कौशल विकास की संसदीय समिति ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में कौशल विकास कार्यक्रमों को ‘कौशल की स्थानीय जरूरतों की मांग’ के अनुरूप ढालने पर विशेष तौर पर जोर दिया है। संसदीय समिति ने कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) को कौशल की मांग व आपूर्ति की अंतर रिपोर्ट ‘शीघ्र पूरा करने व प्रकाशित’ करने का निर्देश दिया है ताकि कार्यबल में कौशल के अंतर को पाटा जा सके, व्यक्तिगत कौशल विकास सुधरे और परिवर्तनों के साथ बदलाव को आसानी से अपनाया जा सके। इससे रोजगार क्षमता में वृद्धि हो सकेगी।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘समिति कौशल विकास कार्यक्रमों को क्षेत्र की मांग / स्थानीय कौशल आवश्यकताओं के अनुरूप बनाने को प्राथमिकता देती है। समिति ने मंत्रालय को रिपोर्ट शीघ्र पूरा करने और प्रकाशित करने का आग्रह किया है। इससे कौशल की मांग और जरूरत के अंतर को दूर किया जा सकेगा।’
बसवराज बोम्मई की अध्यक्षता वाली समिति ने बुधवार को संसद में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। समिति ने महत्वाकांक्षी कौशल विकास योजना प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) को लागू करने की पूर्ववर्ती चुनौतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि कौशल विकास कार्यक्रम आमतौर पर कौशल की वास्तविक क्षेत्रीय / स्थानीय मांग के अनुरूप अपने को ढाले नहीं पाने से राष्ट्रीय कौशल विकास कारपोरेशन और उद्योग में तारतम्यता स्थापित नहीं हो पाती है। इससे प्रशिक्षण और स्थानीय कौशल की जरूरतें एक-दूसरे के अनुरूप नहीं होती हैं।
समिति ने जोर देकर कहा, ‘समिति ने इच्छा जाहिर की कि मंत्रालय कौशल में अंतर का आकलन नियमित आधार पर करे और उद्योग व स्थानीय अर्थव्यवस्था की जरूरतों के अनुरूप पीएमकेवीवाई को समुचित ढंग से ढाला कर इन कार्यक्रमों को बेहतर बनाया जाए। इससे कौशल विकास का पारिस्थितिकीतंत्र बनेगा और व्यक्तिगत कौशल विकास और बदलाव के अनुरूप बेहतर ढंग से ढाला जा सकेगा।’
बहरहाल, कौशल मंत्रालय ने संसद की स्थायी समिति को सूचित किया कि कौशल अर्जन व ज्ञान जागरूरकता (संकल्प) योजना के तहत राष्ट्रीय एप्लाइड इकनॉमिक शोध परिषद (एनसीएईआर) के जरिए राष्ट्रीय स्तर पर कौशल अंतर का अध्ययन किया जा रहा है। इसके अलावा कौशल मंत्रालय सक्रिय रूप से राज्यों, केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों, क्षेत्रवार कौशल परिषदों आदि को पीएमकेवीवाई 4.0 के तहत कौशल की मांग व जरूरत के अंतर और लक्ष्य आवंटित करने के लिए सक्रिय रूप से कार्य कर रहा है।