नितिन गडकरी से दो चीजों की उम्मीद बड़ी आसानी से की जा सकती है, जिसमें से एक उनकी स्पष्टवादिता और नए दौर के बुनियादी ढांचे से जुड़े नए विचार। बिज़नेस स्टैंडर्ड द्वारा आयोजित इंडिया@75 प्लेटिनम पर्सपेक्टिव्स कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने किसी भी मोर्चे पर निराश नहीं किया।
गडकरी ने ‘अतीत, वर्तमान और भविष्य’ विषय वाली चर्चा में शामिल होते हुए पिछले 75 वर्षों में देश की आर्थिक वृद्धि का जिक्र करते हुए कहा कि आजादी से पहले भारत में काफी पिछड़ापन था, खासतौर पर बुनियादी ढांचे, उद्योग और कृषि के क्षेत्र में, लेकिन अब भारत प्रगति कर रहा है।
उन्होंने कहा, ‘पुराने दिनों में वामपंथी दलों, समाजवादी दलों और स्वतंत्र दलों का भी बोलबाला हुआ करता था। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गरीबी उन्मूलन हमारा मुख्य अभियान है। इसके लिए हमें रोजगार की अधिक संभावनाएं बनाने की जरूरत है और हम पूंजी निवेश और उद्योग के बिना ऐसा नहीं कर सकते। इसके साथ ही हमें अपना निर्यात बढ़ाने और आयात घटाने की जरूरत है।’
मंत्री ने कहा कि बाद की सरकारों ने कृषि, ग्रामीण, आदिवासी और वन संबंधी आर्थिक व्यवस्था की उपेक्षा को दूर करने की कोशिश की है, लेकिन अब समस्या यह है कि इन जनसंख्या वर्गों का पलायन एक ऐसा मुद्दा है जिसका समाधान किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘हमें एक रास्ता खोजना होगा और ग्रामीण तथा कृषि क्षेत्रों में विकास बढ़ाना होगा जिससे कि हम वृद्धि दर को बढ़ा सकें। इसके साथ ही भारत निश्चित रूप से आत्मनिर्भर बन सकता है और हमारी सरकार ऐसा करने की कोशिश कर रही है।’
‘आत्मनिर्भर भारत’ अब केंद्र सरकार का प्रमुख नारा है और गडकरी का मानना है कि इस मोर्चे पर बुनियादी ढांचा क्षेत्र ही अग्रणी होगा। उन्होंने कहा कि एक देश के रूप में भारत खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर है और खाद्य तेल के लिए भी आत्मनिर्भर होने की प्रक्रिया जारी है। उन्होंने कहा, ‘सरकार की सोच उन क्षेत्रों को देखने की है जहां हम आयात कर रहे हैं जैसे कि कच्चा तेल और कोयला। कई क्षेत्रों में हमारी क्षमता के बावजूद हम आयात कर रहे हैं। हमारा लक्ष्य आयातक होने के बजाय निर्यात शुरू करना है।’
वाहन क्षेत्र, विशेष रूप से इलेक्ट्रिक मोबिलिटी ऐसे दो क्षेत्र हैं जो गडकरी के लिए प्राथमिकता हैं। उन्होंने कहा कि उनका सपना वाहन क्षेत्र का दायरा 7.5 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 15 लाख करोड़ रुपये करना है। उन्होंने कहा, ‘यह वह क्षेत्र है जो केंद्र और राज्य सरकारों को अधिकतम राजस्व देता है और देश में अधिकतम रोजगार की संभावनाएं पैदा करता है। आज, सभी प्रतिष्ठित ब्रांडों में से 99 प्रतिशत भारत में मौजूद हैं। ज्यादातर कंपनियां भारत से अपनी कारों का निर्यात कर रही हैं। एक बड़ी उपलब्धि यह है कि हमारे दोपहिया वाहन निर्माता पहले से ही अपने उत्पादन का 50 प्रतिशत निर्यात कर रहे हैं।’
उन्होंने कहा कि एथनॉल, मेथनॉल, ग्रीन हाइड्रोजन जैसे नए ईंधन विकल्पों और इलेक्ट्रिक वाहनों की बदौलत वाहन क्षेत्र 15 लाख करोड़ रुपये की अर्थव्यवस्था बन सकता है। उन्होंने कहा, ‘हमने 5000 इलेक्ट्रिक बसें खरीदी हैं और 50,000 इलेक्ट्रिक बसें खरीदने की योजना है। इससे लागत कम हो सकती है और टिकट की लागत 30 फीसदी तक कम हो सकती है। सभी राज्य परिवहनकर्ताओं को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। हमें सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने की जरूरत है।
