अमेरिका ने भारत के साथ ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक वृद्धि में सहयोग करने की प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की है। अमेरिकी दूतावास के अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि अमेरिका तेल, गैस, परमाणु ऊर्जा, ऊर्जा की उभरती तकनीकों और महत्त्वपूर्ण खनिजों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
अमेरिकी दूतावास की प्रमुख वाणिज्यिक अधिकारी जियाबिंग फेंग ने नई दिल्ली में इंडो-अमेरिकन चैम्बर ऑफ कॉमर्स में महत्त्वपूर्ण खनिजों की बढ़ती वैश्विक मांग को उजागर किया। उन्होंने कहा, ‘महत्त्वपूर्ण खनिजों की बढ़ती वैश्विक मांग के दौर में अमेरिका और भारत के पास विश्वसनीय और टिकाऊ आपूर्ति श्रृंखलाएं तय करने में अग्रणी भूमिका निभाने का अवसर है।’
उन्होंने कहा, ‘दोनों देशों की रुचि समुद्र की तलहटी में खनिज अन्वेषण से लेकर उन्नत प्रसंस्कृत तकनीकों में है। इससे दोनों देश ऊर्जा की कमी, उभरती तकनीकों, रक्षा और विनिर्माण की जरूरतों के लिए खनिजों की पहुंच सुनिश्चित कर सकेंगे।
फेंग ने भारत-अमेरिका सहयोग के लिए तीन क्षेत्रों की उजागर किया और यह बदलाव ला सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘भारत और अमेरिका ऊर्जा संसाधनों और आधारभूत ढांचे को मजबूत बनाने की खातिर विविधीकृत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। भारत प्राकृतिक गैस, परमाणु ऊर्जा और उभरती परमाणु ऊर्जा की तकनीकों में अमेरिका की दक्षता का फायदा उठा सकता है। अमेरिका भारत के ऊर्जा सुरक्षा और ग्रिड आधुनिकीकरण के महत्त्वाकांक्षी लक्ष्यों का समर्थन कर सकता है।’
उन्होंने आगे कहा कि अमेरिकी कंपनियां स्मार्ट ऊर्जा समाधान विकसित करने के लिए भारतीय समकक्षों के साथ साझेदारी करने और उन्हें बेचने के लिए उत्सुक हैं। फेंग ने बताया कि अमेरिका और भारत ने अमेरिका-भारत 123 असैन्य परमाणु समझौते को पूर्ण रूप से क्रियान्वित करने के अपने दृढ़ संकल्प को दोहराया है। इसके तहत बड़े पैमाने पर स्थानीयकरण और संभावित प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के माध्यम से भारत में अमेरिकी डिजाइन वाले परमाणु रिएक्टरों का निर्माण करने की योजना है।