भारत कोरोनावायरस संक्रमण के मद्देनजरजुलाई 2021 तक करीब 25 करोड़ लोगों के टीकाकरण के लिए 40 से 50 करोड़ खुराकों का उपयोग करने की योजना बना रहा है। देश की टीका संबंधी रणनीति की विस्तृत रूपरेखा पेश करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने रविवार को यह जानकारी दी।
जहां एक ओर राज्यों को अक्टूबर के अंत तक अग्रिम मोर्चे के स्वास्थ्य कर्मियों और स्वास्थ्य संबंधी मुख्य परिस्थितियों में रहने वालों की सूची पेश करने के लिए कहा गया है, वहीं दूसरी ओर सरकार ने टीका विकास की स्थिति का पता लगाने की कवायद भी शुरू कर दी है। केंद्र सरकार देश के स्टॉक तथा आपूर्ति शृंखला प्रबंधन के लिए अधिकतम संख्या में खुराक उपलब्ध कराने के वास्ते टीका विनिर्माताओं से प्रतिबद्धता की भी मांग कर रही है।
हर्षवर्धन ने सोशल मीडिया संवाद को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार टीकों के लिए समान पहुंच सुनिश्चित करने की खातिर सभी कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है। देश में टीके की दौड़ में आगे रहने वाले तीन उम्मीदवार हैं – जाइडस कैडिला, भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट फॉर ऑक्सफर्ड-एस्ट्राजेनेका। भारत बायोटेक के कोवैक्सीन और जाइडस कैडिला के जाइकोवी-डी के दूसरे चरण का मानव क्लीनिकल परीक्षण और ऑक्सफर्ड-एस्ट्राजेनेका के कोविडशील्ड का तीसरे चरण का परीक्षण चल रहा है। हर्षवर्धन ने कहा कि सरकार ने रूस के स्पूतनिक-5 टीके के क्लीनिकल परीक्षण के लिए अभी कोई फैसला नहीं किया है।
टीके के अलावा सरकार राज्यों में कोल्ड चेन की सुविधाओं और अन्य संबंधित बुनियादी ढांचे का जायजा ले रही है जो ब्लॉक स्तर तक टीका वितरण के लिए आवश्यक होगा। उद्योग के विशेषज्ञों का मानना है कि खास तौर पर व्यापक राष्ट्रीय प्रतिरक्षण कार्यकम के कारण भारत में एक भलीभांति विकसित कोल्ड चेन नेटवर्क है।
भारत ने वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान देश भर में टीका आपूर्ति शृंखला और स्टॉक की जानकारी पर नजर रखने के लिए इलेक्ट्रॉनिक वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क (ईवीआईएन) का इस्तेमाल किया है। देश भर में सुचारु प्रतिरक्षण सुनिश्चित करने के लिए ऐसा किया गया था। यह प्रणाली देश में पंजीकृत टीका भंडारण स्थलों में स्टॉक और भंडारण के तापमान की तत्काल जानकारी उपलब्ध कराती है। डिजिटल रिकॉर्ड के लिए इस नेटवर्क में 23,900 डिजिटल टेम्परेचर लॉगर और 41,420 कोल्ड चेन संचालक हैं।
हर्षवर्धन ने कहा कि सरकार बड़े स्तर पर मानव संसाधन और प्रशिक्षण क्षमता जुटाने की दिशा में भी काम कर रही है। नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वीके पॉल की अगुआई वाली समिति टीकों की खरीद और वितरण की पूरी प्रक्रिया के लिए योजना बना रही है। मंत्री ने कहा कि टीके की केंद्रीकृत रूप से खरीद की जा रही है और प्रत्येक खेप की डिलिवरी होने तक सीधे तौर पर निगरानी की जाएगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह उन लोगों तक पहुंच रहा है जिन्हें इसकी ज्यादा जरूरत है।
हर्षवर्धन ने कहा कि काम प्रगति पर है और इसे उस समय तक पूरा कर लिया जाएगा जब यह सुनिश्चित हो जाएगा कि टीका तेजी से प्रतिरक्षण कार्यक्रम शुरू करने के लिए तैयार है। मंत्री ने यह भी कहा कि टीकों का वितरण पूर्व-निर्धारित प्राथमिकता और सुनियोजित तरीके से किया जाएगा। पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए आने वाले महीनों में पूरी प्रक्रिया का विवरण साझा किया जाएगा।
लोगों पर जोखिमपूर्ण परीक्षण नहीं
स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि भारत में कोरोनोवायरस टीके के लिए मानव प्रयोग करने की कोई योजना नहीं है और वैश्विक अनुभवों के आधार पर इससे फायदा होने की बात साबित न होने तक ऐसा कोई तरीका नहीं अपनाया जा सकता है। मानव पर टीके के परीक्षण करने की प्रक्रिया ने कुछ नैतिक चिंताओं को उठाया है जिसमें टीके की प्रभावशीलता का अध्ययन करने के मकसद से प्रतिभागियों को विषाणु की जद में आने का जोखिम भी शामिल है।
वर्धन ने कहा, ‘जब इस तरह के मानव परीक्षण हों तब उसे काफी सोच-विचार के साथ सावधानी और निगरानी के साथ किया जाना चाहिए। अध्ययन से मिलने वाली सूचनाएं स्पष्ट रूप से मानवीय जोखिम के लिए भी न्यायोचित होनी चाहिए।’
उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए भारत में मजबूत प्रक्रिया है कि टीके का क्लीनिकल परीक्षण सफ लतापूर्वक पूरा हुआ है और यह कोरोनावायरस के लिहाज से सुरक्षित और प्रभावी है। खबरों के अनुसार ब्रिटेन अगले साल जनवरी में अपनी इच्छा से परीक्षण में शामिल होने वाले एक समूह पर इस तरह का परीक्षण कराने की योजना बना रहा है।