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रक्षा निर्माण में आगे आए निजी क्षेत्र

Last Updated- December 12, 2022 | 7:57 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की रक्षा विनिर्माण क्षमता को तेज गति से बढ़ाने की प्रतिबद्धता दोहराते हुए सोमवार को कहा कि आजादी के पहले देश में सैकड़ों तोपखाने (ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियां) होते थे जिनसे बड़े पैमाने पर हथियार निर्यात किए जाते थे लेकिन इस व्यवस्था को मजबूत नहीं बनाया गया। प्रधानमंत्री ने रक्षा उपकरणों के डिजाइन एवं विनिर्माण दोनों क्षेत्रों में निजी क्षेत्रों के आगे आने की अपील की।
उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि भारत में प्रतिभा या क्षमता की कमी है । उन्होंने इसी संदर्भ में कहा कि कोरोना काल से पहले भारत वेंटिलेटर नहीं बनाता था लेकिन अब हजारों की संख्या में वेंटिलेटर बन रहे हैं। मोदी ने स्वदेश निर्मित हल्के लड़ाकू विमान तेजस का जिक्र करते हुए कहा कि मौजूदा सरकार ने अपने इंजीनियरों-वैज्ञानिकों और तेजस लड़ाकू विमान की क्षमताओं पर भरोसा किया है और आज तेजस शान से आसमान में उड़ान भर रहा है। कुछ सप्ताह पहले ही तेजस के लिए 48 हजार करोड़ रुपये का ऑर्डर दिया गया है।
रक्षा क्षेत्र में केंद्रीय बजट प्रावधानों को प्रभावी ढंग से लागू करने के विषय पर आयोजित वेबिनार को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता लाने की दिशा में उठाये गए कदमों का जिक्र किया। रक्षा बजट का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इसका एक हिस्सा रक्षा पूंजी बजट के तहत घरेलू खरीद मद में रखा गया है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2021-22 के बजट में रक्षा मंत्रालय के लिये 4.78 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं जो पूंजीगत आवंटन के हिसाब से करीब 19 प्रतिशत वृद्धि है।
मोदी ने कहा, ‘हालात ऐसे हो गए हैं कि छोटे हथियारों के लिये भी दूसरे देशों की ओर देखना पड़ता है। भारत सबसे बड़े रक्षा खरीददारों में शामिल है और यह गर्व का विषय नहीं है।’ उन्होंने कहा, ‘ऐसा भारत जो मंगल ग्रह तक जा सकता है, वह आसानी से आधुनिक हथियारों का निर्माण कर सकता है। लेकिन विदेशों से हथियारों का आयात आसान रास्ता बन गया है।’
मोदी ने कहा कि लेकिन अब भारत हालात को बदलने के लिए कठिन परिश्रम कर रहा है और देश अब अपनी रक्षा विनिर्माण क्षमता को तेज गति से बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, ‘आजादी के पहले हमारे यहां सैकड़ों तोपखाने होते थे। दोनों विश्व युद्धों में भारत से बड़े पैमाने पर हथियार बनाकर भेजे गए थे लेकिन आजादी के बाद अनेक वजहों से इस व्यवस्था को उतना मजबूत नहीं किया गया जितना किया जाना चाहिए था।’
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के पास हथियार एवं सैन्य उपकरण बनाने का सदियों पुराना अनुभव है।
उन्होंने कहा कि 2014 से ही प्रयास रहा है कि पारदर्शिता, पूर्वानुमान और कारोबार के अनुकूल माहौल के साथ इस क्षेत्र में आगे बढ़ा जाए। इस क्षेत्र को लाइसेंस एवं नियमन से मुक्त करने सहित निर्यात प्रोत्साहन, विदेशी निवेश को उदार बनाने जैसे एक के बाद एक कदम उठाए हैं। उन्होंने खरीद प्रक्रिया में एकरूपता को लेकर प्रमुख रक्षा अध्यक्ष का पद सृजित करने का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारत ने रक्षा क्षेत्र से जुड़े ऐसे 100 महत्त्वपूर्ण रक्षा उपकरणों की सूची बनाई है जिन्हें हम अपनी स्थानीय उद्योग की मदद से ही बना सकते हैं।

First Published - February 22, 2021 | 11:26 PM IST

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