कोविड के लिए दूसरी दवाओं के परीक्षण की मंजूरी

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 2:56 AM IST

घरेलू औषधि कंपनियां उन दूसरी दवाओं पर काम कर रही हैं जिनका इस्तेमाल कोविड-19 के उपचार में किया जा सकता है। पिछले सप्ताह कोविड-19 पर विशेषज्ञ समिति (एसईसी) ने कुछ प्रस्तावों की समीक्षा की और कुछ को मंजूरी भी दी।
अहमदाबाद की दवा कंपनी इंटास फार्मास्युटिकल्स को हाइपरइम्यून ग्लोबुलिन के दूसरे चरण के परीक्षण के लिए मंजूरी दी गई जबकि बेंगलूरु की दवा कंपनी आईडीआरएस को उसके प्रस्ताव के समर्थन में और अधिक जानकारी देने के लिए कहा गया।
इस बीच जुबिलैंट लाइफ साइंसेज को रेमडेसिविर के चौथे चरण के क्लीनिकल परीक्षण के लिए मंजूरी दी गई है।
वैश्विक स्तर पर कई कंपनियां प्लाजमा दान से हाइपरइम्यून ग्लोबुलिन के विकास एवं विनिर्माण के लिए प्लाज्मा अनुसंधान पर काम कर रही हैं। वास्तव में इसके लिए एक वैश्विक गठबंधन भी किया गया है।
कॉनवैलेसेंट प्लाजमा थेरेपी में स्वस्थ हो चुके कोविड रोगियों की वायरस एवं सार्स-सीओवी-2 के खिलाफ एंटीबॉडी की जांच के बाद उनसे प्लाज्मा हासिल किया जाता है। हाइपरइम्यून ग्लोबुलिन उपचार के तहत प्लाज्मा को एकत्रित करने के बाद उसे सांद्र और शुद्ध किया जाता है। इस प्रकार दवा की एक शीशी तैयार की जाती है जिसमें पर्याप्त मात्रा में एंटीबॉडी होती है। इसका भंडारण, वितरण और रोगियों को देना आसान है। इसके लिए ब्लड ग्रुप मिलान करने की भी आवश्यकता नहीं होती है।
पारंपरिक प्लाज्मा थेरेपी के मुकाबले इसका फायदा यह है कि इसकी हरेक खुराक में एक निश्चित मात्रा में एंटीबॉडी हेाती है जबकि प्लाज्मा दाताओं में काफी अंतर होता है।
एसईसी ने इंटास को इस शर्त पर मंजूरी दी है कि परीक्षण के दौरान कॉनवैलेसेंट प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा और उसे पर 28 दिनों तक सक्रियता से नजर रखी जाएगी। आईडीआरएस लैब्स ने अपने प्रस्ताव में कोविड-19 के हल्के लक्षण और बिना लक्षण वाले रोगियों पर तीसरे चरण के क्लीनिकल परीक्षण के तहत सोडियम कॉपर क्लोरोफिलीन (रोजाना एक बार 750 मिग्रा) के इस्तेमाल की बात कही है। एसईसी ने कंपनी से इसके इस्तेमाल के लिए सुरक्षा संबंधी आंकड़े जमा कराने के लिए कहा है। जुबिलैंट को करीब 100 रोगियों पर रेमडेसिविर के चौथे चरण के क्लीनिकल परीक्षण के लिए मंजूरी मिल गई है।

First Published : August 27, 2020 | 12:16 AM IST