उत्तर प्रदेश में वस्तु एवं सेवा कर (GST) के साथ ही आबकारी राजस्व में हुए बंपर संग्रह के बाद भी यह लक्ष्य पीछे रह गया है। वित्त वर्ष 2023-24 में जहां पिछले वर्ष के मुकाबले जीएसटी में 10 फीसदी तो आबकारी राजस्व में 20 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गयी है। प्रदेश में पहली बार जीएसटी संग्रह एक लाख करोड़ रूपये के पार गया है।
हालांकि राजस्व वसूली की बेहतर दर से उत्साहित प्रदेश सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए लक्ष्य को बढ़ा दिया है। चालू वित्त वर्ष में प्रदेश को राज्य वस्तु एवं सेवा कर 156981.89 करोड़ रुपये हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है।
आबकारी राजस्व का लक्ष्य वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 58307.56 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया है जो पिछले साल के 45000 करोड़ रुपये से 13000 करोड़ रुपये से भी अधिक है।
प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना के मुताबिक सरकार के मुख्य राजस्व वाले मदों में 18660 करोड़ रुपये की वृद्धि हुयी है और इसमें सबसे बड़ी हिस्सेदारी जीएसटी की है।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश को अब केंद्र से मिलने वाली जीएसटी की क्षतिपूर्ति भी बंद हो गयी है इसके बाद भी इसने अपने दम पर एक लाख करोड़ रुपये के कर संग्रह का आंकड़ा पार किया है।
वित्त वर्ष 2023-24 में यूपी ने 106,271 करोड़ रुपये रुपये वैट व जीएसटी के तहत हासिल किए हैं जबकि वित्त वर्ष 2022-23 में यह 96115 करोड़ रुपये था। इसी तरह वित्त वर्ष 2023-24 में आबकारी राजस्व 45571 करोड़ रुपये रहा है जोकि वित्त वर्ष 2022-23 में 41252 करोड़ रुपये था।
आबकारी राजस्व के बीते कई सालों से बढ़ने को लेकर अधिकारियों ने कहा कि बाहर से राज्यों से तस्करी रोकने, नकली शराब की बिक्री पर रोकथाम से इसमें मदद मिली है। इससे अलावा प्रदेश में शराब की कीमतों को सुसंगत भी बनाया गया है।
प्रदेश में वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान अंग्रेजी व देशी शराब की खपत में इजाफा हुआ है हालांकि बीयर की बिक्री में जरुर कमी दर्ज की गयी है। वित्त वर्ष 2023-24 में अंग्रेजी शराब की खपत में 8.40 फीसदी की बढ़त देखने को मिली है जबकि देशी शराब की बिक्री 5.70 फीसदी बढ़ी है। हालांकि इस दौरान बीयर की बिक्री में मामूली गिरावट देखने को मिली है। प्रदेश में सबसे ज्यादा अंग्रेजी शराब और बीयर की बिक्री मेरठ जोन में तो देशी शराब अगला जोन में हो रही है।