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9 मई की डेडलाइन नजदीक! सभी फंड मैनेजरों के लिए एक जैसी परीक्षा पर AIF की आपत्ति, Sebi से मांगी राहत

मौजूदा एआईएफ योजनाओं के लिए अनुपालन की समय सीमा 9 मई है और यह परीक्षा अब सभी एआईएफ पंजीकरण आवेदनों के लिए एक शर्त है।

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खुशबू तिवारी   
Last Updated- April 20, 2025 | 10:06 PM IST

जैसे जैसे 9 मई की समय-सीमा नजदीक आ रही है, वैक​ल्पिक निवेश फंड (एआईएफ) भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) से अनुरोध कर रहे हैं कि फंड प्रबंधकों के लिए अनिवार्य प्रमाणन में ढील दी जाए। उद्योग सूत्रों ने बताया कि जहां अनुपालन से जुड़ी समय-सीमा बढ़ाने की मांग की जा रही है, वहीं वि​भिन्न एआईएफ श्रे​णियों के आधार पर प्रमाणन परीक्षाओं को अलग करने को लेकर चर्चा चल रही है। 

पिछले साल मई में लागू नियमों के अनुसार एआईएफ की निवेश टीम के कम से कम एक प्रमुख सदस्य को एनआईएसएम (नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सिक्योरिटीज मार्केट्स) सीरीज-79: वैकल्पिक निवेश कोष प्रबंधक प्रमाणन परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी। मौजूदा एआईएफ योजनाओं के लिए अनुपालन की समय सीमा 9 मई है और यह परीक्षा अब सभी एआईएफ पंजीकरण आवेदनों के लिए एक शर्त है।

यह प्रमाणन चुनौती बन गया है, क्योंकि कई फंड प्रबंधकों को संयुक्त परीक्षा उत्तीर्ण करने पास करने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। सूत्रों का मानना है कि हालांकि समय-सीमा बढ़ाने का निर्णय अभी नहीं लिया गया है, लेकिन सेबी और उसकी शै​क्षिक इकाई एनआईएसएम सार्थक चर्चाओं के बाद इसे समायोजित करने  पर विचार कर रही हैं।

एक सूत्र ने कहा, ‘परीक्षा में इस समय सभी श्रेणियों -1, 1 और 3 योजनाओं को एक ही पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है लेकिन फंड मैनेजरों की आम तौर पर विशिष्ट श्रेणियों में विशेषज्ञता होती है। सेबी ने इसे मान्यता दी है और एनआईएसएम को अलग-अलग परीक्षाएं तैयार करने का निर्देश दिया है।’

एनआईएसएम इस उम्मीद के साथ पाठ्यक्रम को संशोधित करने पर फंड मैनेजरों के साथ बातचीत कर रहा बताया कि 9 मई की समय-सीमा से पहले अलग-अलग परीक्षाएं शुरू कर दी जाएंगी। एक्जीमियस वेंचर्स के संस्थापक और प्रबंध भागीदार पर्ल अग्रवाल ने कहा, ‘ज्यादातर निवेश टीमें शायद ही कभी कैटेगरी-3 फंड को संभालती हैं,जिससे परीक्षा के कुछ हिस्से व्यावहारिक होने के बजाय सैद्धांतिक बन जाते हैं। इसके लिए तैयारी करने में फंड प्रबंधकों का कीमती समय भी चला जाता है।’

हालांकि गैर-अनुपालन से जुड़े फंड मैनेजरों की सटीक संख्या अभी भी साफ नहीं है, लेकिन उद्योग संघ के स्तर पर चिंता जताई गई है। खबर लिखे जाने के समय सेबी ने सवालों का जवाब नहीं दिया है। एआईएफ सेक्टर में तेजी से वृद्धि देखी गई है जो अमीर नेटवर्थ वाले लोगों, परिवार कार्यालयों और संस्थागत निवेशकों की रुचि की वजह से आई है। दिसंबर 2024 तक कुल निवेश प्रतिबद्धताएं 13.05 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गईं जिसमें निवेश 5.06 लाख करोड़ रुपये तक हो गया। 

First Published : April 20, 2025 | 10:06 PM IST