प्रतीकात्मक तस्वीर
अमेरिका ने भारत को बौद्धिक संपदा (आईपी) अधिकारों की सुरक्षा और प्रवर्तन के लिए अपनी ‘प्राथमिकता निगरानी सूची’ में यथावत रखा है। अमेरिका ने मंगलवार को कहा कि इस मामले में भारत दुनिया की सबसे चुनौतीपूर्ण अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।
अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि (यूएसटीआर) ने स्वीकारा कि भारत ने आईपी क्षेत्र को मजबूत करने के लिए ‘सार्थक प्रगति’ की है। इनमें सार्वजनिक जागरूकता और अमेरिका से बढ़ती साझेदारी हैं लेकिन दीर्घकालिक चिंताएं कायम हैं। इस सूची में सात अन्य देश – चीन, रूस, इंडोनेशिया, चिली, अर्जेंटीना, मेक्सिको और वेनेजुएला हैं। उसने आगाह किया कि अगर देश अमेरिका की चिंताओं को हल करने में प्रगति करने में विफल रहे तो यूएसटीआर अंतरराष्ट्रीय विवाद समाधान तंत्र सहित अन्य कार्रवाई कर सकता है।
रिपोर्ट में सालाना समीक्षा प्रगति के हवाले से कहा गया, ‘प्रशासन बीते कई वर्षों से प्राथमिकता निगरानी सूची में शामिल देशों में घटनाक्रम पर करीबी नजर रख रहा है औ कार्य कर रहा है। यूएसटीआर आने वाले सप्ताहों में इन देशों पर स्पेशल 301 की कार्ययोजनाओं के तहत तय किए गए मानदडों के आधार पर घटनाक्रम की समीक्षा करेगा।’रिपोर्ट के अनुसार, ‘अमेरिका की चिंताओं को हल करने में विफल रहने वाले देशों पर यूएसटीआर उचित कार्रवाई करेगा। इसमें विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के व्यापार अधिनियम की धारा 301 या विवाद समाधान समझौता प्रक्रिया के अन्य व्यापार समझौते के तहत प्रवर्तन कार्रवाइयां शामिल हो सकती हैं।’
रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका इस मामले पर अपनी सक्रियता जारी रखेगा लेकिन भारत के संदर्भ में विशेष तौर पर पेटेंट के मुद्दे हैं। साझेदारों ने भारतीय कानून की व्याख्या में ‘अस्पष्टता’ के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की है। यूएसटीआर ने कहा कि भारत में ट्रेडमार्क जालसाजी की समस्या बनी हुई है। इसके अलावा अमेरिकी ब्रांड मालिक ट्रेडमार्क के खिलाफ जारी कार्यवाही में देरी और गुणवत्ता जांच में कमी के बारे में लगातार जानकारी देते हैं। भारत के उद्योग व आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग ने ट्रेडमार्क आवेदन की जांच को 30 दिन से कम समय में करने की पहल की है लेकिन इन ट्रेडमार्क के अधिकारों को रखने वाले ट्रेडमार्क की जांच की गुणवत्ता और लंबित कार्रवाइयों को लेकर चिंतित हैं।