाट बंदSEBI कानूनों में दशकों बाद बड़ा बदलाव: लोकसभा में पेश हुआ सिक्योरिटीज मार्केट्स कोड बिल 2025‘नो PUC नो फ्यूल’ नियम से पहले दिल्ली में अफरा-तफरी, 24 घंटे में 31 हजार से ज्यादा PUC सर्टिफिकेट जारीSBI, PNB, केनरा से लेकर IOB तक ने लोन की दरों में कटौती की: आपके लिए इसका क्या मतलब है?Ola-Uber की बढ़ी टेंशन! दिल्ली में लॉन्च हो रही Bharat Taxi, ₹30 में 4 किमी का सफरExplainer: ओमान के साथ भी मुक्त व्यापार समझौता, अबतक 17 करार; भारत FTA पर क्यों दे रहा है जोर?खत्म नहीं हो रही इंडिगो की समस्या! अब CCI ने शिकायत पर उड़ानों में रुकावट को लेकर शुरू की जांचIndia-Oman FTA: भारत और ओमान के बीच मुक्त व्यापार समझौता, 98% भारतीय निर्यात को ड्यूटी-फ्री पहुंचबिहार में ग्रीन एनर्जी में ₹13,000 करोड़ का बड़ा निवेश, BSPGCL ने ग्रीनको एनर्जीज के साथ किया करार

विश्लेषकों ने कहा, बाजार में चुनौतियां बरकरार

Last Updated- December 12, 2022 | 2:28 AM IST

बाजार विश्लेषक भारतीय इक्विटी के लिए उतार-चढ़ाव की आशंका जता रहे हैं। उनका कहना है कि आगामी लॉकडाउन और अन्य सख्ती के खतरे से वैश्विक आर्थिक रिकवरी की रफ्तार प्रभावित होने की आशंका पैदा हो गई है। इसके अलावा जोखिमपूर्ण परिसंपत्तियों पर भी दबाव बन गया है।
पिछले तीन सत्रों में प्रमुख सूचकांकों में गिरावट आई है, क्योंकि कई देशों में कोविड के मामलों में इजाफा हुआ है जिससे आर्थिक गतिविधियों में व्यवधान को लेकर फिर से चिंता पैदा हुई है। कई एशियाई देशों ने कोरोनावायरस के डेल्टा वैरिएंट को रोकने के लिए कई तरह की सख्ती बरती है। वहीं भारत में टीकाकरण की धीमी रफ्तार ने भी आशंका बढ़ाई है।
स्वतंत्र बाजार विश्लेषक अंबरीश बालिगा ने कहा, ‘विदेश में डेल्टा वैरिएंट बाजार के प्रसार की वजह से बाजार प्रभावित हो रहे हैं। हम इसे लेकर आश्वस्त नहीं हैं कि भारत में डेल्टा वैरिएंट का प्रकोप बढ़ेगा या नहीं, और क्या हम तीसरी लहर भी देख सकते हैं।’
बाजार विश्लेषकों का कहना है कि लगातार सख्ती से जीडीपी वृद्घि अनुमानों में कटौती को बढ़ावा मिल सकता है।
मुद्रास्फीति को लेकर चिंताएं भी बाजारों को अस्थिर बनाए हुए हैं और इसे लेकर चिंता बढ़ गई है कि क्या केंद्रीय बैंक अनुमान से पहले मौद्रिक रियायत वापस लेने के लिए बाध्य होंगे।
तथ्य यह है कि कोविड से संबंधित चिंताएं ऐसे समय में फिर से बढ़ रही हैं जब शेयर ऊंचे मूल्यांकन पर कारोबार कर रहे हैं। यह स्थिति चिंताजनक है। भारत में घरेलू रुझान भी अब तक ज्यादा उत्साहजनक नहीं हैं। कमजोर मॉनसून और वित्त वर्ष 2022 की पहली तिमाही के कॉरपोरेट नतीजों से भारतीय इक्विटी के लिए चिंता गहरा गई है।
बालिगा ने कहा, ‘इस समय, आय की स्थिति भी सहायक नहीं है। पिछली तीन तिमाहियों के दौरान शानदार आय सीजन के बाद, हरेक विश्लेषक ने अपनी उम्मीदें बढ़ा दी थीं। लेकिन दूसरी लहर के बाद कई विश्लेषकों ने इन अनुमानों में कमी नहीं की। मौजूदा कमजोर आय दूसरी लहर के परिणाम की वजह से दर्ज की गई है।’
विश्लेषकों ने निवेशकों को सतर्कता बरतने की सलाह दी है। निवेशकों को खासकर स्मॉल-कैप और मिड-कैप क्षेत्र पर सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है, क्योंकि ये शेयर भारी गिरावट के जल्द शिकार हो सकते हैं।
बालिगा ने कहा, ‘जिन निवेशकों ने प्रति महीने 20-30 प्रतिशत प्रतिफल कमाया, उन्हें मौजूदा समय में उस त रह का प्रतिफल की संभावना नहीं दिख रही है। अब बाजार में अनिश्चितता देखी जा सकती है। लोग अब कमाई करने पर भी जोर दे रहे हैं और इससे बिकवाली को बढ़ावा मिल सकता है जिसका बाजार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। हम एफपीआई द्वारा भी मुनाफावसूली देख रहे हैं। घरेलू फंड अब खरीदारी कर रहे हैं, लेकिन यह सिलसिला कितने समय तक चलेगा, यह सुनिश्चित नहीं है।’
एनएसडीएल द्वारा मुहैया कराए गए आंकड़े के अनुसार, एफपीआई ने इस महीने 7,217 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। एक्सचेंजों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, मंगलवार को, एफपीआई ने 2,834 करोड़ रुपये की बिकवाली की। 
इक्विनोमिक्स रिसर्च ऐंड एडवायजरी के संस्थापक जी चोकालिंगम ने कहा, ‘एफपीआई बिकवाली पर जोर दे रहे हैं। बाजार समेकित होगा। हालांकि वैश्विक रुझान सकारात्मक हैं, लेकिन एफपीआई बिकवाली निवेशकों को परेशान करेगी। अल्पावधि में, कारोबारी सत्र अस्थिर रह सकते हैं। तेल कीमतों में गिरावट पिछले सप्ताह में सकारात्मक थी। यदि कोविड मामले लगातार बढ़ते हैं तो इससे समस्या बढ़ सकती है।’
बुधवार को अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल 1.24 प्रतिशत पर बंद हुआ। हालांकि यह सोमवार के 1.18 प्रतिशत से ज्यादा था, लेकिन पिछले सप्ताहों में इसमें नरमी बनी हुई है। कम प्रतिफल से यह समझा जाता है कि निवेशक इक्विटी से पैसा निकाल रहे हैं और धारणा सतर्क हो रही है। अमेरिकी डॉलर सूचकांक भी हाल में सुधरा है और यह जून के पहले सप्ताह के 90 से बढ़कर अब 93 के पास पहुंच गया है। डॉलर में मजबूती इक्विटी के लिए अच्छी नहीं है।

First Published - July 22, 2021 | 11:40 PM IST

संबंधित पोस्ट