अंतरराष्ट्रीय

हवाई विस्तार सीमित रखने से खुद को नुकसान – एमिरेट्स अध्यक्ष टिम क्लार्क

वर्ष 2014 में हुए द्विपक्षीय हवाई सेवा समझौते के तहत दोनों देश की विमानन कंपनियां हरेक दिशा में प्रत्येक सप्ताह 66,504 सीटों तक की सेवा का संचालन कर सकती हैं।

Published by
दीपक पटेल   
Last Updated- June 01, 2025 | 11:13 PM IST

विमानन कंपनी एमिरेट्स के अध्यक्ष टिम क्लार्क ने आज कहा कि विदेशी कंपनियों को अधिक द्विपक्षीय अधिकार नहीं देकर उनके लिए हवाई क्षेत्र सीमित रखना खुद को नुकसान पहुंचाने जैसा है। क्लार्क ने कहा कि हवाई परिवहन भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए संपदा को कई गुना बढ़ाने का माध्यम है।

क्लार्क का यह बयान भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच द्विपक्षीय उड़ान अधिकारों पर लंबे समय से चले आ रहे गतिरोध के बीच आया है। वर्ष 2014 में हुए द्विपक्षीय हवाई सेवा समझौते के तहत दोनों देश की विमानन कंपनियां हरेक दिशा में प्रत्येक सप्ताह 66,504 सीटों तक की सेवा का संचालन कर सकती हैं।

बताया जाता है कि यूएई अधिक क्षमता के साथ संचालन के लिए लगातार जबाव डालता रहा है। मगर भारतीय पक्ष- एयर इंडिया के कड़े विरोध के कारण- इसके खिलाफ रहा है। उसका कहना है कि विदेशी विमानन कंपनियों को अधिक पहुंच देने से लंबी दूरी के बाजार में उसकी महत्त्वाकांक्षा को चोट पहुंचेगी।

क्लार्क ने कहा कि दुबई की आबादी में बड़ा हिस्सा भारतीयों का है। इसमें पिछले एक दशक के दौरान तेजी से इजाफा हुआ है। उन्होंने कहा कि भारतीय मूल के लोग बड़ी तादाद में दुबई आते-जाते रहते हैं इसलिए एमिरेट्स को सीटें नहीं बढ़ाने की अनुमति देना एक तरह से अवसर का लाभ उठाने से वंचित रह जाना है।

उन्होंने कहा कि भारत सरकार रणनीतिक कारणों से विदेशी विमानन कंपनियों की क्षमता सीमित रखने की नीति अपना रही है। हालांकि, उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत सरकार आर्थिक वृद्धि दर बढ़ाने में विमानन क्षेत्र की भूमिका जरूर समझेगी।

क्लार्क ने कहा, ‘पिछले 20-30 वर्षों के दौरान विमानन क्षेत्र दुनिया की कई अर्थव्यवस्थाओं के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान देता रहा है। इन बातों पर विचार करते हुए अगर आप हवाई क्षेत्र के विस्तार की अनुमति नहीं देंगे तो यह अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारने के समान होगा। अब यह भारत सरकार को तय करना है कि वह क्या निर्णय लेती है।‘क्लार्क ने इंटरनैशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आईएटीए) की सालाना आम बैठक में मुख्य कार्यक्रम से इतर संवाददाता सम्मेलन में ये बातें कहीं।

भारत द्वारा पिछले कई वर्षों से उड़ान अधिकारों का विस्तार नहीं करने पर यूएई की विमानन कंपनी निराशा जताती रही है। मार्च 2023 में एमिरेट्स के अध्यक्ष टिम क्लार्क ने भारत के इस निर्णय को निराशाजनक बताया था और इस पर अफसोस जताया था कि मजबूत मांग के बावजूद उनकी कंपनी अतिरिक्त उड़ानों का परिचालन नहीं कर सकती।

पश्चिम एशिया की विमानन कंपनियों को अधिक द्विपक्षीय अधिकार देने के मुद्दे पर भारतीय विमानन कंपनियां बंटी हुई है। जून 2024 में एयर इंडिया और स्पाइसजेट के मुख्य कार्याधिकारियों ने विदेशी विमानन कंपनियों को अधिक पहुंच देने का विरोध किया था। उनकी दलील थी कि भारत सरकार को भारतीय हवाई अड्डों को वैश्विक केंद्रों में तब्दील करने पर ध्यान देना चाहिए। दूसरी तरफ आकाश एयर और इंडिगो के मुख्य कार्याधिकारियों ने किसी अंतिम निर्णय पर पहुंचने से पहले व्यापक मूल्यांकन करने का अनुरोध किया था।

एयर इंडिया के सीईओ और एमडी कैंपबेल विल्सन ने जून 2024 में यहां तक कह दिया कि विदेशी विमानन कंपनियों को अधिक अधिकार देने से भारतीय कंपनियों को नुकसान पहुंचेगा। उन्होंने कहा था,‘भारतीय विमानन कंपनियों ने हाल में 1,000 से अधिक विमानों का ऑर्डर दिया है। हमें इससे भी अधिक की जरूरत है। अगर विदेशी कंपनियों को अधिक अधिकार दिए गए तो हम इन विमानों को नहीं उड़ा पाएंगे और फिर हम उनको लेंगे भी नहीं।  इससे नुकसान ही पहुंचेगा।’

First Published : June 1, 2025 | 11:13 PM IST