भारत और यूरोपीय संघ (EU) के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौता (FTA) जल्द ही मूर्त रूप ले सकता है। यह संकेत फ्रांस के विदेश व्यापार मंत्री लॉरेंट सेंट-मार्टिन ने एक महत्वपूर्ण बैठक के बाद दिया। उन्होंने कहा कि मौजूदा वैश्विक व्यापारिक अनिश्चितताओं के बीच यह ज़रूरी है कि भारत और यूरोपीय संघ दुनिया को यह संदेश दें कि वे मुक्त व्यापार में विश्वास रखते हैं, न कि व्यापार युद्धों में।
“मैं आशावादी हूं कि आने वाले हफ्तों या महीनों में हम एक समझौते पर पहुंच सकते हैं,” उन्होंने भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के साथ बैठक के बाद कहा। पीयूष गोयल इस समय फ्रांस के आधिकारिक दौरे पर हैं और 50 से अधिक सदस्यीय भारतीय व्यापार प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं।
रक्षा क्षेत्र बना भारत-फ्रांस संबंधों की ‘सफल कहानी’
लॉरेंट सेंट-मार्टिन ने भारत-फ्रांस द्विपक्षीय संबंधों में रक्षा क्षेत्र की भूमिका को ‘एक बड़ी सफलता की कहानी’ बताया और कहा, “हमें इस क्षेत्र को अन्य क्षेत्रों के लिए एक आदर्श मॉडल बनाना चाहिए।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि दोनों देशों के बीच न केवल आर्थिक बल्कि सांस्कृतिक संबंधों को भी मजबूत करने की आवश्यकता है।
मंत्री ने स्वीकार किया कि भारत और यूरोप के बीच व्यापार संबंध अपनी पूर्ण क्षमता तक नहीं पहुंचे हैं। उन्होंने कहा, “हमें निर्यात, निवेश और सह-निवेश को बढ़ावा देना चाहिए। FTA व्यापार सुगमता का एक रास्ता है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मुक्त व्यापार समझौते के तहत टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करना ज़रूरी है, लेकिन साथ ही कुछ संवेदनशील क्षेत्रों — जैसे कृषि, पर्यावरणीय मानदंड और स्वच्छता नियमों — की रक्षा भी करनी होगी।
उन्होंने कहा, “एक अच्छा व्यापार समझौता एक आम सहमति पर आधारित होता है, जिसमें दोनों पक्षों की चिंताओं और संवेदनशीलताओं को समझा जाता है।”
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फ्रांस की प्राथमिकताओं में शामिल है भारत
फ्रांसीसी मंत्री ने कहा कि भारत उनके लिए प्राथमिकता है और यूरोपीय आयोग (European Commission) भी इन वार्ताओं को तेज गति से आगे बढ़ाना चाहता है। “इस तरह की व्यापारिक बैठकों का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि वैश्विक व्यापार आज एक चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रहा है,” उन्होंने कहा।
भारत और यूरोपीय संघ के बीच मुक्त व्यापार समझौता निकट भविष्य में सामने आ सकता है। यदि यह समझौता संपन्न होता है, तो यह भारत-ईयू आर्थिक सहयोग को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकता है, जिससे दोनों पक्षों को व्यापार, निवेश और रणनीतिक हितों में दीर्घकालिक लाभ मिलेंगे।
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First Published : June 3, 2025 | 9:02 PM IST