भारत ने विश्व व्यापार संगठन (डब्यूटीओ) में सिंगापुर द्वारा आपसी मान्यता समझौते (एमआरए) न होने की वजह से मांस और अंडे जैसी खाद्य वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध लगाने को लेकर सवाल उठाए हैं।
सिंगापुर की व्यापार नीति की समीक्षा के बाद भारत ने सिंगापुर से पूछा है, ‘भारत सिंगापुर से अनुरोध करता कि वह समग्र एफटीए के बावजूद भारत के नियामकीय प्राधिकारियों के साथ एमआरए न होने की वजह बताए, जो करीब दो दशक पुराना है।’ सिंगापुर भारत से कुछ खाद्य वस्तुओं के आयात की अनुमति नहीं दे रहा है।
सिंगापुर ने कहा है कि मांस, अंडे और उनके उत्पाद का आयात उन स्रोतों से किया जाए जो देश या इलाके सिंगापुर फूड एजेंसी (एसएफए) की खाद्य सुरक्षा और पशु स्वास्थ्य मानकों व जरूरतों का पालन करते हैं। इसमें कहा गया है, ‘मान्यता जरूरी है क्योंकि इन उत्पादों से खाद्य सुरक्षा जोखिम होता है और पशुओं की बीमारियां इनके माध्यम से आ सकती हैं। हम भारत को उसकी रुचि के लिए धन्यवाद देते हैं और हम खाद्य सुरक्षा के सक्षम प्राधिकारी सिंगापुर फूड एजेंसी (एसएफए) के साथ आगे की चर्चा का स्वागत करते हैं।’
एसएफए से मान्यता की प्रक्रिया दो चरण की है। पहले चरण में देश को मान्यता मिलती है, जिसमें देश का आकलन नियमों के पालन और पशुओं के बीमारी से मुक्ति का आकलन होता है, क्योंकि यह जनता के स्वास्थ्य से जुड़ा मसला है। दूसरे चरण में व्यक्तिगत प्रतिष्ठान की मान्यता मिलती है, जहां खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता के साथ निर्यात किए जाने वाले मांस के प्रसंस्करण संयंत्र की साफ सफाई का मूल्यांकन होता है।
सिंगापुर ने इस समय ऑस्ट्रेलिया, डेनमार्क, फिनलैंड, जापान, मलेशिया, नीदरलैंड्स, न्यूजीलैंड, पोलैंड, रिपपिब्लक आफ कोरिया, स्वीडन, थाईलैंड, यूक्रेन और अमेरिका के मान्यता प्राप्त फार्मों से ताजे अंडों के आयात की अनुमति दी है।
इसमें कहा गया है, ‘ब्रॉयलर चिकन और बत्तख के आयात की अनुमति सिर्फ मलेशिया के फार्मों से है। सुअर का आयात इंडोनेशिया के एक और मलेशिया के एक फार्म से हो सकता है। जो देश खुरपका और मुंहपका रोग से मुक्त नहीं हैं, वहां से डेरी उत्पादों का आयात सिर्फ ओआईसी गाइडलाइंस के मुताबिक ट्रीटमेंट के बाद ही हो सकता है।’
भारत इस समय अपने कारोबारी साझेदारों के साथ गैर शुल्क बाधाओं को लेकर सख्त रुख अपना रहा है। उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने एक तरह से धमकी दी थी कि अगर कुछ देश इस तरह की गैर शुल्क बाधाएं भारत के वस्तुओं और सेवाओं पर से नहीं हटाते हैं तो प्रतिकारात्मक कदम उठाए जा सकते हैं।
