फोटो क्रेडिट: Microsoft
बीते हफ्ते दुबई में विश्व सरकार शिखर सम्मेलन चल रहा था। पूरी दुनिया से अलग-अलग देशों के नेता, कंपनियों के मालिक, CEO आदि इस सम्मेलन में भाग लेने दुबई पहुंचे थे। इस दौरान Google के CEO सुंदर पिचाई ने अपने संबोधन में एक बड़ी बात कही। उन्होंने कहा कि 10 साल पहले जैसे AI हमारे लिए जो था, वह आज के हिसाब से क्वांटम कंप्यूटर है। उन्होंने क्वांटम कंप्यूटर को तकनीक के क्षेत्र में अगली बड़ी छलांग बताई और इसे ही भविष्य करार दिया।
पिचाई ने कहा, “क्वांटम कंप्यूटर को डेवलप करना आधुनिक विज्ञान की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। लेकिन बड़ी कंपनियां इसपर लगातार काम कर रही हैं। हमें पूरी उम्मीद है कि भविष्य इसका है और हमें इसे हासिल करेंगे।”
पिचाई से पहले इस साल की शुरुआत में Nvidia के CEO जेन्सेन हुआंग भी इसको लेकर भविष्यवाणी कर चुके हैं। उन्होंने कहा था कि क्वांटम कंप्यूटर भविष्य में बहुत उपयोगी बन जाएंगे, लेकिन इसमें अभी भी दशकों लगेंगे।
लेकिन इन बयानों के कुछ दिनों बाद टेक की दुनिया की एक और दिग्गज कंपनी Microsoft ने बीते दिनों पहले क्वांटम प्रोसेसर, Majorana 1 लॉन्च करने की घोषणा की। कंपनी ने बताया कि किसी दूसरे चिप के मुकाबले Majorana 1 को पूरी तरह से नए प्रकार के मैटेरियल और पार्टिकल, यानी Majorana पार्टिकल का उपयोग करके बनाया गया है।
Microsoft का कहना है कि यह चिप इतनी शक्तिशाली है कि इसे 10 लाख क्यूबिट्स तक स्केल (बढ़ाया) किया जा सकता है, फिर भी यह इतनी छोटी है कि यह आपकी हथेली में समा सकती है। लेकिन 10 लाख क्यूबिट्स तक स्केल होने वाली क्वांटम चिप का असल में क्या मतलब है? Microsoft का कहना है कि 10 लाख क्यूबिट्स वाला क्वांटम कंप्यूटर दुनिया के सभी मौजूदा कंप्यूटरों को मिलाकर भी उससे कहीं ज्यादा शक्तिशाली होगा। YouTube पर एक पॉडकास्ट में, Microsoft के CEO सत्य नडेला ने कहा कि कंपनी 2027-29 के बीच व्यावसायिक उपयोग के लिए क्वांटम कंप्यूटर बनाना शुरू कर देगी।
19 फरवरी को प्रकाशित अपने ब्लॉग पोस्ट में कंपनी ने कहा, “जिस तरह से सेमीकंडक्टर्स के आविष्कार ने आज के स्मार्टफोन, कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग को एक नई दिशा दी है, उसी तरह टोपोकंडक्टर्स और उनके द्वारा विकसित किए गए नए चिप क्वांटम सिस्टम को बनाने की दिशा में काम करेंगे, जो एक मिलियन क्यूबिट्स तक स्केल हो सकते हैं और सबसे मुश्किल समस्याओं का समाधान कर सकते हैं।” हालांकि, कंपनी ने अभी तक अपने क्वांटम चिप को लेकर कोई डेटा जारी नहीं किया और न ही खुलकर बताया है कि यह वास्तविक तौर पर कैसे काम करेगा।
बीते 20 सालों में Microsoft के रिसर्चर्स ने टोपोलॉजिकल क्यूबिट्स (topological qubits) डेवलप करने पर अपना ध्यान लगाया है। टेक एक्सपर्ट का मानना है कि यह ये पारंपरिक क्यूबिट्स की तुलना में अधिक स्थिर होते हैं और शुरुआत से ही इसमें कम एरर करेक्शन की जरूरत होती है। हालांकि, कंपनी ने बाद में यह स्वीकार किया था कि टोपोलॉजिकल क्यूबिट्स डेवलप करना एक बड़ी चुनौती का काम था, क्योंकि इसे डेवलप करना एक मुश्किल प्रक्रिया थी।
कंपनी ने कहा, “सबसे बड़ी समस्या यह थी कि हाल ही तक जिन अजीब कणों (exotic particles) का हम उपयोग करना चाहते थे, जिन्हें Majorana कहा जाता है, उन्हें कभी देखा या बनाया ही नहीं गया था।” Majorana fermions को पहली बार 80 साल पहले इटली के भौतिकविद् Ettore Majorana ने सिद्धांत रूप में दिया था। ये कण अपने खुद के एंटी-पार्टिकल्स होते हैं। लेकिन, इन कणों का भौतिक रूप से कोई प्रमाण नहीं था।
पिछले दशक में, रिसर्चर ने Majorana fermions के एक प्रकार Majorana zero mode – MZM के संकेत पाए, जिसमें इलेक्ट्रॉनों और अन्य कणों का समूह एकल कण के रूप में काम करता है। यह IEEE Spectrum में प्रकाशित एक वैज्ञानिक रिपोर्ट के अनुसार कहा गया।
