कोरोनावायरस आखिरकार इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में भी सेंध लगा ही गया और कई टीमों के खिलाडिय़ों तथा कर्मचारियों में संक्रमण पाए जाने के बाद आज भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने इस साल का टूर्नामेंट अनिश्चितकाल के लिए टाल दिया। इसके साथ ही इस टूर्नामेंट की ब्रांड वैल्यू को लगातार दूसरे साल झटका लगा। साथ ही बोर्ड और टीम मालिकों की कमाई में भी कई सौ करोड़ रुपये की चपत लगना तय है।
मार्च में डफ ऐंड फेल्प्स की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि देश में कोविड-19 संक्रमण शुरू होने के बाद 2020 में आईपीएल की ब्रांड वैल्यू डॉलर में 8.7 फीसदी और रुपये में 3.6 फीसदी गिर गई। हर साल अप्रैल में शुरू होने वाले इस टूर्नामेंट को पिछले साल दूसरी छमाही में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में आयोजित कराया गया था। वहां स्टेडियम खाली रहे थे मगर दुनिया भर में इसे टेलीविजन पर खूब देखा गया था।
ब्रांड विशेषज्ञ कहते हैं कि इस साल टूर्नामेंट ही रद्द हो जाने से इसकी ब्रांड वैल्यू में 5-10 फीसदी की चपत और लग सकती है। ब्रांडों पर नजर रखने वाली फर्म टीआरए रिसर्च के मुख्य कार्य अधिकारी एन चंद्रमौलि कहते हैं, ‘ब्रांड वैल्यू को झटका तो बिल्कुल लगेगा। मेरे हिसाब से इसके आयोजन का समय सही नहीं था। भारत पूरी तरह महामारी से बाहर नहीं आया था। ऐसे में देश में टूर्नामेंट का आयोजन सही नहीं था।’
हालांकि फ्यूचर ब्रांड्स के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी संतोष देसाई को इसका असर कुछ समय के लिए ही लगता है। वह कहते हैं, ‘ब्रांड वैल्यू पर असर तो पड़ सकता है। कोई भी ब्रांड पूरी तरह महफूज नहीं होता। मगर आगे जाकर सब ठीक हो सकता है।’
इस साल मुख्य प्रायोजक वीवो के साथ अनअकेडमी, क्रेड और अपस्टॉक्स जैसे प्रायोजक आखिरी वक्त में जुड़ गए थे। पेटीएम, ड्रीम11, सिएट और टाटा मोटर्स पहले ही आधिकारिक प्रायोजक हैं। इसके अलावा मैच प्रसारित करने वाली स्टार-डिज्नी ने भी टीवी प्रसारण के लिए 18 प्रायोजकों और डिजिटल प्रसारण के लिए 14 प्रायोजकों से करार किया था। इनमें विभिन्न उद्योगों की कंपनियां शामिल थीं।
राष्ट्रीय स्तर की मीडिया एजेंसी जेनिथ में डिजिटल मीडिया खरीद के उपाध्यक्ष सजल गुप्ता कहते हैं कि डिजिटल ब्रांडों को सबसे ज्यादा घाटा होगा क्योंकि अब उन्हें आईपीएल जैसा मंच नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा, ‘क्रेड जैसे ब्रांड इस साल आईपीएल का अच्छा इस्तेमाल कर रहे थे। उनके विज्ञापनों की चर्चा भी खूब हो रही थी। टूर्नामेंट टलने से उन डिजिटल ब्रांडों को जरूर नुकसान होगा, जो महामारी के दौरान उभर रहे थे।’
झटका तो क्रिकेट बोर्ड और टीम मालिकों को भी लगेगा। बीसीसीआई के मुताबिक उसे 2020 में आईपीएल से 4,000 करोड़ रुपये की कमाई हुई। पिछले साल टूर्नामेंट यूएई में खाली स्टेडियमों में खेला गया था। इस बार भी टूर्नामेंट स्टेडियम में दर्शकों के बगैर ही खेला जा रहा था। इसका केवल प्रसारण हो रहा था। इससे बीसीसीआई को पिछले साल जितनी ही कमाई होने की संभावना थी। बीसीसीआई को हर मैच के प्रसारण से औसतन 67 करोड़ रुपये की कमाई होती है।
इस टूर्नामेंट के 60 में से 31 मैच बचे हुए हैं, इसलिए बीसीसीआई को आधे से ज्यादा राजस्व के नुकसान का अंदेशा है। बीसीसीआई को 2,000 करोड़ रुपये का नुकसान आईपीएल मालिकों के लिए भी बुरी खबर साबित हो सकती है।
बोर्ड और टीम मालिकों को घाटे की वजह यह है कि आधा टूर्नामेंट रद्द होने से बोर्ड की कमाई को चपत लगेगी, जिससे आईपीएल के केंद्रीय आरक्षित कोष में उसका योगदान भी काफी घट जाएगा। बोर्ड को आईपीएल से होने वाली आमदनी इस कोष में भेज दी जाती है, जिसे बोर्ड और आईपीएल टीम मालिकों के बीच बराबर बांटा जाता है। इस साल करीब 2,000 करोड़ रुपये आठ टीम मालिकों के बीच बंटने थे। आधा टूर्नामेंट खटाई में पडऩे से आठों टीमों को इस कोष से कम से कम 1,000 करोड़ रुपये गंवाने पड़ेंगे।
आईपीएल टीम विभिन्न कंपनियों के साथ अपने प्रायोजन करार को लेकर भी फिक्र में पड़ गई हैं। हरेक हैं। प्रत्येक आईपीएल टीम अपने सितारों और टीम की लोकप्रियता के मुताबिक प्रायोजकों से टीम जर्सी पर उनके नाम लगाने के कई करोड़ रुपये लेती है। माना जाता है कि टीमों को इससे 40 करोड़ रुपये तक की आमदनी होती है। रकम इस बात पर निर्भर करती है कि प्रायोजक का लोगो जर्सी या खिलाडिय़ों के साजोसामान पर कहां लगा है। कहा जाता है कि आठों टीमों को इस प्रायोजन से हर साल 500 करोड़ रुपये तक मिल जाते हैं। इस साल डिजिटल अधिकारों की बिक्री बढऩे से यह आंकड़ा करीब 600 करोड़ रुपये रहने का अनुमान था। अगर सभी प्रायोजक अपने करारों के प्रावधानों का सहारा लेते हैं तो सभी टीमों की यह कमाई भी आधी रह जाएगी।
बोर्ड को भी इन प्रायोजनों से हर साल करीब 800 करोड़ रुपये आमदनी होने की बात कही जाती है। बोर्ड के लिए एक और दुविधा है। वीवो जैसी मुख्य प्रायोजक और पेटीएम, टाटा, ड्रीम11, अनअकेडमी जैसी सह-प्रायोजक कह सकती हैं कि आधे टूर्नामेंट के लिए ही भुगतान किया जाएगा। बीसीसीआई के सचिव जय शाह और उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला ने यह नहीं बताया है कि बाकी टूर्नामेंट साल की दूसरी छमाही में खेला जाएगा या नहीं। पिछले कुछ दिनों से बोर्ड और आईपीएल टीम मालिकों की आलोचना यह कहकर की जा रही थी कि पूरा देश महामारी के दूसरे झोंके से जूझ रहा है और वे टूर्नामेंट खेलने में मगन हैं।