वाणिज्य सचिव सुनील बड़थ्वाल ने शुक्रवार को कहा कि मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) अधिक जटिल होते जा रहे हैं। इन जटिलताओं में गैर-सेवा, श्रम, पर्यावरण, बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर), सरकारी खरीद जैसे मामले शामिल हैं जो व्यापार के दायरे से बाहर के मसले हैं। यूरोपीय संघ (ईयू) का उदाहरण देते हुए सचिव ने कहा कि गैर-सेवा जैसे नए क्षेत्रों पर चर्चा के साथ व्यापार समझौते पर चल रही बातचीत जटिल हुई है।
बड़थ्वाल ने सेंटर फॉर ट्रेड ऐंड इन्वेस्टमेंट लॉ की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘भारत-यूरोपीय संघ एफटीए अधिक जटिल होगा। इसमें गैर सेवा जैसे कई नए विषय शामिल हैं, जो पहले कभी नहीं सुने गए। हम सोचते थे कि केवल वस्तु व्यापार और अन्य सेवाएं ही सेवाओं के निवेश के मुद्दे में शामिल हैं।’
इसी तरह से हाल में हुआ भारत- ब्रिटेन एफटीए भी जटिल समझौता है, जिसमें कुछ नियामक और सेक्टर से जुड़े क्षेत्र जैसे आईपीआर, गैर शुल्क बाधाएं, व्यापारिक उपचार, नवोन्मेष, बेहतर नियामक गतिविधियां, सरकारी खरीद, विवाद समाधान जैसे मसले शामिल हैं। इसके अलावा सेक्टरवार अध्याय भी हैं, जैसे डिजिटल ट्रेड, ई-कॉमर्स व अन्य।
वाणिज्य सचिव ने कहा कि भारत इस समय कई देशों के साथ व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहा है, जिसे देखते हुए ब्रिटेन के साथ हुआ समझौता भविष्य के व्यापार समझौतों के हिसाब से एक मानक समझौता है। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा, ‘यह मानक क्यों है? क्योंकि हम एक दृष्टिकोण अपनाने में सक्षम हैं। हम एक ऐसा मसौदा, कानूनी पाठ तैयार करने में सक्षम हैं जो हमारे हितधारकों, और साथ ही हितधारकों और वार्ताकारों को भी संतुष्ट कर सके।’ इसके अलावा भारत-ब्रिटेन एफटीए में पहली बार श्रम और पर्यावरण संबंधी प्रतिबद्धताओं को शामिल किया गया है।