बाजार नियामक सेबी सिंगल स्टॉक ऑप्शंस को एक्सपायरी के एक दिन पहले फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट में तब्दील करने के प्रस्ताव पर काम कर रहा है। यह प्रस्ताव जिंस बाजार में अपनाए जाने वाले मॉडल की तरह है। इसका लक्ष्य फिजिकल सेटलमेंट और मार्जिन के भुगतान से जुड़े जोखिम कम करना है। डेरिवेटिव सेगमेंट में एक्सपायरी के दिन सभी स्टॉक डेरिवेटिव पोजीशन का निपटान अनिवार्य रूप से फिजिकल तरीके से करना होता है।
बाजार के प्रतिभागियों ने कहा कि इससे संभवत: व्यवस्थित जोखिम होता है जब आउट ऑफ द मनी ऑप्शंस एक्सपायरी के दिन अचानक इन द मनी में तब्दील हो जाता है। जब ऐसा होता है तो ऑप्शन रखने वाले को फिजिकल सेटलमेंट करना होता है। अगर पोजीशन काफी ज्यादा बड़ी होती है तब संभावित तौर पर यह जोखिम हो सकता है कि सेटलमेंट के लिए ऑप्शनधारक नकद या प्रतिभूति न ला पाए।
प्रस्ताव के तहत अंतर्निहित शेयरों पर सभी इन द मनी ऑप्शनों को एक्सपायरी से एक दिन पहले उसी अंतर्निहित शेयर के फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट में तब्दील कर दिया जाएगा। लिहाजा, एक्सपायरी के दिन सिर्फ फ्यूचर ट्रेडिंग की इजाजत ही सिंगल स्टॉक में होगी। ऐसे स्टॉक फ्यूचर पोजीशन को एक्सपायरी के दिन बंद किया जा सकता है या फिर डिलिवरी के जरिये सेटल किया जा सकता है। प्रस्ताव को लेकर पुष्टि के लिए सेबी को भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं मिला।
एक्सपायरी के दिन सभी लॉन्ग कॉल या लॉन्ग पुट ऑप्शन अंतर्निहित फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट में क्रमश: लॉन्ग या शॉर्ट पोजीशन बन जाएंगी। इसी तरह सभी शॉर्ट कॉल या शॉर्ट पुट पोजीशन अंतर्निहित फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट में क्रमश: शॉर्ट या लॉन्ग पोजीशन बन जाएंगी।
अभी क्लियरिंग कॉरपोरेशन चरणबद्ध तरीके से या टुकड़ों में डिलिवरी मार्जिन लगाता है और एक्सपायरी के नजदीक आने के साथ ही मार्जिन की जरूरत बढ़ जाती है। नई व्यवस्था से अनिवार्य रूप से मार्जिन के सिस्टम में कोई बदलाव नहीं लाएगा और उतारचढ़ाव नियंत्रण में रहेगा।
मोतीलाल ओसवाल में तकनीकी और डेरिवेटिव शोध प्रमुख चंदन तापडि़या ने कहा कि आखिर तक पोजीशन रखने वाले ट्रेडरों को ज्यादा मार्जिन देना होता है। एक्सपायरी के दिन मार्जिन की दरकार सबसे ज्यादा होती है। ब्रोकर भी अपने क्लाइंटों को एक्सपायरी के पहले अपने पोजीशन की बिकवाली पर जोर देते हैं। एक्सपायरी से पहले ऑप्शंस को फ्यूचर में बदलने के प्रस्ताव से मार्जिन के मसले के समाधान में मदद मिलेगी और उतार चढ़ाव भी कम किया जा सकेगा। एक्सचेंज एक्सपायरी के दिन होने वाले अत्यधिक उतारचढ़ाव को घटाना चाहते हैं।
कमोडिटी सेगमेंट में अगर सौंपने की अवधि शुरू होने से पहले वे उससे नहीं निकलते तो सभी इन द मनी ऑप्शंस को स्ट्राइक प्राइस पर फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट में तब्दील किया जाता है।