विवादास्पद कृषि कानूनों पर विचार करने के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित समिति की बैठक में आज सदस्यों ने विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों से कानून पर अपने विचार पेश करने को कहा है।
समिति के प्रमुख सदस्य अनिल घनवट ने कहा, ‘समिति की सबसे बड़ी चुनौती प्रदर्शनकारी किसानों को हमसे बातचीत के लिए तैयार करने की होगी। हम इसका यथासंभव प्रयास करेंगे। आप हमारे पास बातचीत के लिए आइए। हम आपकी सुनेंगे और आपकी राय को अदालत के समक्ष रखेंगे। हम सभी से बातचीत करने का अनुरोध करते हैं।’ उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने 11 जनवरी को चार सदस्यीय समिति का गठन किया था लेकिन प्रदर्शनकारी किसानों ने नियुक्त सदस्यों द्वारा पूर्व में कृषि कानूनों को लेकर रखी गई राय पर सवाल उठाए। इसके बाद एक सदस्य भूपिंदर सिंह मान ने खुद को इससे अलग कर लिया है।
केंद्र सरकार और प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच भी नौ दौर की अलग से बात हुई थी लेकिन मुद्दे को सुलझाने की यह पहल बेनतीजा रही।
उधर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को लेकर मंगलवार को एक बार फिर केंद्र सरकार पर निशाना साधा और दावा किया कि इन कानूनों का मकसद कृषि क्षेत्र पर तीन-चार पूंजीपतियों का एकाधिकार स्थापित करना है और इसकी कीमत देश के मध्य वर्ग को भी चुकानी पड़ेगी। तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि वह देशभक्त और साफ-सुथरे व्यक्ति हैं तथा वे देश की रक्षा के लिए मुद्दे उठाते रहेंगे। राहुल गांधी ने किसानों की पीड़ा पर खेती का खून शीर्षक से एक पुस्तिका भी जारी की।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘देश में एक त्रासदी पैदा हो रही है। सरकार इस त्रासदी को नजरअंदाज करना चाहती है और लोगों को गुमराह करना चाहती है। किसानों का संकट इस त्रासदी का एक हिस्सा मात्र है।’
कांग्रेस नेता ने दावा किया, हवाई अड्डों, बुनियादी ढांचा, ऊर्जा, दूरसंचार, रिटेल और दूसरे क्षेत्र में हम देख रहे हैं कि बड़े पैमाने पर एकाधिकार स्थापित हो गया है। तीन-चार पूंजीपतियों का एकाधिकार है। ए तीन-चार लोग ही प्रधानमंत्री के करीबी हैं और उनकी मदद करते हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि कृषि क्षेत्र अब तक एकाधिकार से अछूता था, लेकिन अब इसे भी निशाना बनाया जा रहा है और ये तीनों कानूनों इसीलिए लाए गए हैं। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा इससे पहले खेती में एकाधिकार नहीं था। इसका फायदा किसानों, मजदूरों, गरीबों और मध्यम वर्ग को मिलता था। खेती का पूरा ढांचा था जो इनकी रक्षा करता था।