facebookmetapixel
90% डिविडेंड + ₹644 करोड़ के नए ऑर्डर: Navratna PSU के शेयरों में तेजी, जानें रिकॉर्ड डेट और अन्य डिटेल्समद्रास HC ने EPFO सर्कुलर रद्द किया, लाखों कर्मचारियों की पेंशन बढ़ने का रास्ता साफFY26 में भारत की GDP 6.5 फीसदी से बढ़ाकर 6.9 फीसदी हो सकती है: FitchIncome Tax Refund: टैक्स रिफंड अटका हुआ है? बैंक अकाउंट वैलिडेशन करना तो नहीं भूल गए! जानें क्या करें2 साल के हाई पर पहुंची बॉन्ड यील्ड, एक्सपर्ट ने बताया- किन बॉन्ड में बन रहा निवेश का मौकाCBIC ने दी चेतावनी, GST के फायदों की अफवाहों में न फंसे व्यापारी…वरना हो सकता है नुकसान‘Bullet’ के दीवानों के लिए खुशखबरी! Royal Enfield ने 350 cc बाइक की कीमतें घटाईUrban Company IPO: ₹1,900 करोड़ जुटाने के लिए खुला आईपीओ, लंबी अवधि के लिए निवेशक करें सब्सक्रिप्शनबर्नस्टीन ने स्टॉक पोर्टफोलियो में किया बड़ा फेरबदल: HDFC Bank समेत 5 नए जोड़े, 6 बड़े स्टॉक बाहरनिर्यातकों से लेकर बॉन्ड ट्रेडर्स तक: RBI पर हस्तक्षेप करने का बढ़ता दबाव

कर्ज टालने से बकाया किस्तों का बढ़ेगा बोझ

Last Updated- December 15, 2022 | 3:45 AM IST

बीएस बातचीत

इंडियन बैंक एसोसिएशन ने भारतीय रिजर्व बैंक से कर्ज के एकमुश्त पुनर्गठन की छूट दिए जाने की मांग की है, जो बैंकरों के विवेकाधीन हो। सोमेश झा से टेलीफोन पर बात करते हुए आईबीए के मुख्य कार्याधिकारी सुनील मेहता ने कर्ज टालने की सुविधा बढ़ाए जाने के नुकसान पर चर्चा की और बताया कि इस समय पर्याप्त सावधानी के साथ बैंकों को कर्ज के पुनर्गठन की सुविधा क्यों दी जानी चाहिए। संपादित अंश…

हम ऐसे दौर से गुजर रहे हैं, जब महामारी और कर्ज टालने की वजह से दबाव के स्तर को लेकर अनिश्चितता है। आपका क्या मानना है?
कर्ज में बढ़ोतरी आर्थिक गतिविधियों से जुड़ा मामला है। आर्थिक गतिविधियां सुस्त (कोविड के पहले के 40-50 प्रतिशत पर) हैं और उसी की तर्ज पर कर्ज का प्रवाह भी है। लेकिन आपातकालीन कर्ज सुविधा से कर्ज में बढ़ोतरी हो रही है। दबाव के सस्तर का किसी को पता नहीं है कि किस्त कितने लंबे समय तक टाली जाएगी और नया नियामकीय ढांचा कैसा होगा। दबाव इस पर निर्भर होगा कि आप उससे कैसे निपटते हैं। आईबीएस ने एकमुश्त समाधान की अनुमति की मांग की है। कुछ क्षेत्रों में दबाव कम हो सकता है। लेकिन बुरा दौर हमेशा के लिए खत्म नहीं होगा। हम अनुमान लगा रहे हैं कि दिसंबर में वैक्सीन आ जाने से स्थिति सामान्य हो जाएगी। कर्ज टालने की सुविधा अगस्त तक के लिए है और अगर इससे सही तरीके से निपटा जाता है तो दबाव कम किया जा सकता है।

क्या हर क्षेत्र में एकमुश्त समाधान से नैतिक संकट नहीं होगा, जैसा पहले हुआ था?
ज्यादातर बैंकों ने कठिन दौर में सीखा है। 2012-13 मेंं बैंकों ने बड़े पैमाने पर पुनर्गठन किया था और कई बार असफल भी हुए थे। बैंकों की बैलेंस शीट प्रभावित हुई और समस्या का समाधान पूंजी डालकर और आईबीसी पेश कर किया गया। कोविड के पहले एनपीए का स्तर घट रहा था। पूंजी पर्याप्तता अनुपात भी मजबूत था। अब हर बैंक बोर्ड से मंजूर की गई नीति लेकर आ सकता है, जिसमेंं वे फैसला कर सकते हैं कि किस क्षेत्र के कर्ज का पुनर्गठन किया जाए। वे जरूरत के मुताबिक फैसला कर सकते हैं।

कर्ज पुनर्गठन को लेकर आप क्या सुझाव देंगे?
हमने सभी क्षेत्रों के लिए पुनर्गठन की सलाह दी है, लेकिन यह कर्ज की किस्त टालने का साधन नहीं हो सकता है, बल्कि सिर्फ पात्र इकाइयों पर लागू होगा।

क्या आप कर्ज की किस्त आगे और टाले जाने के पक्ष में हैं?
किस्त टालना अस्थायी काम है और 6 महीने की बकाया किस्तें जमा हो जाएंगी। इसकी भी एक सीमा है। आप किस्त टालने को जारी नहीं रख सकते अन्यथा यह राशि इतनी बड़ी हो जाएगी कि कम अवधि के हिसाब से इसकी वसूली मुश्किल होगी। छह महीने की किस्त टाले जाने से मौजूदा कर्ज की किस्तों के भुगतान को फिर से निर्धारित किया जा सकता है, लेकिन इसे आगे और टाला जाता है तो इसका प्रबंधन मुश्किल हो जाएगा।

क्या आप कर्ज की किस्त टाले जाने की अवधि खत्म होने के बाद पुनर्गठन और किस्तों के  पुनर्निर्धारण दोनों की सलाह दे रहे हैं?
हां, यह अलग अलग मामलों के आधार पर फैसला हो सकता है। अब किस्त टालने की स्थिति को ही देख लें। सिर्फ 15 प्रतिशत बड़े कॉर्पोरेट्स ने यह विकल्प चुना और 85 प्रतिशत ने इस रास्ते से बचने की कोशिश की। खुदरा क्षेत्र में सिर्फ 20-30 प्रतिशत ने यह विकल्प चुना।  हर क्षेत्र को मिलाकर सिर्फ 30 प्रतिशत खाताधारकों ने यह विकल्प चुना है। यह विकल्प सबके लिए उपलब्ध था, लेकनि सबने इसे अपनाने का फैसला नहीं किया।

First Published - August 6, 2020 | 12:36 AM IST

संबंधित पोस्ट