गडकरी ने एक बार कहा था, ‘अमेरिका की सड़कें इस वजह से अच्छी नहीं हैं क्योंकि अमेरिकी अमीर हैं। अमेरिका के लोग अमीर हैं क्योंकि उनकी सड़कें अच्छी हैं।’ वह अब भी इस बात पर यकीन करते हैं और ‘सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी)’ की प्रेरणा उन्हें इसी बात से मिलती है ताकि गरीबों और पिछड़े लोगों के कल्याण के लिए अधिकतम बजट की बचत की जा सके।
उन्होंने कहा, ‘जब मैं महाराष्ट्र में मंत्री था तब मुझे मुंबई-पुणे एक्सप्रेस राजमार्ग, मुंबई में वर्ली बांद्रा सी लिंक, और 55 फ्लाईओवर के निर्माण के लिए नियुक्त किया गया था। उस समय फंडिंग एक बड़ी समस्या थी। पहली बार यह फैसला किया गया कि हम उन लोगों से पैसा लेंगे जो भुगतान कर सकते हैं और उन लोगों को मुफ्त सेवाएं देंगे जो इसका वहन नहीं कर सकते। पीपीपी और बीओटी परियोजनाओं के लिए मेरे जोर देने के पीछे प्रेरणा यह है कि मैंने बजट बचाया और उस दौरान मेरे मंत्रालय ने महाराष्ट्र के 14000 गांवों को पक्की सड़कों से जोड़ा।’ इस सवाल के जवाब में कि क्या सड़क विस्तार और कनेक्टिविटी में सुधार में और कुछ किया जा सकता है, गडकरी ने कहा कि मंत्रालय 26 ग्रीन एक्सप्रेस राजमार्ग बनाने की प्रक्रिया में है। उन्होंने कहा, ‘इस साल दिसंबर के अंत तक हम दिल्ली को हरिद्वार, जयपुर और देहरादून से इस तरह जोड़ेंगे कि दो घंटे में यहां की यात्रा पूरी हो सकेगी वहीं, दिल्ली से अमृतसर को चार घंटे, कटरा को छह घंटे, श्रीनगर को आठ घंटे और दिल्ली से मुंबई की यात्रा केवल 12 घंटे में जोड़ेंगे। हम चेन्नई को बेंगलूरु से ऐसे जोड़ रहे हैं कि यात्रा में केवल 2 घंटे लगे।’सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय उन सड़क परियोजनाओं पर भी काम करेगा जिससे मुंबई और पुणे में प्रदूषण कम होगा। उन्होंने कहा, ‘दक्षिण की ओर जाने वाले पूरे उत्तर भारत का ट्रैफिक मुंबई और पुणे जाता है। हम एक राजमार्ग पर काम कर रहे हैं जहां कोई भी दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के माध्यम से दिल्ली से सूरत तक जा सकता है, फिर नासिक, अहमदनगर और सोलापुर से गुजर सकता है। इससे यात्रा में 220 किलोमीटर की बचत भी होगी।’
वित्तीय बदलाव के संदर्भ में गडकरी ने कहा कि जब उन्होंने मंत्रालय में कार्यभार संभाला था तब 3.85 लाख करोड़ रुपये की लागत वाली 406 परियोजनाएं अटकी हुई थीं। उन्होंने कहा, ‘हमने 40,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को समाप्त कर दिया। बाकी के लिए, हमने समस्याएं सुलझाईं और मेरे मंत्रालय ने भारतीय बैंकों को 3 लाख करोड़ रुपये के फंसे कर्ज (एनपीए) से बचाया। मैं अपने अधिकारियों से कहता रहता हूं कि कानून मत तोड़ो, कानून को तोड़ने की अंतिम सीमा तक पहुंचने के बजाय उसमें कुछ बदलाव लाने की कोशिश करो और सकारात्मक रूप से मुद्दों को हल करने की कोशिश करो।’
हालांकि गडकरी के पास साझा करने के लिए कई सफलता वाली कहानियां हैं लेकिन उन्होंने सड़क मंत्री के रूप में अपनी सबसे बड़ी सड़क दुर्घटनाओं की विफलता को स्वीकार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने कहा, ‘सच कहूं तो सड़क दुर्घटना को रोकने के लिए मैंने पिछले सात-आठ वर्षों में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया है, लेकिन सफलता नहीं मिल सकी। मैं यह स्वीकार करने के लिए तैयार हूं कि यह मेरी हार है। हमारे यहां पांच लाख दुर्घटनाएं होती हैं और डेढ़ लाख लोगों की मौत सड़क दुर्घटना में हो जाती है। यह न केवल सड़क की स्थिति के कारण है, बल्कि सड़क इंजीनियरिंग, ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग जैसी समस्याओं की वजह से भी ऐसा होता है।’