केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) में निरीक्षक या पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) के पदों के लिए सीधी भर्ती का प्रावधान होना चाहिए। एक संसदीय समिति ने गुरुवार को राज्यसभा में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में यह सिफारिश की है। कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय विभाग से संबंधित संसदीय स्थायी समिति ने कहा है कि सीबीआई के पास कुल 1,025 मामले लंबित हैं, जिनमें से 66 का पांच साल बाद भी कोई निष्कर्ष नहीं निकला है।
समिति ने कहा है कि यदि जनशक्ति आवश्यकताओं का ध्यान रखा जाए तो लंबित मामलों की संख्या को प्रभावी ढंग से कम किया जा सकता है।
समिति ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में कहा कि सीबीआई में उपनिरीक्षक के पद से ऊपर के उम्मीदवारों की सीधी भर्ती का कोई प्रावधान नहीं है। रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि ‘‘पुलिस निरीक्षक/पुलिस उपाधीक्षक के रैंक में उम्मीदवारों की सीधी भर्ती का प्रावधान होना चाहिए।’’ निरीक्षक, डीएसपी और एएसपी के पद पर पदोन्नति या प्रति नियुक्ति और सीमित विभागीय प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से अलग-अलग अनुपात में भरे जाते हैं।
रिपोर्ट में प्रकाशित आंकड़ों से पता चलता है कि 31 जनवरी, 2022 तक सीबीआई के पास 1,025 मामलों की जांच लंबित थी, जिनमें से 66 मामले पांच साल से अधिक समय से लंबित है। समिति ने यह भी कहा कि, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, अभियोजन की मंजूरी सक्षम प्राधिकारी द्वारा तीन महीने के भीतर दी जानी चाहिए, जो और एक महीने की अवधि के लिए बढ़ाई जा सकती है।