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भारत को रूस से तेल आयात घटाने को नहीं कहा: अमेरिकी वित्त विभाग

India's crude oil imports: लंदन की कमोडिटी डेटा विश्लेषण फर्म वोर्टेक्सा का अनुमान है कि मार्च में लगातार 18वें महीने रूस कच्चे तेल की सबसे अधिक आपूर्ति करने वाला देश बना रहा।

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शुभायन चक्रवर्ती   
Last Updated- April 04, 2024 | 11:07 PM IST

अमेरिकी वित्त विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा है कि भारत को रूस से कच्चे तेल का आयात कम करने के लिए बिल्कुल नहीं कहा गया है। अमेरिका का मकसद तो रूस से खरीदारों को और भी कम कीमत पर कच्चा तेल दिलाना है। उन्होंने कहा कि यदि भारतीय खरीदार पश्चिमी शिपिंग एवं समुद्री सेवाओं का लाभ नहीं उठाते हैं तो वे 60 डॉलर प्रति बैरल की तय सीमा से अधिक कीमत पर भी रूस से कच्चा तेल खरीद सकते हैं।

दिल्ली के थिंक टैंक अनंत एस्पेन सेंटर में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए अमेरिकी वित विभाग की सहायक सचिव (आतंकवाद को आर्थिक मदद एवं वित्तीय अपराध) एना मॉरिस और सहायक सचिव (आ​र्थिक नीति) एरिक वान नॉस्ट्रैंड ने कहा कि मौजूदा मूल्य सीमा का मकसद रूस को ऊंची कीमतों पर तेल बेचने से रोकना है। नॉस्ट्रैंड ने कहा, ‘मूल्य सीमा इस तरह तय की गई है कि रूस कच्चा तेल तो बेचता रहे मगर उसे पहले से कम कीमत पर बेचने के लिए मजबूर हो जाए।’ उन्होंने कहा कि इसका मकसद ऐसा बाजार तैयार करना है, जहां खरीदारों को रूस से बेहतर सौदे मिल सकें।

अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और ब्रिटेन के समूह जी-7 ने पश्चिमी देशों की जहाजरानी और बीमा कंपनियों को 60 डॉलर प्रति बैरल या इससे अधिक कीमत पर बेचे जाने वाले रूसी कच्चे तेल में हाथ डालने से रोक दिया है। 5 दिसंबर 2022 को लगाई इस रोक के साथ ही यूरोपीय संघ के राष्ट्रों को रूस से समुद्र के रास्ते कच्चा तेल तथा रिफाइंड पेट्रोलियम उत्पादन मंगाने से भी रोक दिया गया है।

लंदन की कमोडिटी डेटा विश्लेषण फर्म वोर्टेक्सा का अनुमान है कि मार्च में लगातार 18वें महीने रूस कच्चे तेल की सबसे अधिक आपूर्ति करने वाला देश बना रहा। रोजाना 13.6 लाख बैरल कच्चे तेल की आपूर्ति के साथ मार्च में रूस से आयात फरवरी के मुकाबले करीब 7 फीसदी बढ़ गया।

पहले विश्लेषकों का अनुमान था कि रूस के अग्रणी टैंकर ग्रुप सोवकॉमफ्लॉट पर 23 फरवरी को लगे अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद वहां से आयात घट जाएगा। यूक्रेन पर रूस की चढ़ाई के दो साल पूरे होने पर सोवकॉमफ्लॉट के 14 टैंकरों पर ये प्रतिबंध लगाए गए हैं।

एना ने कहा कि मूल्य सीमा तय करने से रूस को अपना धन जंग के मैदान में लगाने के बजाय तेल की मार्केटिंग का ढांचा तैयार करने में खर्च करना पड़ रहा है। उसे टैंक के बजाय टैंकर चुनने पड़ रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि रूस के लिए मूल्य सीमा से बाहर तेल बेचना महंगा बनाने का काम अमेरिका करता रहेगा। साथ ही यह भी पक्का किया जाएगा कि धोखे से मूल्य सीमा के भीतर तेल का व्यापार न हो।

दोनों अमेरिकी अ​धिकारियों ने इस बात पर जोर दिया कि भारत अपनी मर्जी के मुताबिक रूस से 60 डॉलर के नीचे और ऊपर तेल खरीदता रह सकता है।

First Published : April 4, 2024 | 11:07 PM IST