इलस्ट्रेशन- बिनय सिन्हा
आदित्य बिड़ला कैपिटल की सहायक इकाई आदित्य बिड़ला ऐसेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनी (एआरसी) भी अनिल अंबानी की रिलायंस पावर के स्वामित्व वाली दिवालिया कंपनी विदर्भ इंडस्ट्रीज पावर (वीआईपीएल) का कर्ज खरीदने की दौड़ में शामिल है।
आदित्य बिड़ला एआरसी के अलावा, रेयर एआरसी, रिलायंस एआरसी एंड ऐसेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनी इंडिया (आर्सिल) ने भी स्विस चैलेंज फॉर्मूले के तहत अपनी बोलियां सौंपी हैं। पिछले राउंड में, सीएफएम एआरसी ने ऋणदाओं को 1,220 करोड़ रुपये की पेशकश की थी, जबकि रिलायंस पावर और वार्डे ने 1,260 करोड़ रुपये की संयुक्त पेशकश की थी।
सोमवार को समाप्त स्विस चैलेंज प्रक्रिया के तहत एआरसी द्वारा सौंपी गईं पेशकश की पुष्टि नहीं की जा सकी है, लेकिन एक अधिकारी ने कहा कि ये बोलियां करीब 2,000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकती हैं। हिंदुजा समूह रिलायंस कैपिटल की सफल बोलीदाता के तौर पर उभरा है।
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आदित्य बिड़ला एआरसी को इस संबंध में भेजे गए ईमेल संदेश का जवाब नहीं मिला है। यह एआरसी एबीसीएल और अमेरिका की वार्डे पार्टनर्स के बीच संयुक्त उपक्रम है।
विदर्भ इंडस्ट्रीज पावर कई बैंकों के कंसोर्टियम को ऋण चुकाने में विफल रही थी, जिनमें ऐक्सिस बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नैशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, केनरा बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र शामिल हैं। ऋणदाताओं द्वारा कंपनी पर बकाया मूल कर्ज 2,569 करोड़ रुपये है और ब्याज के साथ यह बकाया बढ़कर 3,600 करोड़ रुपये पर है।
वीआईपीएल नागपुर में 600 मेगावॉट क्षमता के कोयला-आधारित विद्युत संयंत्र का परिचालन करती है। कंपनी के एक ऋणदाता ने जनवरी 2020 में आईबीसी के प्रावधानों के तहत वीआईपीएल कर्ज समाधान के लिए आवेदन किया था। राष्ट्रीय कंपनी विधि पंचाट (एनसीएलटी) के समक्ष यह मामला अभी भी विचाराधीन है। वीआईपीएल ने कॉरपोरेट दिवालिया समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) से बाहर अपने ऋणदाताओं के साथ कर्ज समाधान पर जोर दिया था, लेकिन उसे इसमें सफलता नहीं मिल सकी।
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लेकिन दिवालिया प्रक्रिया से कंपनी का परिचालन प्रभावित हो गया, क्योंकि बुटीबोरी विद्युत संयंत्र (600 मेगावॉट) की पूरी क्षमता जनवरी 2019 से ही परिचालन में नहीं है। उसके बाद उसे बिजली की बिक्री से होने वाली आय बंद हो गई जिससे कंपनी को कर्ज चुकाने में मुसीबतों का सामना करना पड़ा।