परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों (एएमसी) का डेट म्युचुअल फंड (एमएफ) के वास्ते 33,000 करोड़ रुपये के बैकस्टॉप फंड (एक तरह की आकस्मिक सुविधा) के लिए योगदान तय लक्ष्य 3,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है।
मामले के जानकार कई अधिकारियों ने कहा कि कॉर्पोरेट डेट मार्केट डेवलपमेंट फंड (सीडीएमडीएफ) के लिए शुरुआती कोष करीब 3,100 करोड़ रुपये हो गया है।
इस कोष को इस साल जुलाई में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) के तौर पर शुरू किया गया था और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने मार्च में इसके नियमन ढांचे को मंजूरी दी थी।
एसबीआई एमएफ में संयुक्त मुख्य कार्याधिकारी और डीएमडी डीपी सिंह ने कहा, ‘कोष तैयार है। इसके लिए एएमसी द्वारा आवश्यक राशि जुटाई गई है और शेष रकम (30,000 करोड़ रुपये) सरकार की ओर से गारंटी के रूप में है, जिसका उपयोग केवल उधारी की स्थिति में किया जाएगा।’
बीते तीन महीनों में ‘वॉटरफॉल तंत्र’ से संबंधित पहलुओं के बारे में उद्योग के भागीदारों को बता दिया गया है और नीति दस्तावेज को अंतिम रूप देकर यूनिट आवंटित कर दी गई हैं। एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘कोष की पुनर्निर्धारण अवधि छह महीने तय की गई है। इसका मतलब है कि हर छह महीने में यह कोष बढ़ता रहेगा क्योंकि इस योजना से जो भी आय होगी उसे इसमें बनाए रखनी होगी।
आय वितरित नहीं की जा सकती है। इसके अलावा हर छह महीने में एएमसी का योगदान केवल प्रबंधन के अधीन आने वाली संपत्तियों के बढ़ने पर आएगा। लेकिन ऋण एयूएम में गिरावट आने पर एमएफ के लिए रिफंड का कोई विकल्प नहीं होगा।’
बैकस्टॉप सुविधा संकट की स्थिति में ऋण योजनाओं में तरलता बरकराररखने के लिए की गई है। तरलता पर दबाव का आकलन करने का अधिकार सेबी के निदेशक मंडल को दिया गया है।
आर्थिक मामलों के विभाग के एक अधिकारी ने कहा, ‘कोष का रुख कई घरेलू आर्थिक और अंतरराष्ट्रीय संकेतकों पर निर्भर करता है। बाजार में तरलता की जरूरत है या नहीं इसके मानदंड सेबी तय करेगा और अंतिम निर्णय नियामक के बोर्ड का होगा।’
तरलता कम होने की स्थिति में पहले शुरुआती कोष का उपयोग किया जाएगा, उसके बाद सरकारी गारंटी वाले कोष का इस्तेमाल किया जाएगा। सीडीएमडीएफ का शुरुआती कोष अल्पावधि वाली सरकारी प्रतिभूतियों, ट्रेजरी बिल, त्रि-पक्षीय रीपो और सात दिन की परिपक्वता वाले कॉर्पोरेट बॉन्ड रीपो जैसे तरल और कम जोखिम वाले ऋण साधनों में निवेश किया जाएगा।
कोटक महिंद्रा एमएफ के प्रबंध निदेशक निलेश शाह ने कहा, ‘बैंकिंग तंत्र में अल्पावधि की तरलता के लिए अंतिम उम्मीद भारतीय रिजर्व बैंक है। यह बैंक जमाकर्ताओं को भरोसा देता है और बैंकिंग तंत्र का सुगम परिचालन सुनिश्चित करता है।
लेकिन बॉन्ड बाजार में अंतिम मोर्चे पर कोई खरीदार नहीं होता है। ऐसे में सीडीएमडीएफ इस अंतर को भरेगा और बॉन्ड बाजार के प्रति निवेशकों का भरोसा बढ़ाएगा।’ इस तरह के कोष की जरूरत फ्रैंकलिन टेंपलटन इंडिया में ऋण कोष संकट के बाद महसूस की गई थी। फ्रैंकलिन ने नकदी की कमी के कारण 2020 में अपनी छह ऋण योजनाओं को बंद करने की घोषणा की थी।