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Yamuna pollution: अकेली दिल्ली नहीं, यमुना में प्रदूषण के कई राज्य जिम्मेदार

संसद की रिपोर्ट में खुलासा, उत्तराखंड-हिमाचल में जल गुणवत्ता बेहतर, लेकिन दिल्ली, यूपी और हरियाणा में प्रदूषण चरम पर

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शिखा चतुर्वेदी   
Last Updated- February 19, 2025 | 11:39 PM IST

उत्तर भारत में लाखों लोगों को आजीविका कमाने में मददगार यमुना नदी गंभीर प्रदूषण के संकट से जूझ रही है। अक्सर कहा जाता है कि नई दिल्ली में प्रवेश के साथ ही इस जीवनदायिनी नदी के पानी में जहर घुलना शुरू हो जाता है, लेकिन यह पूरी तरह सच नहीं है। आंकड़ों से पता चलता है कि कई अन्य राज्यों के खराब सीवेज ट्रीटमेंट संयंत्र भी नदी को जहरीला बनाने के लिए जिम्मेदार हैं।

उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश इस मामले में अच्छा काम कर रहे हैं। उनके यहां जहां-जहां से यह नदी गुजर रही है, वहां स्थित प्रदूषण निगरानी केंद्र जल गुणवत्ता मानकों का पूरी तरह पालन कर रहे हैं। लेकिन वर्ष 2024 में जल संसाधनों पर संसद की स्थायी समिति द्वारा पेश रिपोर्ट के आंकड़ों से पता चलता है कि उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा के यमुना में प्रदूषण की निगरानी करने वाले केंद्रों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है।

इस रिपोर्ट के अनुसार हरियाणा का एक भी जल गुणवत्ता निगरानी केंद्र मानकों पर खरा नहीं उतरता है। इसी प्रकार दिल्ली का एक केंद्र तो इन मानकों की पूर्ति करता है, लेकिन घुलित ऑक्सीजन, पीएच स्तर, जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग और मल कोलीफॉर्म आदि मानकों पर छह की हालत खस्ता है। उत्तर प्रदेश के जल गुणवत्ता निगरानी केंद्रों की स्थिति सबसे खराब है। इसके 12 केंद्रों में से केवल एक ही ऐसा है, जो पानी की गुणवत्ता जांचने के मानकों को पूरा करता है। अन्य सभी लचर अवस्था में हैं।

First Published : February 19, 2025 | 11:39 PM IST