तबले ने अपने सबसे ख्यात, अज़ीज फनकार को खो दिया। विश्वविख्यात तबलावादक जाकिर हुसैन नहीं रहे। अपनी ज़िंदगी में जाकिर हुसैन, तबले के पर्यायवाची बन गए थे। आइए जानते है तबले के उस मशहूर फनकार की ज़िंदगी की कुछ खास बातें-
जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च, 1951 को मायानगरी मुंबई में हुआ था।
जाकिर हुसैन ख्यात तबलावादक अल्लारक्खा के बेटे थे।
मुंबई के माहिम के सेंट माइकल स्कूल और सेंट जेवियर्स कॉलेज में पढ़े
मात्र 11 साल की उम्र में अमेरिका में पहला कॉन्सर्ट किया
1973 में अपना पहला एल्बम ‘लिविंग इन द मैटेरियल वर्ल्ड’ लाए
जाकिर हुसैन को भारत और दुनिया के नामचीन पुरस्कारों से नवाज़ा गया
उन्हें चार बार ग्रेमी अवार्ड से सम्मानित किया गया
1988 में पद्मश्री, 2002 में पद्मभूषण, 2023 में पद्मविभूषण मिला
1990 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार
2006 मप्र सरकार का कालिदास सम्मान
2019 संगीत नाटक अकादमी का अकादमी रत्न पुरस्कार
2022 डॉक्टर ऑफ लॉ की मानद उपाधि (मुंबई यूनिवर्सिटी)
2016 में बराक ओबामा ने White House में invite किया
व्हाइट हाउस के ऑल स्टार ग्लोबल कॉन्सर्ट में हिस्सा लिया
1983 की एक ब्रिटिश फिल्म हीट एंड डस्ट से अभिनय किया
1998 की फिल्म ‘साज’ में शबाना आज़मी के प्रेमी का किरदार
‘मुगल-ए-आज़म’ में सलीम के छोटे भाई के रोल का ऑफर
अमेरिका के सेनफ्रांसिस्को में ली अंतिम सांस