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अब भारत में ही बनेगा अगली पीढ़ी का फाइटर जेट! ₹61,000 करोड़ का मेगा प्रोजेक्ट, फ्रांस की कंपनी करेगी सहयोग

रक्षा मंत्रालय की सिफारिश के बाद सफरान को मिली 61,000 करोड़ के प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी

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बीएस वेब टीम   
Last Updated- July 18, 2025 | 3:19 PM IST

भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय ने फ्रांस के साथ मिलकर अगली पीढ़ी के फाइटर जेट इंजन बनाने की सिफारिश की है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, यह साझेदारी भारत को एडवांस तकनीक और इंजन डिज़ाइन की क्षमता दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है। यह सिफारिश एक बड़े ₹61,000 करोड़ के प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जिसमें 120 किलोन्यूटन (kN) थ्रस्ट वाला इंजन तैयार किया जाएगा। यह इंजन भारत के भविष्य के फाइटर जेट प्रोग्राम जैसे कि एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) के लिए उपयोग किया जाएगा।

सफरान ने रोल्स रॉयस को पछाड़ा

भारत ने फ्रांस की सफरान कंपनी और ब्रिटेन की रोल्स रॉयस के प्रस्तावों की तुलना की थी। तकनीकी जांच के बाद यह पाया गया कि फ्रांस की सफरान कंपनी ने दो वजहों से बेहतर ऑफर दिया:

  • सफरान का प्रोजेक्ट भारत के AMCA प्रोग्राम के टाइमलाइन से मेल खाता है।
  • कंपनी ने इंजन बनाने की पूरी तकनीक भारत को देने का वादा किया है।

अभी तक भारत के सभी फाइटर जेट विदेशी इंजनों पर चलते हैं। इंजन ही फाइटर जेट का सबसे महंगा हिस्सा होता है। नई साझेदारी से भारत खुद अपने लड़ाकू विमानों के इंजन बनाने की दिशा में आगे बढ़ेगा।

‘कावेरी’ अब यूसीएवी और मरीन उपयोग के लिए

भारत पहले भी अपना इंजन बनाने की कोशिश कर चुका है। DRDO की लैब GTRE ने कावेरी इंजन पर सालों तक काम किया, लेकिन यह फाइटर जेट के लिए जरूरी ताकत नहीं दे सका। अब इस इंजन को ड्रोन (UCAV) और छोटे समुद्री जहाजों के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।

अमेरिका से मिले GE-F404 इंजन

15 जुलाई को अमेरिका ने भारत को GE-F404 इंजन की दूसरी खेप सौंपी। ये इंजन भारत के तेजस LCA Mk-1A के लिए हैं, जिसकी कुल 83 यूनिट भारतीय वायुसेना ने ₹48,000 करोड़ में ऑर्डर की हैं। यह ऑर्डर 2021 में दिया गया था और अब HAL (हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड) को इस वित्त वर्ष में 12 और इंजन मिलने की उम्मीद है।

GE के साथ F414 इंजन बनाने की तैयारी

HAL अब GE एयरोस्पेस के साथ मिलकर ज्यादा ताकतवर F414 इंजन भारत में ही बनाने की योजना पर भी काम कर रहा है। यह डील करीब 1 अरब डॉलर की हो सकती है और इसमें 80% तक तकनीकी ट्रांसफर का वादा किया गया है। इससे भारत में इंजन निर्माण की संपूर्ण व्यवस्था (ecosystem) तैयार होने की उम्मीद है।

First Published : July 18, 2025 | 3:19 PM IST