करियर की सलाह देने वालों के लिए एक वक्त ऐसा था जब वे छात्रों को इस बात की जानकारी बड़ी आसानी से दे पाते थे कि उन्हें कौन सा कोर्स करना चाहिए, किस कॉलेज को चुनना चाहिए और वे छात्र वीजा नियमों में हुए बदलाव का ब्योरा भी दिया करते थे लेकिन अब यह सब कुछ काफी मुश्किल हो गया है। महामारी के कारण युवाओं की उच्च शिक्षा से जुड़ी योजनाओं पर पानी फिर गया है और अब उन्हें उन सवालों से निपटना होगा जिनका सामना उन्होंने पहले कभी नहीं किया है लेकिन इनका कोई आसान जवाब नहीं हैं।
दिल्ली की कॉलेज और करियर सुझाव देने वाली कंपनी ला मेंटोरा की संस्थापक नम्रता पांडे ने बताया, ‘महामारी की अनिश्चितताओं के बीच यह बेहद परेशान करने वाली बात है कि हम छात्रों को सहज नहीं कर पा रहे हैं और न ही उनके डर को दूर कर पा रहे हैं।’ अब ज्यादातर विश्वविद्यालयों ने ऑनलाइन पाठ्यक्रम चलाना शुरू कर दिया है और अब छात्र अपनी कैंपस की पढ़ाई और एक वर्ष का अंतराल लेकर कोई अल्पकालिक पाठ्यक्रम या फि र इंटर्नशिप के बीच कोई बेहतर विकल्प चुनने पर विचार कर रहे हैं। इसी वजह से कई विदेशी विश्वविद्यालयों में मौजूदा शैक्षणिक वर्ष में संभवत: शामिल होने वाले छात्रों की संख्या में 50 से 80 प्रतिशत तक कमी देखने को मिल रही है।
कई विदेशी विश्वविद्यालय बजट में कटौती की उम्मीद कर रहे हैं क्योंकि निवेश पर पर्याप्त प्रतिफ ल की गुंजाइश नहीं है। अमेरिका के प्राइवेट विश्वविद्यालय ने बताया कि 2021 के लिए भी आसार अच्छे नहीं हैं। विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘हम छात्रों के लिए इसे ज्यादा किफायती बनाने के लिए छात्रवृत्ति की पेशकश कर रहे हैं।’ छात्रों की अब भी विदेश में अध्ययन करने की योजना है लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि वे अभी यह नहीं सोच पा रहे हैं कि ऐसा कब होगा। अमेरिका के फ्लोरिडा में मौजूद फुल सेल यूनिवर्सिटी के क्षेत्रीय निदेशक (कारोबार विकास) आकाश अमीन ने बताया, ‘हम यह देख रहे हैं कि छात्र हाइब्रिड मॉडल में गहरी दिलचस्पी ले रहे हैं जिसके तहत वे ऑनलाइन कक्षाएं शुरू करेंगे और बाद में कैंपस में कोर्स पूरा करेंगे।’
विदेशी विश्वविद्यालय भी छात्रों से आमने-सामने बातचीत करने के लिए स्कूलों और कॉलेजों से संपर्क करने में असमर्थ हैं। लेकिन उद्योग के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि एक ज़ूम मीटिंग किसी जगह जाकर बात करने का विकल्प कभी नहीं हो सकता है क्योंकि छात्र भी वेबिनार से उकता गए हैं हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि यह तरीका कारगर रहा है। ब्रिटेन के एस्टन विश्वविद्यालय की अंतरराष्ट्रीय भर्ती टीम के लिए दक्षिण एशिया के क्षेत्रीय प्रबंधक थॉमस ऑस्टिन ने कहा, ‘हम खुद जाकर जितने छात्रों से संपर्क कर सकते थे उसके मुकाबले अधिक से अधिक छात्रों से संपर्क बनाने की कोशिश की है। छात्रों को भी इस बात की काफ ी बेहतर जानकारी है कि वे क्या करने जा रहे हैं।’ पढ़ाई के बाद काम करने की छूट वाले वीजा से एस्टन सहित ब्रिटेन के विश्वविद्यालयों को काफ ी लाभ मिला है जिसकी वजह से वे पिछले साल की तुलना में इस साल भी छात्रों की उतनी ही तादाद की उम्मीद कर रहे हैं।
ब्रिटेन के अलावा ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और कनाडा जैसे देश आने वाले महीनों में छात्रों की तादाद में लगातार वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं। हालांकि उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका के शिक्षा केंद्र महामारी को नियंत्रित करने में कुप्रबंंधन दिखाने और राजनीतिक बयानबाजी की वजह से काफ ी प्रभावित होंगे और वहां छात्रों की तादाद में भारी कमी आने की संभावना है। एक शिक्षा मंच टीसी ग्लोबल के ब्रांड और कम्युनिटी अधिकारी शान चोपड़ा ने कहा, ‘कोविड की वजह से विदेशी शिक्षा की मांग में कमी नहीं आई है बल्कि केवल इसमें देरी हो रही है। सीमा प्रतिबंधों, सरकार के कदमों और क्वारंटीन की अनिश्चितता से आपूर्ति पक्ष को झटका लगा है।’ इन सभी बातों से छात्रों और अभिभावकों की चिंता बढ़ी है।
हालांकि इस संकट का असर यह हुआ है कि अब करियर सलाहकार अपने कौशल को बढ़ा रहे हैं और वे विजुअल प्रेजेंटेशन का सहारा ले रहे हैं। आईडीपी एजुकेशन के क्षेत्रीय निदेशक पीयूष कुमार कहते हैं, ‘यह देखते हुए कि सभी प्रक्रियाएं वर्चुअल हो गई हैं, ऐसे में सलाहकार भी अपने डिजिटल कौशल को बढ़ा रहे हैं। वे छात्रों का मार्गदर्शन करने के लिए वर्चुअल इवेंट आयोजित कर छात्रों के ऑनलाइन नामांकन और शिक्षा देने के नए तरीकों को अनुकूल बनाने में मदद करने के लिए वर्चुअल ऑफि स का इस्तेमाल कर रहे हैं।’ करियर सलाहकारों ने भी एक-दूसरे के साथ सहयोग करने के लिए प्रयास करने और जवाब ढूंढने के लिए इस अनिश्चित समय में उपकरणों और रणनीतियों पर चर्चा शुरू कर दिया है।