इन नए कणों को वास्तविक रूप देने के लिए, Microsoft ने सबसे पहले टोपोलॉजिकल कंडक्टर (topological conductors) या टोपोकंडक्टर्स (topoconductors) बनाने की योजना बनाई। पारंपरिक सेमीकंडक्टर्स, जो आमतौर पर सिलिकॉन से बने होते हैं, के विपरीत Microsoft का टोपोकंडक्टर इंडियम आर्सेनाइड से बना है। इसका इस्तेमाल इंफ्रारेड डिटेक्टर में भी किया जाता है।
टोपोकंडक्टर्स को इंडियम आर्सेनाइड (एक सेमीकंडक्टर) और एल्युमिनियम को मिलाकर बनाया जाता है। जब इसे लगभग जीरो डिग्री के तापमान तक ठंडा किया जाता है और चुंबकीय क्षेत्रों के साथ ट्यून किया जाता है, तो यह सेमीकंडक्टिविटी को सुपरकंडक्टिविटी के साथ जोड़ता है।
Majorana 1 Microsoft का पहला क्वांटम चिप है जो एक नए प्रकार के मैटेरियल का इस्तेमाल करता है, जिसे टोपोकंडक्टर या टोपोलॉजिकल सुपरकंडक्टर कहा जाता है। यह Majorana पार्टिकल्स को बनाने और नियंत्रित करने का काम करता है, जो एक खास तरह का कण है और प्राकृतिक रूप से मौजूद नहीं होता। लेकिन यह सुपरकंडक्टर्स और मैग्नेटिक फील्ड्स की मदद से खास परिस्थितियों में बनाया जा सकता है।
टोपोकंडक्टर एक बिल्कुल नया स्टेट ऑफ मैटर बनाता है, जो “न तो ठोस, न तरल, न गैस, बल्कि एक टोपोलॉजिकल स्टेट ” है। यह क्वांटम कंप्यूटिंग में एक खास फायदा देता है क्योंकि यह क्यूबिट्स—क्वांटम कंप्यूटर की बेसिक यूनिट्स को ज्यादा स्थिर और गलतियों से कम प्रभावित बनाता है।
आजकल ज्यादातर क्वांटम प्रोसेसर, जैसे कि Google, इंटेल और IBM द्वारा बनाए गए, इलेक्ट्रॉन्स या सुपरकंडक्टिंग सर्किट्स पर आधारित क्यूबिट्स का इस्तेमाल करते हैं। ये सिस्टम भले ही उम्मीद जगाने वाले हों, लेकिन इन्हें ठीक ढंग से काम करने के लिए बहुत सारी जटिल एरर करेक्शन की जरूरत होती है। दूसरी ओर, Microsoft का टोपोलॉजिकल क्यूबिट्स वाला तरीका हार्डवेयर लेवल पर ही एरर रेसिस्टेंस देता है, जिससे अतिरिक्त सुधार की जरूरत काफी कम हो जाती है। नतीजतन, Majorana 1 बेहतर स्थिरता, तेज प्रोसेसिंग, और आसान स्केलेबिलिटी हासिल कर सकता है, जो इसे बाकी क्वांटम चिप्स से बेहतर बनाता है।
Microsoft के टेक्निकल फेलो चेतन नायक ने क्वांटम कंप्यूटिंग में स्केलेबिलिटी के महत्व पर जोर देते हुए कहा, “क्वांटम स्पेस में जो भी आप कर रहे हैं, उसके पास 10 लाख क्यूबिट्स तक पहुंचने का रास्ता होना चाहिए। अगर ऐसा नहीं है, तो आप उन बड़े पैमाने की समस्याओं को हल करने से पहले ही दीवार से टकरा जाएंगे, जो हमें प्रेरित करती हैं। हमने वास्तव में 10 लाख तक का रास्ता ढूंढ लिया है।”
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, एक्सपर्ट को क्वांटम कंप्यूटिंग अभी भी एक दूर की तकनीक लगती है जिसका तुरंत कोई प्रभाव देखने को नहीं मिलेगा। इसके बारे में अभी भी जानकारी बहुत साफ नहीं है। ज्यादातर लोग इसे बस एक बहुत शक्तिशाली कंप्यूटर के रूप में समझते हैं जो बहुत तेजी से कोई काम सकता है। लेकिन यह तकनीक अभी भी रिसर्चर्स के हाथों में सीमित है और लोगों तक पहुंचने से पहले जब तक इसका अंतिम रूप नहीं आएगा, कुछ भी कहना मुश्किल है।
कुछ एक्सपर्ट का मानना है कि क्वांटम कंप्यूटिंग के चलते रोजमर्रा की जिंदगी पर बड़ा असर पड़ सकता है। यह मेडिसिन और ड्रग डिस्कवरी के क्षेत्र में क्रांति ला सकता है, क्योंकि यह मोलेक्यूल्स और केमिकल रिएक्शन को उस तरह से सिमुलेट कर सकता है जो क्लासिकल कंप्यूटर नहीं कर सकते। यह जलवायु परिवर्तन की समस्याओं को हल करने में मदद कर सकता है, जैसे कि ज्यादा कुशल सोलर पैनल्स, बैटरी, और कार्बन कैप्चर की तकनीकों को विकसित करके।
इसे AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के क्षेत्र में भी योगदान देने वाला माना जाता है, जो कि बहुत बड़ा सुधार हो सकता है, क्योंकि यह इसे और कुशल, सटीक और जटिल समस्याओं, जैसे प्राकृतिक आपदाओं की भविष्यवाणी या ट्रैफिक सिस्टम को रियल-टाइम में ऑप्टिमाइज करना आसान बना सकता है।