अमेरिकी फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष बेन एस बर्नान्के ने इस हफ्ते बुधवार और गुरुवार को अमेरिकी सीनेट की बैंकिंग कमिटी के सामने हाजिरी दी।
उनसे अमेरिकी बैंक बेयर सर्टन्स को लाभ पहुंचाने के मामले में सवाल पूछा गया था। पिछले महीने बेयर ने यह घोषणा की थी कि उसकी वित्तीय हालत बहुत नाजुक हो चुकी है और ऐसे में अगर उसे तत्काल मदद नहीं पहुंचायी जाती तो बैंक को दिवालिया घोषित कर दिया जाता।तत्काल फेडरल रिजर्व ने सामने आते हुए बेयर को वित्तीय पैकेज की घोषणा की और साथ ही जेपी मॉर्गन ऐंड चेज को भी बेयर के अधिग्रहण के लिए सहयोग देने की पेशकश की।
इस बात को लेकर कुछ नीति निर्माताओं तथा डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी के सदस्यों ने आरोप लगाया कि बर्नान्के ने केवल बेयर को मदद पहुंचाने की ही कोशिश क्यों की।उनसे इस बात की भी सफाई मांगी गई की अगर भविष्य में भी बैंकों और वित्तीय संस्थानों की हालत खस्ता होती है तो क्या उन्हें भी फेडरल मदद पहुंचाएगा। साथ ही उन पर यह आरोप भी लगाए जाने लगे कि उन्होंने केंद्रीय बैंक की सीमाओं को पार करते हुए किसी खास बैंक को लाभ पहुंचाने की कोशिश की है।
इसके जवाब में बर्नान्के जब बैंकिंग कमिटी के सामने पेश हुए तो उन्होंने कहा कि जो भी कदम उठाए गए हैं, उनमें बड़े परिदृश्य में वित्तीय बाजार को ध्यान में रखा गया है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले समय में व्यक्तिगत स्तर पर किसी बैंक को फायदा पहुंचाने या संकट से बाहर निकालने का उनका कोई इरादा नहीं है।
उन्होंने कहा कि अगर तत्काल बेयर को सहायता प्रदान नहीं की जाती तो इस अमेरिकी बैंक के दिवालियेपन का असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता और साथ ही वित्तीय बाजार को भी गलत संदेश जा सकता था।इस बयान के जरिए बर्नान्के भले ही अपने ऊपर लग रहे आरोपों को कुछ हद तक गलत साबित करने में कामयाबी पाई हो, पर पिछले बुधवार को अपने एक बयान से वह फिर से सुर्खियों में छा गए। उन्होंने पहली बार माना कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था मंदी के कगार पर है।
बर्नान्के गत वर्ष सितंबर के बाद से ब्याज दरों में तीन फीसदी की कटौती कर चुके हैं और बयाज दरें फिलहाल 2.25 फीसदी पर बनी हुई हैं। बर्नान्के ने स्वीकार किया कि अर्थव्यवस्था में ठहराव आ चुका है। उन्होंने यह भी कहा कि ब्याज दरों में पिछली कटौतियों का पूरा असर अभी अर्थव्यवस्था पर देखने को नहीं मिला है और देर सवेर अर्थव्यवस्था पटरी पर आएगी।