प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को डिजिटल आयुष्मान भारत मिशन की शुरुआत करते हुए कहा कि यह पहल भारत की स्वास्थ्य सुविधाओं में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी, जीवन को बेहतर बनाएगी और लोगों के स्वास्थ्य रिकॉर्ड को डिजिटल रूप से संरक्षित करेगी। उन्होंने एक आभासी संबोधन में कहा कि यह मिशन एक सहज ऑनलाइन मंच तैयार करेगा, जो डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर अंतर क्रियाशीलता को सक्षम करेगा। जैम (जन धन, आधार, मोबाइल) तिकड़ी का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि डिजिटल अवसंरचना ‘राशन से लेकर प्रशासन’ तक सब कुछ तेज और पारदर्शी तरीके से सामान्य भारतीय तक पहुंचा रही है। मोदी ने कहा, ‘दुनिया में कहीं भी इतना बड़ा एकीकृत बुनियादी ढांचा नहीं है।’
प्रधानमंत्री ने कहा कि आयुष्मान भारत-डिजिटल मिशन देश भर के अस्पतालों के डिजिटल स्वास्थ्य समाधानों को एक-दूसरे से जोड़ेगा और अस्पताल की प्रक्रियाओं को सरल बनाएगा। मोदी ने कहा कि प्रत्येक नागरिक एक हेल्थ आईडी प्राप्त कर सकेगा और उनके स्वास्थ्य का लेखा-जोखा डिजिटल रूप से संरक्षित किया जाएगा।
हालांकि विशेषज्ञों ने लोगों के स्वास्थ्य रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण के संबंध में गोपनीयता संबंधी चिंताओं को उठाया है, खास तौर पर डेटा सुरक्षा कानून या डेटा सुरक्षा प्राधिकरण की अनुपस्थिति में। डिजिटल अधिकारों के संगठन ऐक्सेस नाउ ने स्वास्थ्य मंत्रालय को लिखे एक पत्र में कहा है, ‘विशिष्ट पहचानकर्ताओं’ का इस्तेमाल निजता को खतरे में डालता है और ‘मोजेसिंग’ या उपयोगकर्ताओं की पूरी प्रोफाइल बनाना सक्षम करता है, जिसका उपयोग वाणिज्यिक या सरकारी कर्ताओं द्वारा उन्हें लक्ष्य बनाने के लिए किया जा सकता है। इसकी अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।’
मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि यह पहल समाज के गरीब और मध्य वर्ग वर्ग की चिकित्सा संबंधी दिक्कतों को दूर करने में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
उन्होंने स्वीकार किया कि बीमारियां भी परिवारों को गरीबी के दुष्चक्र में धकेलने के प्रमुख कारणों में से एक रही हैं। मोदी ने कहा कि इन परिवारों में महिलाएं सबसे ज्यादा पीडि़त हैं, क्योंकि वे अपने स्वास्थ्य संबंधी मसलों को हमेशा पीछे रखती रही हैं। सरकार के अनुसार आयुष्मान भारत योजना के तहत अब तक दो करोड़ से अधिक नागरिकों ने मुफ्त इलाज की सुविधा का लाभ उठाया है, जिनमें से आधी महिलाएं हैं। आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत 23 सितंबर, 2018 को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा की गई थी। इस योजना के तहत अब तक 23,000 अस्पतालों को सूचीबद्ध किया जा चुका है, जिनमें से 40 प्रतिशत निजी क्षेत्र से हैं। सरकार ने महामारी के बीच राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन भी शुरू किया था। विशिष्ट डिजिटल हेल्थ आईडी इस कार्यक्रम का एक हिस्सा है, जो लोगों के स्वास्थ्य संबंधी डेटा और व्यक्तिगत स्वास्थ्य के डिजिटल रिकॉर्ड पर नियंत्रण की मांग करता है।
निजी क्षेत्र के अस्पतालों ने इस घोषणा को एक ऐतिहासिक क्षण करार दिया है, जो देश में स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के तरीके को बदल देगा। फोर्टिस हेल्थकेयर के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी आशुतोष रघुवंशी ने कहा ‘इस कार्यक्रम के निहितार्थ आज देखे जा रहे आशय की तुलना में कहीं अधिक व्यापक हैं। यह पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक तंत्रिका तंत्र की तरह है, जहां संकेत ऊपर और नीचे प्रवाहित होंगे। यही स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में दक्षता लाएगा।’
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा कि उपयोगकर्ताओं को सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि उन्हें कुछ जांचों को दोहराना नहीं पड़ेगा, क्योंकि डिजिटल प्रणाली में एकीकृत प्रारूप और मानक होंगे। डिजिटल स्वास्थ्य मिशन बीमा प्रदाताओं को सूचना का प्रवाह भी सुनिश्चित करेगा।
उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के संस्थापक और निदेशक शुचिन बजाज ने कहा ‘यह कार्यक्रम बड़ा बदलाव करने वाला होगा और पूरे भारत में लोगों को समय पर तथा झंझट रहित चिकित्सा देखभाल प्रदान करेगा। हमारी सभी स्वास्थ्य सेवाओं में एक डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र लागू करने की इच्छा और क्षमता तथा भौतिक सेवाएं प्रदान करने के अपने सुरक्षित क्षेत्र से बाहर आना ही हमें एकमात्र चुनौती नजर आ रही है।’
कुछ अन्य चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए ऐक्सेस नाउ ने स्वास्थ्य मंत्रालय को हाल ही में लिखे पत्र में सरकार से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि डिजिटल स्वास्थ्य प्रणाली के निर्माण से डिजिटल विभाजन को बढ़ावा न मिले तथा यह प्राथमिक और द्वितीयक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे में सरकारी निवेश को प्रतिस्थापित न करे। इसमें स्वास्थ्य मंत्रालय से यह सुनिश्चित करने के लिए भी कहा गया है कि इस प्रणाली में स्वास्थ्य क्षेत्र का पर्याप्त विनियमन शामिल रहे, किसी पर हेल्थ आईडी या डिजिटल पहुंच का दबाव न हो तथा यह गैर बहिष्कार वाले सिद्धांत पर आधारित हो।