ई-कॉमर्स कंपनियां आज उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग के साथ बैठक के बाद मौखिक रूप से इस बात पर सहमत हो गई हैं कि आगे से वे अपने प्लेटफॉर्म पर सूचीबद्ध होने वाले उत्पादों के मूल देश के नाम का उल्लेख करेंगी। इस काम को वे विक्रेताओं के साथ मिलकर सुनिश्चित करेंगी।
कंपनियों से दो हफ्तों में अगली बैठक के लिए आने को कहा गया है जिसमें उन्हें सुझाव देना है और इस फीचर को लागू करने में उन्हें पेश आ रही चुनौतियों के बारे में जानकारी देनी है।
इस मामले के जानकारों के मुताबिक इस वर्चुअल बैठक में एमेजॉन, फ्लिपकार्ट, पेटीएम मॉल, शॉपक्लूज और जियो मार्ट सहित 15 कंपनियां शामिल हुई और दोनों पक्षों के बीच एक मौखिक सहमति बनी।
बैठक की चर्चाओं से अवगत लोगों में से एक व्यक्ति ने कहा, ‘यह बैठक आगे से विभिन्न प्लेटफॉर्मों पर सूचीबद्ध होने वाले उत्पादों के मूल देश का उल्लेख करने के लिए साझेदारों के विचार जानने के लिए बुलाई गई थी। एक ओर जहां कंपनियों ने कहा कि वे भविष्य में प्लेटफॉर्म पर सूचीबद्ध होने वाले उत्पादों के लिए तकनीक से जुड़े बदलावों को करने में सक्षम हैं, सरकार की ओर से यह भी स्पष्ट किया गया कि उत्पाद के मूल देश की जानकारी देने का दायित्व विक्रेता की है न कि प्लेटफॉर्म की।’
यह बैठक वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत परिचालित गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) प्लेटफॉर्म की ओर से सूचीबद्ध विक्रेताओं के लिए पोर्टल पर नए उत्पादों को पंजीकृत करने के दौरान उस उत्पाद के मूल देश का नाम उल्लिखित करना अनिवार्य किए जाने के एक दिन बाद बुलाई गई थी।
भारत और चीन के बीच सीमा पर तकरार के कारण देश में चीनी उत्पादों का बहिष्कार का अभियान जोर पकड़ रहा है। जीईएम की ओर से अपने पोर्टल पर विक्रेताओं को उत्पाद के मूल देश के नाम का उल्लेख करने की अनिवार्यता को कुछ लोग इस दिशा में उदाहरण के साथ आगे बढऩे के रूप में देख रहे हैं ताकि बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों को भी ऐसा करने पर मजबूर किया जा सके।
हालांकि, सरकार की ओर दावा किया जा रहा है कि हालिया कदम मोटे तौर आत्मनिर्भर भारत अभियान का हिस्सा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘यह कोई मजबूर करने जैसी बात नहीं है। यह मुद्दा पहले भी उठाया गया था और कंपनियों को केवल अपने प्लेटफॉर्म पर पारदर्शिता लाने के लिए कहा जा रहा है।’
