वायरसरोधी दवा रेमडेसिविर के निर्यात पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि कोविड-19 की इस दवा की कोई कमी नहीं है।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक बलराम भार्गव ने कहा कि फिलहाल निर्यात रोक किए जाने के बाद रेमडेसिविर की कोई कमी नहीं है। भारत में रेमडेसिविर की सात विनिर्माता हैं। किसी अन्य देश में इतनी विनिर्माता नहीं हैं।
पिछले साल गिलियड द्वारा लाइसेंसों में विस्तार किए जाने के बाद वर्तमान में सिप्ला, हेटेरो, जुबिलैंट लाइफ साइंसेज, जाइड्स कैडिला, डॉ. रेड्डीज, माइलन और सिंजेन इसका विनिर्माण किया जा रहा है।
उद्योग की मौजूदा क्षमता करीब 1,75,000 शीशी प्रतिदिन है, जिसमें से एक खासा हिस्सा निर्यात किया जा रहा था । अलबत्ता, रविवार को भारत ने देश के कई हिस्सों में दवाइयों की कमी से निपटने के लिए इस वायरसरोधी दवा रेमडेसिविर और इसके सक्रिय फार्मास्युटिकल अवयवों (एपीआई) के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था।
नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने दवा के न्यायसंगत उपयोग का आह्वान किया है, हालांकि उन्होंने भी इस बात का दावा किया है कि रेमडेसिविर की कोई कमी नहीं है।
पॉल ने मंगलवार को कहा कि रेमडेसिविर का इस्तेमाल केवल अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिए न्यायसंगत रूप से किया जाना चाहिए, न कि घर में क्वारंटीन होने वाले लोगों या हल्के रोग वाले मरीजों के लिए।
अस्पताल में भर्ती केवल उन्हें मरीजों को रेमडेसिविर दी जानी चाहिए, जो ऑक्सीजन के सहारे हैं। निर्यात पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद, इंजेक्शन से दी जाने वाली इस दवा की कोई कमी नहीं है।
