हरियाणा सरकार के एक हालिया कानून के तहत निजी क्षेत्र की नौकरियों में स्थानीय लोगों के लिए 75 फीसदी आरक्षण और मासिक वेतन की सीमा 50,000 रुपये निर्धारित की गई है। आईटी कंपनियों के प्रतिनिधि संगठन नैसकॉम के एक सर्वेक्षण में कहा गया है कि इससे राज्य में करीब 1.5 लाख सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की नौकरियां प्रभावित होंगी।
इस सर्वेक्षण में 80 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा कि इससे उनके भविष्य के कारोबारी परिचालन एवं निवेश योजनाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इनमें से अधिकतर लोगों ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप कंपनियां दूसरे राज्यों अथवा दूसरे देशों की ओर रुख करेंगी।
सर्वेक्षण के दौरान हरियाणा में मौजूद 500 आईटी/आईटीईएस कंपनियों में से उन 73 कंपनियों से बात की गई जिनके पास सीधे तौर पर 4 लाख से अधिक लोग कार्यरत हैं। नैसकॉम ने कहा, ‘यह कानून 4 लाख आईटी/आईटीईएस कर्मचारियों के अलावा कुल मिलाकर मौजूदा करीब 1.5 लाख नौकरियों (कुल आईटी/आईटीईएस नौकरियों के 37 फीसदी) को प्रभावित करेगा। यह कानून नई नियुक्तियों पर लागू होगा और ऐसे में अगले एक-दो साल में इसका प्रभाव कहीं अधिक गंभीर हो सकता है।’
इसका मतलब साफ है कि अगले एक-दो वर्षों में हरियाणा की किसी कंपनी में काम करने वाले 50,000 रुपये से कम मासिक वेतन पाने वाले कर्मचारियों को नौकरी छोडऩी पड़ सकती है। किसी अन्य कंपनी में नौकरी पाने के लिए उन्हें स्थानीय निवासी होने का प्रमाण देना पड़ेगा। इसका मतलब यह भी है कि उनके द्वारा खाली पदों को स्थानीय निवासियों द्वारा भरा जाएगा।
सर्वेक्षण में पाया गया कि प्रतिभागी कंपनियों में कार्यरत 81 फीसदी कर्मचारी हरियाणा से बाहर के हैं और 44 फीसदी कर्मचारियों का मासिक वेतन 50,000 रुपये से कम है। इनमें जीसीसी में 40 पद, 15 पद उत्पाद, इंजीनियरिंग, आरऐंडडी और आईटी कंपनियों में हैं जबकि 20 से अधिक पद बीपीएम कंपनियों में हैं।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि हरियाणा में जिन कौशल के अभाव में मासिक वेतन 50,000 रुपये से कम है उनमें बोलने एवं लिखने का कौशल, कृत्रिम बुद्धिमत्ता एवं मशीन लर्निंग, एनालिटिकल एवं सांख्यिकीय कौशल, वित्त एवं लेखा कौशल, प्रोग्रामिंग कौशल, डेटा साइंस एवं आरऐंडडी कौशल, इंजीनियरिंग एवं तकनीकी कौशल शामिल हैं।
सर्वेक्षण में शामिल प्रतिभागियों से उद्योग से संबंधित 10 प्रश्न पूछे गए जिनमें आईटी सेवा, बिजनेस प्रॉसेस मैनेजमेंट, ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर, ई-कॉमर्स, सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट्स एवं इंजीनियरिंग और आरऐंडडी शामिल हैं। पिछले सप्ताह रोहतक की विनिर्माता एवं मोटरसाकिल के कलपुर्जा के थोक विक्रेता एके मोटर्स ने इस कानून के खिलाफ पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है।