अमेरिका और यूरोपीय संघ (EU) द्वारा लगाए गए नए प्रतिबंधों और टैरिफ (आयात शुल्क) के कारण, भारत को सितंबर में रूस से बहुत कम तेल मिलने की संभावना है। लेकिन बिज़नेस स्टैंडर्ड को मिले नए डेटा के अनुसार, अगस्त में भी रूस से आने वाले एक- तिहाई तेल की डिलिवरी पर भी खतरा मंडरा रहा है जो भारत के कुल कच्चा तेल आयात का लगभग 10 फीसदी है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, रूस से भारत आ रहे 40 से अधिक तेल टैंकरों में से आधे से ज्यादा टैंकर 21 अगस्त के बाद भारत पहुंचेंगे। 27 अगस्त से अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए दूसरे टैरिफ प्रभावी हो जाएंगे, जिसके कारण ये टैंकर अपना माल उतार पाएंगे या नहीं इसको लेकर अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है। इनमें से लगभग आधे टैंकर, रिलायंस इंडस्ट्रीज और नायरा एनर्जी द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सिक्का और वाडीनार बंदरगाहों की ओर जा रहे हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की टैरिफ घोषणा से अगस्त में भारतीय तेल आयात में रूस के तेल की हिस्सेदारी जून के 45 फीसदी और जुलाई के 34 फीसदी से घटकर 20 फीसदी से भी कम होने का अनुमान है, जो पिछले 3 साल में सबसे कम है।
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वहीं, अप्रैल और मई में भारत के कच्चे तेल आयात में, अमेरिका के तेल की हिस्सेदारी दोगुनी होकर 8 फीसदी हो गई है जो वित्त वर्ष 2025 में 4 फीसदी थी। अमेरिकी निवेश बैंक गोल्डमैन सैक्स ने 7 अगस्त के एक नोट में कहा कि सभी छूट के बाद भी भारतीय आयात पर कुल प्रभावी अमेरिकी टैरिफ करीब 32 फीसदी अंक है।
समुद्री खुफिया एजेंसी केप्लर के डेटा के अनुसार, रूस का लगभग 1.6 करोड़ कच्चा तेल जोखिम में है जो 20 टैंकरों में लदा हुआ है और 22 से 31 अगस्त के बीच भारत में उतरने वाला है। भारत ने जून में 6.3 करोड़ बैरल और जुलाई में 5 करोड़ बैरल रूसी तेल का आयात किया था। उद्योग के अधिकारियों का कहना है कि अमेरिकी प्रतिबंधों से बचने के लिए, रिफाइनरी कंपनियां आमतौर पर प्रतिबंध लागू होने से कुछ दिन पहले ही कच्चा तेल लेना बंद कर सकती हैं। एक प्रमुख रिफाइनरी अधिकारी ने कहा, ‘रिफाइनरी करार के तहत समूचा तेल तब तक लेंगी जब तक कि अमेरिकी सरकार के प्रतिबंधों से कोई समस्यान हो।’
राष्ट्रपति ट्रंप ने व्हाइट हाउस के एक कार्यकारी आदेश के जरिये भारत द्वारा रूस से लगातार तेल खरीदने के कारण भारतीय सामान के आयात पर 25 फीसदी का अतिरिक्त ‘यथामूल्य’ शुल्क लगाया गया है जो 27 अगस्त से प्रभावी होगा। इससे भारतीय आयात का कुल टैरिफ 50 फीसदी हो जाएगा।
एक अन्य सरकारी रिफाइनरी अधिकारी ने कहा, ‘पिछले व्यापार चक्र में अनुबंधित रूस का कार्गो सितंबर या अक्टूबर की शुरुआत तक ही डिलिवर हो पाएंगे। लेकिन पहले जो सौदे हो चुके हैं, वे निश्चित रूप से अगस्त की समय-सीमा पार कर जाएंगे।’ उन्होंने आगे कहा, ‘तकनीकी रूप से, रूसी कार्गो के संबंध में कुछ भी नहीं बदला है और रिफाइनरियां निर्धारित समय-सीमा के बाद भी डिलिवरी लेना जारी रख सकती हैं।’
पिछले हफ्ते, सरकारी रिफाइनर हिंदुस्तान पेट्रोलियम के अध्यक्ष विकास कौशल ने निवेशकों से कहा कि भारत सरकार ने तेल कंपनियों से रूसी तेल की खरीद न तो बंद करने को कहा है और न ही जारी रखने को कहा है। सरकार ने सरकारी तेल कंपनियों को अपने पहलू देखकर तेल खरीदने की स्वतंत्रता दी है।
उन्होंने यह भी कहा कि रूसी तेल की आपूर्ति रुकने से कोई ‘महत्वपूर्ण’ प्रभाव नहीं पड़ेगा। उनकी कंपनी ने जुलाई में प्रतिदिन सिर्फ 24,000 बैरल तेल का आयात किया, जो पिछले साल के मुकाबले दसवें हिस्से से भी कम है, लेकिन शिपिंग डेटा के अनुसार, रिलायंस इंडस्ट्रीज, नायरा एनर्जी और इंडियन ऑयल जैसी अन्य रिफाइनरियां रूसी तेल पर बहुत अधिक निर्भर हैं।