तीसरी लहर आएगी या नहीं यह हमारे हाथों में है

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 4:21 AM IST

बीएस बातचीत
कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर से भारत को निजात भी नहीं मिली है कि तथाकथित तीसरी लहर आने की आशंका जताई जाने लगी है। ऐसा कहा और सुना जा रहा है कि तीसरी लहर में बच्चों में संक्रमण का खतरा सबसे अधिक रहेगा। जाने-माने विषाणु विज्ञानी और क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लूर के पूर्व प्राध्यापक टी जैकब जॉन से रुचिका चित्रवंशी ने इस महामारी से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर बात की। संपादित अंश:
क्या कोविड-19 महामारी की तीसरी लहर वाकई आएगी और क्या दुनिया के दूसरे देशों में ऐसी कोई लहर आई है?
मुझे नहीं पता कि तीसरी लहर की बात किसने उठाई है। इतना तो जरूर है कि जो लोग दूसरी लहर आने का अंदाजा लगाने में विफल रहे थे वे अब तीसरी लहर की आशंका जता रहे हैं। अगर तथाकथित तीसरी लहर नहीं आई तो कोई ऐसे लोगों से कुछ नहीं पूछेगा लेकिन आई तो ये इतराकर कहेंगे कि हमने तो पहले ही यह बता दिया था। फिलहाल तीसरी लहर आने का अंदेशा जताना तार्किक नहीं लग रहा है। कई देशों में इस महामारी ने कई बार सिर उठाया है लेकिन भारत में भी ऐसा ही होगा यह पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता। पहली लहर में कई देशों ने आक्रामक उपाय किए थे लेकिन भारत में पहली लहर दूसरे देशों से अलग थी। भारत में मार्च और दिसंबर तक  कोविड-19 का असर दिखा था। इस दौरान दूसरे कई देशों में दूसरी और तीसरी लहर आ चुकी थी। ऐसा कहा गया कि कोविड-19 के ब्रिटेन, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका में पाए गए और और बी.1.617 स्वरूप भारत में मौजूद थे लोगों को संक्रमित भी कर रहे थे। अगर इसकी जानकारी होती तो दूसरी लहर आने की आशंका जरूर जताई गई होती। वैज्ञानिक स्तर पर सूचनाओं के अभाव से वैज्ञानिक दूसरी लहर आने का अनुमान नहीं लगा पाए। तीसरी लहर आने की आशंका को लेकर कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन हमें भविष्य में किसी भी स्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए । अभी वायरस कहीं नहीं जाएगा और किसी न किसी दूसरी बीमारी से ग्रसित लोगों के लिए यह अधिक खतरा साबित होगा। एक और लहर आएगी या नहीं यह हमारे हाथों में हैं। हमें किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए।
कहा जा रहा है कि तीसरी लहर आई तो बच्चों को अधिक जोखिम होगा?
बच्चों के लिए जोखिम हमेशा अधिक रहा है। बच्चों को पहले भी कोविड हो रहा था। अब उनकी संख्या बढ़ रही है। अब तीसरी लहर में सबसे अधिक खतरा बच्च्चों को होने का अंदेशा जताया जा रहा है। हालांकि ऐसी आशंका जताने की की कोई ठोस कारण मौजूद नहीं है। पहली लहर और दूसरी लहर में अंतर है। दूसरी लहर में अधिक संख्या में बच्चे और गर्भवती महिलाएं संक्रमण का शिकार हुईं। इसे हम मात्रात्मक या गुणात्मक बदलाव कहेंगे? हमें नहीं पता। दूसरी लहर में जो हुआ तीसरी लहर में ऐसा अधिक होने की आशंक जताना तर्क से परे होगा। तीसरी लहर कमजोर भी हो सकती है। निश्चित तौर पर तो कुछ नहीं कहा जा सकता। हम किसी भी परिस्थिति के लिए तैयार रहें यही सबसे अच्छा विकल्प है।

सरकारी और निजी अस्पताल बच्चों के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं दुरुस्त करने में जुट गए हैं। लोग अपने बच्चों को संक्रमण से सुरक्षित रखने के लिए स्वयं क्या क्या सावधानी बरत सकते हैं?
सबसे पहले तो माता-पिता को स्वयं अपना टीकाकरण कराना चाहिए और बच्चों का टीका आते ही उन्हें भी लगा देना चाहिए। बच्चों को संक्रमण से बचाना जरूरी होगा। हमारे पास यह आंकड़ा नहीं है कि कितने बच्चे संक्रमित हुए थे। क्या स्कूल दोबारा खोले जा सकते हैं? पिछले वर्ष बच्चों को अधिक खतरा नहीं था और कुछ हद तक इसकी एक वजह यह थी कि वायरस तेजी से नहीं फैल रहा था। स्कूल में शिक्षकों एवं कर्मचारियों का टीकाकरण होना जरूरी है। इनएक्टिवेटेड वायरस से तैयार टीके काफी सुरक्षित हैं और बच्चों के लिए इसे इस्तेमाल करने की भी जांच हो रही है। ये सभी काम 2020 में ही पूरे हो जाएंगे।

देश में इस समय टीके की किल्लत है और वयस्कों को भी टीके नसीब नहीं हो रेहे हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए हमारी क्या रणनीति होनी चाहिए?
दुनिया कोविड-19 संक्रमण खत्म करने के बारे में क्यों नहीं सोच सकती? क्या चेचक और पोलियो की तरह हम इस पर नियंत्रण नहीं पा सकते हैं। क्या यह सोचकर काम नहीं कर सकते कि हमें कोविड को खत्म करना है। इसे समाप्त करने के लिए हमें एक लक्ष्य तय करना चाहिए। इसके लिए पूरी दुनिया में टीके की जरूरत होगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) संक्रमण समाप्त करने के लिए एक योजना तैयार कर सकता है। योजना तैयार करने में करने में छह महीने लग जाएंगे और आवश्यक रकम जुटाने में तीन महीने और लगेंगे। तब तक अंदाजा आ जाएगा कि हमें कितने टीके की जरूरत है। इस कार्य में दुनिया में उपलब्ध सभी संसाधनों का इस्तेमाल किया जाना चााहिए। ऐसा नहीं है कि यह एक कोई अनूठा जरिया है बल्कि हमें इसे अधिक सुनियोजित ढंग से करना है। संक्रमण खत्म करने से आशय शत-प्रतिशत लोगों के टीकाकरण से नहीं है बल्कि एक लक्ष्य के साथ लोगों में प्रतिरोधी क्षमता विकसित करना है। इससे पूरी दुनिया को टीकाकरण के अधिक से अधिक फायदे मिल पाएंगे। सभी लोग चाहें तो ऐसा जरूर मुमकिन हो सकता है। डब्ल्यूएचओ को इसमें अहम भूमिका निभानी चाहिए। हम इस पर तो कोई चर्चा नहीं कर रहे हैं लेकिन तीसरी लहर को लेकर एक के बाद एक अनुमान लगाए जा रहे हैं।

First Published : May 28, 2021 | 11:43 PM IST