Categories: कानून

प्रवासी भारतीयों को अदालती फैसले से कर में राहत

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 4:40 AM IST

बड़ी संख्या में प्रवासी भारतीय जो विदेशों में कमाई करते हैं वे अपना धन भारत में नॉन रेसिडेंट ऑर्डिनरी अकाउंट (एनआरओ) में रखते हैं।


भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नियमों के अनुसार बिना उसकी अनुमति के एनआरओ अकाउंट से धन भारत से बाहर नहीं भेजा जा सकता है। यही वजह है कि अमूमन ऐसा माना जाता है कि एनआरओ को विदेशी मुद्रा संपत्ति की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है।

एनआरओ अकाउंट पर मिलने वाले ब्याज पर भारत में 30 फीसदी की सामान्य दर से कर वसूला जाएगा। वी रवि नारायणन (300 आईटीआर 62) मामले में हाल ही में अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग (एएआर) के सामने एक विवाद पेश किया गया था। संबंधित प्रवासी भारतीय ने 182 दिन भारत के बाहर बिताए थे और भारतीय बैंक में एआरओ अकाउंट खोलने की इच्छा रखता था।

उसकी दलील थी कि इस अकाउंट पर मिलने वाले ब्याज को आय कर की ‘निवेश आय’ की श्रेणी में रखा जाए। फॉरेन एक्सचेंज एसेट को धारा 115सी के तहत इस तरीके से परिभाषित किया गया है: ‘फॉरेन एक्सचेंज एसेट का आशय उस संपत्ति से है जिसे संपत्ति धारक ने कनवर्टिबल फॉरेन एक्सचेंज के जरिए खरीदा हो।’ इस मामले में एएआर के सामने निम्लिखित सवाल उठाए गए:

कनवर्टिबल फॉरेन एक्सचेंज के जरिए खोले गए एनआरओ अकाउंट को क्या फॉरेन एक्सचेंज एसेट के तौर पर देखा जाए?
क्या इस अकाउंट से अर्जित ब्याज को निवेश आय की श्रेणी में रखते हुए इस पर 20 फीसदी की दर से कर वसूला जाए?
जो व्यक्ति इस ब्याज का भुगतान करने के लिए जिम्मेवार होगा, उसके लिए स्त्रोत पर कर कटौती की दर कितनी निर्धारित की जाए?

इस मामले में विभाग का कहना था कि चूंकि, एनआरओ डिपॉजिट को वापस से उस देश में नहीं भेजा जा सकता जहां इसे कमाया गया है, ऐसे में इस संपत्ति को फॉरेन एक्सचेंज एसेट की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। वहीं दूसरी ओर संपत्ति धारक का तर्क था कि धारा 115सी में कहीं भी नहीं कहा गया है कि अर्जित संपत्ति को वापस से विदेश नहीं भेजा जा सकता।

इस धारा के अनुसार फॉरेन एक्सचेंज एसेट होने की एकमात्र शर्त यही थी कि उस संपत्ति को कनवर्टिबल फॉरेन एक्सचेंज के जरिए अर्जित किया गया हो। अथॉरिटी ने इस प्रवासी भारतीय के तर्क पर सहमति जताते हुए कहा कि, ‘संबंद्ध धारा में पैसे को वापस से उस देश में भेजे जाने को लेकर कोई शर्त नहीं रखी गई है। न तो धारा 115सी और न ही 155ई में इसका उल्लेख किया गया है। ऐसे में एनआरओ डिपॉजिट को फॉरेन एक्सचेंज संपत्ति की श्रेणी में ही रखा जाएगा।’

धारा 115ई में प्रवासी भारतीयों की कमाई पर लगने वाले कर में कुछ छूट का प्रावधान है। इसे निवेश आय के दायरे में रखते हुए इस पर 20 फीसदी की दर से कर वसूला जाता है। निवेश आय का मतलब ही उस आय से होता है जिसे फॉरेन एक्सचेंज एसेट के जरिए कमाया गया हो।

ऐसे में अगर एनआरओ अकाउंट को फॉरेन एक्सचेंज एसेट के तौर पर देखा जाता है तो निवेश आय के दायरे में रखते हुए इस पर अर्जित ब्याज पर भी 20 फीसदी की दर से कर वसूला जाना चाहिए। जबकि, ऐसा नहीं होने का स्थिति में इस आय पर 30 फीसदी की सामान्य दर से कर वसूला जाता।

इसे ध्यान में रखते हुए अथॉरिटी ने फैसला सुनाया, ‘एनआरओ डिपॉजिट पर ब्याज से होने वाल कमाई को धारा 115सी की उपधारा (सी) के तहत निवेश आय के दायरे में रखा जाएगा और इस पर धारा 115ई के तहत 20 फीसदी की दर पर कर वसूला जाएगा।’

स्त्रोत पर कर में कटौती के मामले में अथॉरिटी का फैसला था, ‘जो बैंक एनआरओ डिपॉजिट पर अकाउंट धारक को ब्याज दे रहे हैं, वहीं 20 फीसदी की दर पर कर में कटौती करें।’ एएआर की ओर से सुनाए गए इस फैसले से लंबे समय तक प्रवासी भारतीयों को लाभ पहुंचेगा और उन्हें एनआरओ डिपॉजिट पर भारत में कम कर अदा करना पड़ेगा।

First Published : June 9, 2008 | 12:11 AM IST