अंतरराष्ट्रीय

वर्ल्ड बैंक, IMF बैठकों में जलवायु वित्त पर सुस्त प्रगति

मीर देशों से उम्मीद की जा रही है कि वे 2020 से हर साल 100 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक जुटाएंगे, लेकिन वे बार-बार विफल रहे।

Published by
भाषा   
Last Updated- April 21, 2024 | 7:55 PM IST

वर्ल्ड बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की वार्षिक बैठकें जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए जरूरी खरबों डॉलर जुटाने की ठोस योजना के बिना खत्म हो गईं। इस साल अजरबैजान में संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन (सीओपी29) में सामूहिक मात्रात्मक लक्ष्य (एनसीक्यूजी) या नए जलवायु वित्त लक्ष्य पर चर्चा होनी है।

एनसीक्यूजी वह नयी राशि है, जिसे विकसित देशों को 2025 से हर साल विकासशील देशों में जलवायु कार्रवाई का समर्थन करने के लिए जुटाना होगा। अमीर देशों से उम्मीद की जा रही है कि वे 2020 से हर साल 100 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक जुटाएंगे, लेकिन वे बार-बार विफल रहे।

हाल ही में हुए एक विश्लेषण से पता चला है कि विकासशील देशों में वित्तीय प्रवाह 2023 में नकारात्मक हो गया। इसका मतलब है कि इन देशों को बाहरी वित्तपोषण से मिलने वाली राशि से अधिक भुगतान कर्ज चुकाने के लिए करना पड़ रहा है।

Also read: Apple भारत में अगले 3 साल में दे सकती है 5 लाख नौकरियां!

वर्ल्ड बैंक और IMF की शनिवार को समाप्त हुई वसंत बैठकों के दौरान जी7 और जी20 के वित्त मंत्रियों के बीच जलवायु और विकास उद्देश्यों के लिए विकासशील देशों को वित्त मुहैया कराने पर चर्चा हुई। बीस संवेदनशील देशों के समूह (वी20) ने जलवायु के प्रति संवेदनशील देशों के लिए रियायती वित्त बढ़ाने का आह्वान किया।

वर्ल्ड बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा ने उम्मीद जताई कि दानदाता अंतरराष्ट्रीय विकास संघ (आईडीए) के माध्यम से सबसे गरीब देशों को अतिरिक्त 100 अरब डॉलर की सहायता का इंतजाम कर सकते हैं।

IMF प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था ने 2020 से 3,300 अरब डॉलर खो दिए हैं। उन्होंने कहा कि सबसे गरीब देश अपने बजट का 14 प्रतिशत से अधिक ऋण भुगतान पर खर्च करते हैं और ब्याज दरों में बढ़ोतरी से यह राशि बढ़ जाती है।

First Published : April 21, 2024 | 7:55 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)