सौर बिजली डेवलपर इस समय अनिश्चित भविष्य से जूझ रहे हैं। सोलर फोटोवोल्टाइक (पीवी) मॉड्यूल की आपूर्ति उनकी राह में व्यवधान बनी हुई है। मांग की तुलना में आपूर्ति कम है और कीमतें आसमान पर हैं। सूत्रों ने कहा कि सरकारी कंपनी एनटीपीसी सहित प्रमुख परियोजना डेवलपरों को सोलर मॉड्यूल खरीदने के अपने टेंडर के अनुरूप पर्याप्त घरेलू आपूर्ति नहीं मिल रही है।
इससे करीब 20 गीगावॉट सौर बिजली क्षमता प्रभावित हुई है, जो पिछले वित्त वर्ष से कतार में है। कुछ परियोजना डेवलपर लागत में बढ़ोतरी पर विचार कर सकते हैं। ऐसे में जिस दर पर उन्होंने बोली लगाई थी, उसकी तुलना में बिजली की दरें बढ़ सकती हैं। एक कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इसमें एनटीपीसी की 200 मेगावॉट की परियोजना भी शामिल है, जिसे 1.99 रुपये प्रति यूनिट पर परियोजना मिली थी।
इस क्षेत्र के विशेषज्ञों का भी कहना है कि इस क्षेत्र की मांग की तुलना में घरेलू मॉड्यूल की आपूर्ति आधी है। वहीं सोलर मॉड्यूल की कीमत में 30 से 40 प्रतिशत वृद्धि हुई है। चीन की तुलना में भारतीय सोलर मॉल्ड्यूल की कीमत सामान्यतया 10 से 15 प्रतिशत अधिक होती है, जो विश्व का बड़ा आपूर्तिकर्ता है। इस क्षेत्र के अधिकारियों ने कहा कि वैश्विक बाजार में सोलर पीवी मॉड्यूल की कीमत 20 से 30 सेंट प्रति किलोवॉट है, जबकि भारतीय मॉड्यूल की लागत करीब 40 सेंट प्रति किलोवॉट है।
परियोजना डेवलपरों का कहना है कि घरेलू सोलर मॉड्यूल की आपूर्ति कम है और घरेलू आपूर्तिकर्ताओ से खरीदना अनिवार्य है। अप्रैल 2021 के बाद आवंटित परियोजनाओं के लिए मोडल्स ऐंड मैन्युफैक्चरर्स की स्वीकृत सूची (एएलएमएम) वाली कंपनी से ही सौर उपकरण खरीदना अनिवार्य है, जिसे नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने तैयार की है। घरेलू सौर विनिर्माण उद्योग को समर्थन के लिए हाल में 58 कंपनियों का एएलएमएम जारी किया गया है, जिनमें सभी स्वदेशी कंपनियां हैं।
जेएमके रिसर्च के मुताबिक भारत के सौर सेल (कंपोनेंट आफ मॉड्यूल) विनिर्माण क्षमता 4 गीगावॉट की है, जबकि मॉड्यूल की क्षमता 18 गीगावॉट है। साथ ही भारतीय मॉड्यूल निर्माता सेल का आयात करते हैं, जिसकी कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई है। साथ ही आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान है।