गोदरेज प्रॉपर्टी, ओबेरॉय रियल्टी जैसे शीर्ष प्रॉपर्टी डेवलपरों के पास अधिग्रहण करने के प्रस्ताव आने तेज हो गए हैं। खासकर दवाब वाले डेवलपर उन्हें वाणिज्यिक संपत्तियों की पेशकश कर रहे हैं। अब तक गोदरेज प्रॉपर्टीज जैसे प्रमुख डेवलपरों को आवासीय परियोजनाओं में ही इस तरह के प्रस्ताव मिल रहे थे।
गोदरेज प्रॉपर्टीज के चेयरमैन पिरोजशा गोदरेज ने कहा, ‘हमें कार्यालय परियोजनाओं के लिए तमाम प्रस्ताव मिल रहे हैं। हम इन अवसरों के इस्तेमाल को लेकर बेहतर स्थिति में हैं। हम इस पर अपनी फंड प्रबंधन इकाई के साथ आगे बढ़ेंगे।’ गोदरेज फंड मैनेजमेंट नाम से गोदरेज समूह की फंड प्रबंधन इकाई है, जो आवासीय व वाणिज्यिक संपत्तियों में निवेश करती है।
गोदरेज फंड मैनेजमेंट ने पिछले साल वाणिज्यिक संपत्ति फंड के लिए 3,200 करोड़ रुपये जुटाए थे और अलियांज रियल एस्टेट के साथ निवेशक के रूप में समझौता किया था।
ओबेरॉय रियल्टी को भी तमाम प्रस्ताव मिल रहे हैं। कंपनी के चेयरमैन विकास ओबेरॉय ने कहा कि अभी हम मूल्यांकन के स्तर पर हैं। अपने मुख्य कार्यक्षेत्र मुंबई के अलावा ओबेरॉय रियल्टी एनसीआर और बेंगलूरु शहरों में आवासीय, कार्यालय व मॉल जैसी संपत्तियों में अपने पोर्टफोलियो बढ़ाना चाहती है। रियल एस्टेट केंद्रित निवेश बैंकिंग फर्म एनारॉक कैपिटल के प्रबंध निदेशक शोभित अग्रवाल ने कहा, ‘अगर शीर्ष डेवलपरों के पास इस तरह के प्रस्ताव आने बढ़ते हैं तो मुझे कोई आश्चर्य नहीं होगा। तमाम डेवलपर दबाव में हैं और उन्हें कारोबार करने व कर्ज के भुगतान के लिए धन की जरूरत है।’
डेवलपरों के पास ही नहीं, फंड प्रबंधकोंं के पास भी वाणिज्यिक संपत्तियों के अधिग्रहण के प्रस्ताव बढ़े हैं।
मुंबई की निसस फाइनैंस वाणिज्यक संपत्तियों के लिए एक पोर्टफोलियो बना रही है और उसके प्रबंध निदेशक अमित गोयनका ने कहा कि अप्रैल के बाद से उसके पास अधिग्रहण के करीब 8 प्रस्ताव आए हैं।
गोयनका ने कहा, ‘किराये को लेकर दबाव है। लीज रेंट डिस्काउंटिंग (एलआरडी) ऋण के लिए फिर से वितत्तपोषण की जररूरत है। इस तरह की कई संपत्तियां अप्रैल और मई के दौरान हमारे पास आईं।’