इस साल बच्चों के कोविड-19 टीकाकरण और बुजुर्गों व फ्रंटलाइन कर्मचारियों को टीके की तीसरी खुराक देने के लिए केंद्र सरकार के पास फिलहाल करीब 25,000 करोड़ रुपये हैं।
वित्त वर्ष 23 में इस मद में महज 5,000 करोड़ रुपये आवंटन के बावजूद यह स्थिति है। यह आवंटन वित्त वर्ष 22 के बजट अनुमान का सातवें हिस्से और संशोधित अनुमान के आठवें हिस्से के बराबर है। बहरहाल सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने संकेत दिए कि बजट के इस्तेमाल के आधार पर कोविड-19 टीकाकरण पर आवंटन वित्त वर्ष 23 के संशोधित अनुमान में बढ़ाया जा सकता है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘बजट आवंटन के इस्तेमाल के मुताबिक कोविड-19 टीकाकरण के लिए आवंटन को संशोधित अनुमान में बढ़ाया जा सकता है। बजट अनुमान के स्तर पर अभी हमारे पास धन मौजूद है।’
कुछ धन का इस्तेमाल जल्द ही मार्च के पहले टीके के ऑर्डर के लिए हो सकता है। उद्योग के सूत्रों ने संकेत दिए कि वे अगले दो महीने में केंद्र से टीके के ऑर्डर की उम्मीद कर रहे हैं।
कोविड-19 के टीके की खरीद और राज्यों को इनके मुफ्त वितरण पर 9 दिसंबर, 2021 तक पर सिर्फ 19,675.46 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए हैं, ऐसे में केंद्र के पास 2021-22 के बजट अनुमान में आवंटित राशि में से 15,000 करोड़ रुपये से ज्यादा अभी बचा हुआ है। वित्त वर्ष 22 के बजट अनुमान में टीकाकरण के लिए करीब 35,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था। इसे संशोधित अनुमान में बढ़ाकर 39,000 करोड़ रुपये कर दिया गया। अगर संशोधित अनुमान के हिसाब से देखें तो स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के पास अभी 20,000 करोड़ रुपये पहले के बचे हुए हैं।
अब तक राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को टीके की 1.65 अरब खुराक मुहैया कराई गई है, जिसमें से अभी 11.5 करोड़ खुराक राज्यों के पास मौजूद है। केंद्र सरकार ने कॉर्बेवैक्स टीके की 30 करोड़ खुराक के लिए बायोलॉजिकल ई को पहले ही 1,500 करोड़ रुपये भुगतान कर दिया है। जायडस कैडिला डीएनए प्लाज्मिड टीकों की आपूर्ति भी बुधवार को शुरू हो गई है।
किशोरों को 3 जनवरी तक 4.6 करोड़ खुराकें दी जा चुकी थीं, जो इस श्रेणी की पात्र आबादी का 63 प्रतिशत है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने पहले ही राज्यों से अनुरोध किया है कि वह इस श्रेणी का टीकाकरण जल्द से जल्द पूरा करे।
स्वास्थ्य सचिव ने बुधवार को राज्यों को पत्र लिखकर उनसे कहा है कि वे किशोरों को दूसरी खुराक समय से देना सुनिश्ति करें, जो 28 दिन के अंतराल पर दिया जाना है। करीब 42 लाख बच्चे, जिन्हें 3 जनवरी तक पहली खुराक लग गई थी, वह 31 जनवरी से दूसरी खुराक दिए जाने के पात्र हो गए हैं।
बहरहाल विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 टीकाकरण के लिए वित्त वर्ष 23 में आवंटन कम करके सरकार धीरे धीरे मुफ्त टीकाकरण कार्यक्रम से अपने हाथ खींच रही है। इंडियन इंस्टीट्यूट आफ पब्लिक हेल्थ के निदेशक दिलीप मावलंकर ने कहा, ’75 प्रतिशत वयस्कों को पहले ही टीके की दो खुराकें लग चुकी हैं, जबकि 95 प्रतिशत लोगों को कम से कम एक खुराक दी जा चुकी है। पात्र आबादी के टीकाकरण का मुख्य काम करीब पूरा किया जा चुका है।’ उनका मानना है कि यह एक संकेत है कि बच्चों का टीकाकरण और नागरिकों को टॉपअप टीका उनकी इच्छा पर निर्भर होगा।
सरकार वरिष्ठ नागरिकों और कोविड की चपेट में आने वाले संभावित लोगों को टीके की तीसरी खुराक दे रही है। साथ ही किशोरों का टीकाकरण भी शुरू हो चुका है और विशेषज्ञों को लगता है कि केंद्र सरकार धीरे धीरे 18 साल की उम्र तक के बच्चों के टीकाकरण कार्यक्रम में 12 से 15 साल के बच्चों को भी शामिल कर लेगी।
भारत में मोटे तौर पर 18 साल से कम उम्र के 40 करोड़ बच्चे हैं और 13.8 करोड़ लोग 60 साल से ज्यादा उम्र के हैं। अनुमान के मुताबिक 2.75 करोड़ बुजुर्ग सह रोगी हैं। भारत के सभी बच्चों के टीकाकरण के लिए करीब 80 करोड़ खुराक की जरूरत होगी, जबकि बुजुर्ग लोगों को अतिरिक्त खुराक देने के लिए 2.7 से 3 करोड़ खुराक की जरूरत होगी।