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MPLAD: सांसद विकास निधि में बिना खर्च राशि हुई दोगुनी

MPLADS fund: मौजूदा लोक सभा के लिए 5,185 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे और इसमें से 842 करोड़ खर्च नहीं हो सके।

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शिवा राजौरा   
Last Updated- May 02, 2024 | 12:00 AM IST

वर्ष 2019 में निर्वाचित सांसदों ने सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (एमपीएलएडी) में आवंटित राशि अपने पूर्ववर्ती सांसदों की तुलना में कम खर्च की है। इस योजना के तहत मौजूदा लोक सभा में इस्तेमाल नहीं की गई राशि बढ़कर 16 फीसदी हो गई जबकि 16वीं लोक सभा (2014-19) में यह 8.7 फीसदी थी।

सांख्यिकीय व कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के अप्रैल 2022 के आंकड़े के अनुसार मौजूदा लोक सभा के लिए जिला प्राधिकारियों के पास कुल 5,185 करोड़ रुपये खर्च के लिए उपलब्ध थे, लेकिन इसमें से 842 करोड़ खर्च नहीं किए गए।

कोविड के करीब 18 महीनों के दौरान यह योजना स्थगित कर दी गई थी, इसके बावजूद योजना में बिना खर्च की गई राशि में तेजी से उछाल आया। केंद्र सरकार ने बीती लोक सभा की तुलना में इस योजना में सांसदों के इस कोष में राशि आधे से भी कम कर दी है। दरअसल, बीती लोक सभा में 12,945 करोड़ रुपये जारी किए गए थे।

हालांकि 15वीं लोक सभा (2009-14) में कुल आवंटित राशि (10,926 करोड़ रुपये) में केवल 3.4 फीसदी (379 करोड़) राशि का इस्तेमाल नहीं हो पाया था। इसी तरह, 14वीं लोक सभा (2004-09) में आवंटित राशि 14,482 करोड़ रुपये में से एक फीसदी से भी कम (143 करोड़ रुपये) खर्च नहीं किया गया था।

इस योजना के तहत प्रत्येक वर्ष हर सांसद को अपने संसदीय क्षेत्र में विकास कार्य करने के लिए 5 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है। इस योजना के अंतर्गत सांसद अपने संसदीय क्षेत्रों में जो कार्य करवाना चाहते हैं, उसके लिए जिले के प्राधिकारियों को सिफारिश भेज सकते हैं। इसके तहत परियोजनाओं में विभिन्न क्षेत्र जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, साफ-सफाई, कृषि से लेकर सड़क के निर्माण तक के कार्य शामिल हैं।

इस परियोजना के दिशानिर्देशों के मुताबिक सांसदों को दीर्घावधि के सार्वजनिक उपयोग और स्थानीय जरूरतों के अनुसार समुदाय के लिए लंबे समय तक रहने वाली संपत्तियों के सृजन के लिए सिफारिश करनी चाहिए।

इस योजना के अंतर्गत उपयोगिता का अनुपात 100 फीसदी से अधिक भी हो सकता है। इसके अनुपात की गणना सरकार द्वारा जारी राशि के आधार पर की जाती है। आंकड़ों के अनुसार 2019 में चुने गए 17वीं लोक सभा के सांसदों ने स्थानीय क्षेत्र विकास योजना के तहत अपने संसदीय क्षेत्रों में इस कोष का 96.3 फीसदी उपयोग किया।

हालांकि 16वीं लोक सभा (99 फीसदी ) और 15वीं लोक सभा (102.7 फीसदी) के सांसदों ने इस कोष का अधिक उपयोग किया था। प्रमुख राज्यों और केंद्रशासित प्रदेश के सांसदों में इस कोष के उपयोग के मामले में हरियाणा के सांसदों (74 फीसदी) का सबसे खराब प्रदर्शन रहा।

इसके बाद जम्मू और कश्मीर (77.5 फीसदी), तेलंगाना (78 फीसदी) और पश्चिम बंगाल (80 फीसदी) है। हालांकि इस कोष के इस्तेमाल करने में अव्वल आंध्र प्रदेश (131 फीसदी) था। इसके बाद गुजरात (109 फीसदी), कर्नाटक (107 फीसदी) और हिमाचल प्रदेश (105 फीसदी) हैं।

First Published : May 1, 2024 | 11:31 PM IST