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WTO MC13: भारत का अपील निकाय बहाल करने पर जोर, विकसित देशों ने भी उठाए कामकाज पर सवाल

अमेरिका का दावा है कि मौजूदा व्यवस्था अक्सर अपने अधिकार क्षेत्र से आगे निकल गई है। उसकी प्राथमिकता एक स्तरीय व्यवस्था और द्विपक्षीय स्तर पर विवादों को सुलझाने को लेकर है।

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श्रेया नंदी   
Last Updated- February 28, 2024 | 9:48 PM IST

भारत ने बुधवार को विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के अपील निकाय को बहाल किए जाने को शीर्ष प्राथमिकता में रखने पर जोर दिया है। भारत का कहना है कि वैश्विक व्यापार निकाय की किसी सुधार प्रक्रिया में इसे प्राथमिकता दी जानी चाहिए। अपील निकाय इस संगठन का सर्वोच्च निर्णय प्राधिकरण है।

अबूधाबी में चल रहे 13वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (एमसी-13) में भारत ने डब्ल्यूटीओ में कुछ सदस्य देशों के बीच अनौपचारिक विवाद समाधान सुधार पर चल रही चर्चा को प्रभावी तरीके से औपचारिक बनाने पर जोर दिया है।

डब्ल्यूटीओ में दो स्तर की विवाद निपटान व्यवस्था है, जो परामर्श व न्यायिक फैसले देने का काम करती है। यह दिसंबर 2019 से काम ही नहीं कर रही है क्योंकि अमेरिका ने 7 सदस्यों वाले अपील निकाय में नए सदस्यों की नियुक्ति से इनकार कर दिया है। इससे कुल मिलाकर डब्ल्यूटीओ की विश्वसनीयता और नियम पर आधारित व्यापार व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं।

अमेरिका का दावा है कि मौजूदा व्यवस्था अक्सर अपने अधिकार क्षेत्र से आगे निकल गई है। उसने संकेत दिए हैं कि उसकी प्राथमिकता एक स्तरीय व्यवस्था और द्विपक्षीय स्तर पर विवादों को सुलझाने को लेकर है।

वहीं दूसरी ओर विकसित देशों ने भी इस निकाय के कामकाज पर सवाल उठाए हैं और सुधार की मांग की है। इसके पहले हुए मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (एमसी-12) में सदस्य देशों के लिए अनिवार्य किया गया था कि ‘2024 तक सभी सदस्यों के लिए सुलभ और पूर्ण रूप से काम करने वाली विवाद निपटान व्यवस्था को लेकर चर्चा की जाएगी।’

भारत का मानना है कि अनौपचारिक चर्चाओं के प्रारूप और गति ने ज्यादातर विकासशील देशों, खासकर कम विकसित देशों (एलडीसी) के लिए चुनौती खड़ी कर दी है। विवाद निपटान व्यवस्था में इन खामियों को दूर करने के लिए इसने डब्ल्यूटीओ के सदस्य देशों के सामने 3 बिंदुओं की कार्ययोजना का प्रस्ताव रखा है।

भारत की ओर से जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, ‘ पहला, विवाद समाधान सुधारों पर चल रही चर्चा को डब्ल्यूटीओ के विवाद निपटान निकाय के अध्यक्ष के दिशानिर्देश के तहत औपचारिक निकायों में स्थानांतरित करना शामिल है।

दूसरा, यह सुनिश्चित करना कि बदलाव सिर्फ औपचारिकता न हो। यह सदस्यों से संचालित, खुली और पारदर्शी व समावेशी और बहुपक्षीय प्रक्रिया का नतीजा हो। इसमें विकासशील देशों व एलडीसी की तकनीकी चुनौतियों और अनेक संभावनाओं को ध्यान में रखा जाए।’ इसके अलावा अपील पंचाट को बहाल करने को भी प्राथमिकता दी जाए।

सदस्य देशों को अवसर दिया जाना चाहिए कि वे किसी स्तर पर नए प्रस्ताव ला सकें और यह संख्या पर आधारित, मिली जुली हिस्सेदारी वाला और सबका प्रतिनिधित्व करने वाला होना चाहिए।

13वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में चर्चा के एक और विषय के रूप में भारत ने वर्तमान और भविष्य में डब्ल्यूटीओ के काम के मूल में ‘विकास’ को रखने पर जोर दिया है। अबूधाबी मंत्रिस्तरीय घोषणा के मसौदे पर चर्चा के दौरान भारत ने जोर दिया कि विकासशील देशों से संबंधित मसलों पर ध्यान केंद्रित रखा जाना चाहिए और इसे प्राथमिकता दी जानी चाहिए और नए मसलों पर तब तक विचार नहीं किया जाना चाहिए जब तक कि पहले के फैसलों और पूरे न किए जा सके प्रस्तावों पर काम नहीं कर लिया जाता है।

आधिकारिक बयान में कहा गया है, ‘भारत ने विशेष और अलग व्यवहार किए जाने के सिद्धांतों पर ध्यान दिलाया है, जिन पर विकसित देश हमले कर रहे थे।’

First Published : February 28, 2024 | 9:48 PM IST