भारत

Women’s reservation bill: कानून मंत्री ने संसद में पेश किया 4 संशोधन प्रस्ताव, सोनिया गांधी का समर्थन मगर एक चिंता भी

128th Constitutional Amendment Act: इसमें क्लॉज 3 के अंतर्गत ऑर्टिकल 330 में 33A सेक्शन जोड़ा गया जिसके तहत महिलाओं के लिए लोकसभा में 33 फीसदी आरक्षण होगा

Published by
बीएस वेब टीम   
Last Updated- September 21, 2023 | 11:54 AM IST

संसद सत्र में आज तीसरे दिन केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने संसद और विधानसभाओं में महिला सीटों के आरक्षण को लेकर संविधान संशोधन बिल का प्रस्ताव रखा। यह संशोधन संविधान का 128वां संशोधन विधेयक है। इस दौरान, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह अमृतकाल की बेला में भारत को विकसित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाने वाला बिल है।

इस बिल के प्रस्ताव को संसद के सामने रखते समय केंद्रीय मंत्री ने बाबासाहेब आंबेडकर के राजनीतिक समानता वाले बयान को याद दिलाया और कहा कि बाबासाहेब की चेतावनी के बाद भी आने वाली सरकारों ने उनकी बात का ध्यान नहीं रखा लेकिन उसे मोदी सरकार ने लागू किया।

संविधान संशोधन करते हुए केंद्रीय मंत्री ने चार संशोधन का प्रस्ताव रखा। जो कुछ इस तरह से हैं-

  • संविधान संशोधन को पेश करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पहले क्लॉज ऑर्टिकल 239 में 239AA जोड़ा जा रहा है जिसके तहत नैशनल कैपिटल दिल्ली की असेंबली में महिलाओं के लिए 33 फीसदी रिजर्वेशन सुनिश्चित होगा।
  • क्लॉज 3 के अंतर्गत ऑर्टिकल 330 में 33A सेक्शन जोड़ा गया जिसके तहत महिलाओं के लिए लोकसभा में 33 फीसदी आरक्षण होगा।
  • तीसरे संशोधन बिल के क्लॉज 4 के मुताबिक, संविधान के ऑर्टिकल 332 के बाद एक नया ऑर्टिकल 33A जोड़ा जा रहा है जिसके तहत महिलाओं के लिए राज्य विधानसभाओं में 33 फीसदी सीटों का प्रावधान महिलाओं के लिए होगा।
  • क्लॉज 5 के मुताबिक, संविधान का ऑर्टिकल 334 के बाद एक नया ऑर्टिकल 33A जोड़ा जा रहा है जिसके अनुसार, महिलाओं के लिए ये आरक्षण 15 सालों के लिए प्रभावी रहेगा। इसके बाद और समय के लिए आरक्षण बढ़ाने का अधिकार संसद के पास होगा।

संशोधन के प्रस्ताव को रखने के बाद केंद्रीय मंत्री मेघवाल ने कांग्रेस पर निशाना साधा और 33 फीसदी आरक्षण को लेकर अपनी पार्टी की सराहना की। उन्होंने कहा कि इसके पहले भी जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार थी, तब भी भाजपा ने यह बिल लाया था, कई बार उन्होंने सर्वसम्मति की बैठक बुलाई लेकिन यह पारित नहीं हो सका। उन्होंने कहा कि 1996 में 11वीं लोकसभा के दौरान एस. डी. देवगौड़ा के समय यह प्रस्तुत किया गया लेकिन संविधान कमेटी में चला गया। लेकिन बाद में लोकसभा भंग होने के बाद यह पारित नहीं हो सका।

उन्होंने कहा कि दिसंबर 2009 में कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद जब मनमोहन सरकार ने भी यह प्रस्ताव लाया था तो भाजपा ने इस बिल का खुले मन से सपोर्ट किया था।

क्या कहा कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने?

मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की तरफ से सोनिया गांधी ने समर्थन किया और कहा उन्होंने कहा, ‘धुएं से भरी हुई रसोई से लेकर रोशनी से जगमगाते हुए स्टेडियम तक, भारतीय स्त्री का सफर बहुत लंबा है और आखिरकार उसने मंजिल को छू लिया है।’ उन्होंने कहा, ‘उसने जन्म दिया, परिवार चलाया, उसने पुरुषों के बीच तेज दौड़ लगाई और धीरज के साथ अक्सर खुद को हारते हुए लेकिन आखिरी बाजी में जीतते हुए देखा।’ उन्होंने कहा कि भारतीय स्त्री ने सबके भलाई के लिए हमेशा सोचा है। वह आराम को नहीं पहचानती और थक जाना भी नहीं जानती।

इंदिरा गांधी से लेकर सरदार पटेल, राजीव गांधी को किया सोनिया गांधी ने याद

विपक्ष नेता सोनिया गांधी ने महिला आरक्षण बिल का समर्थन करते हुए कहा, ‘यह मेरी जिंदगी का मार्मिक क्षण है, पहली बार स्थानीय निकायों में स्त्री की भागीदारी तय करने वाला संविधान संशोधन मेरे जीवन साथी राजीव गांधी ही लेकर आए थे… बाद में पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में कांग्रेस ने उसे पारित कराया था, आज उसका नतीजा है कि आज देश भर के स्थानीय निकायों में हमारे पास 15 लाख चुनी हुई महिला नेता हैं। राजीव गांधी का सपना अभी तक आधा ही पूरा हुआ है, इस बिल के पारित होने के साथ वह पूरा होगा।

सोनिया गांधी को एक चिंता भी

महिला आरक्षण को लेकर सोनिया गांधी ने प्रस्ताव का समर्थन तो किया लेकिन एक सवाल भी पूछ लिया। उन्होंने कहा, ‘भारतीय स्त्रियां अपनी राजनीतिक जिम्मेदारी का इंतजार कर रही हैं और उन्हें कुछ और वर्ष इंतजार करने के लिए कहा जा रहा है, कितने वर्ष? 2 वर्ष.. 4 वर्ष.. 8 वर्ष…। कितने वर्ष? क्या भारत की स्त्रियों के साथ यह बर्ताव उचित है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की मांग है कि यह बिल फौरन अमल में लाया जाए।’

First Published : September 20, 2023 | 12:21 PM IST