डेढ़ साल टलेंगे कृषि कानून!

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 9:31 AM IST

सरकार और किसानों के बीच चल रही बातचीत थोड़ी आगे बढ़ती दिख रही है। दोनोंं पक्षों के बीच 10वें चरण की बातचीत में केंद्र सरकार ने एक निश्चित समय तक के लिए नए कृषि कानूनों का क्रियान्वयन टालने का प्रस्ताव दिया। सरकार ने कहा कि इस दौरान किसानों के प्रतिनिधि और सरकार तीनों कानूनों पर चर्चा करेंगे और एक सर्वसम्मत समाधान तलाशने की कोशिश की जाएगी।
बातचीत में शामिल किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि वे अन्य सहयोगी संगठनों के साथ सरकार द्वारा रखी गई पेशकश पर चर्चा करेंगे और दो दिनोंं बार फिर बातचीत के लिए आएंगे। सरकार और किसानों के बीच अगले चरण की बातचीत 22 जनवरी को होगी।
केंद्र सरकार के सूत्रों ने कहा कि वे किसानों के समक्ष रखे प्रस्तावों को एक शपथ पत्र के रूप में शीर्ष न्यायालय में रखने के लिए तैयार हैं। हालांकि सूत्रों ने कहा कि इसके बदले किसानों को अपना विरोध प्रदर्शन समाप्त करना होगा। बातचीत में सरकार का पक्ष रखने वाले कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, ‘हमने डेढ़ वर्ष के लिए कृषि कानूनों का क्रियान्वयन टालने का प्रस्ताव दिया है। हमें लगता है कि  दोनों पक्ष एक समाधान निकालने की तरफ बढ़ रहे हैं और अगली बैठक में एक ठोस नतीजा निकल कर सामने आ सकता है।’
भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष जोङ्क्षगदर सिंह उग्रहान ने कहा कि केंद ने डेढ़ वर्षों के लिए कानून निलंबित करने का प्रस्ताव दिया है। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया गया है लेकिन यह सरकार की तरफ से आया है इसलिए वह इस पर विचार करेंगे।
सूत्रों ने कहा कि बैठक शुरू होते ही केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों- कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने पिछली नौ बैठकों की तरह इस बैठक में भी अधिनियमों को र्दद करने से इनकार कर दिया। उन्होंने अधिनियमों में केवल संशोधन की पेशकश की, जिसे किसान संगठनों ने खारिज कर दिया।
इसके बाद किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी का मुद्दा उठाया। इस पर सरकार के प्रतिनिधियों ने कहा कि आगे बढऩे से पहले तीन अधिनियमों के बड़े मुद्दे का समाधान किया जाना चाहिए। जब कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने देखा कि बातचीत आगे नहीं बढ़ रही है तो उन्होंने एक विशेषज्ञ समूह की जांंच तक कानूनों केक्रियान्वयन को रोकने की पेशकश की।
इन कानूनों पर सर्वोच्च न्यायालय अगले आदेश तक पहले ही रोक लगा चुका है। न्यायालय ने इस गतिरोध को खत्म करने के लिए एक समिति का गठन किया है। इस समिति की पहली बैठक मंगलवार को हुई। यह विभिन्न भागीदारों के साथ विचार-विमर्श गुरुवार से शुरू करेगी। इसे दो महीने में अपनी रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है।
किसान नेताओं ने कुछ किसानों को एनआईए के नोटिसों का मामला भी उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह आंदोलन के समर्थक किसानों को प्रताडि़त करने के लिए किया जा रहा है। इस पर सरकारी प्रतिनिधियों ने कहा कि वे इस मामले को देखेंगे।

First Published : January 20, 2021 | 11:09 PM IST