संघर्षों और तनाव से प्रभावी तरीके से निपटने को आज के समय की विशेष जरूरत बताते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि विवादों और मतभेदों का समाधान संवाद और कूटनीति के जरिये करना चाहिए और एक बार सहमति बन जाए तो ईमानदारी से उसका पालन होना चाहिए।
एक अधिक समतामूलक वैश्विक व्यवस्था बनाने के लिए पांच सूत्री मंत्र देते हुए जयशंकर ने वैश्विक अवसंरचना में विकृतियों को सुधारने पर जोर दिया जो औपनिवेशिक कालखंड की विरासत हैं। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय अखंडता के प्रति सम्मान के साथ यह किया जाना चाहिए।
जयशंकर ने रूस के कजान में ब्रिक्स के ‘आउटरीच’ सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से शामिल होते हुए यह बात कही। सम्मेलन के मेजबान रूस के प्रधानमंत्री व्लादीमिर पुतिन हैं। उन्होंने कहा, ‘हम कठिन परिस्थितियों में मिल रहे हैं। विश्व को दीर्घकालिक चुनौतियों पर नए सिरे से सोचने के लिए तैयार रहना चाहिए। हमारा यहां एकत्रित होना इस बात का संदेश है कि हम ऐसा करने के लिए वाकई तैयार हैं।’
जयशंकर ने अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले के एक कथन का उल्लेख करते हुए कहा, ‘यह युद्ध का युग नहीं है।’
विदेश मंत्री ने कहा, ‘संघर्षों और तनाव से प्रभावी तरीके से निपटना आज के समय की विशेष जरूरत है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया है कि यह युद्ध का युग नहीं है। विवादों और मतभेदों का समाधान संवाद और कूटनीति से निकाला जाना चाहिए। एक बार सहमति हो जाए तो ईमानदारी से उसका पालन होना चाहिए।’
उन्होंने ब्रिक्स सत्र में कहा कि अंतरराष्ट्रीय कानून का बिना किसी अपवाद के पालन होना चाहिए और आतंकवाद के प्रति कतई बरदाश्त नहीं करने वाला रुख होना चाहिए। विदेश मंत्री ने कहा, ‘पश्चिम एशिया में चिंता के हालात को समझा जा सकता है।’
उन्होंने कहा कि पश्चिम एशिया में संघर्ष और फैलने को लेकर व्यापक चिंताएं हैं। ब्रिक्स सम्मेलन के अंतिम दिन कजान में ‘आउटरीच/ब्रिक्स प्लस’ बैठक आयोजित की गई। सत्र में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस और दुनियाभर के 20 से अधिक नेताओं ने भाग लिया।
जयशंकर ने इस बात की ओर संकेत दिया कि ब्रिक्स फोरम को यह समझना होगा कि वैश्वीकरण के लाभ ‘बहुत असमान’ रहे हैं, कोविड महामारी और अनेक संघर्षों ने ‘वैश्विक दक्षिण’ के बोझ को बढ़ा दिया है और स्वास्थ्य, खाद्य तथा ईंधन सुरक्षा को लेकर चिंताएं विशेष रूप से चिंताजनक हैं।