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महामारी के बाद ग्रामीण महिलाओं की वेतन आकांक्षाओं में 25 फीसदी की कमी

वेतन आकांक्षा से मतलब सबसे कम वेतन दर से है, जिस पर एक कामगार खास तरह की नौकरी स्वीकार करने के लिए तैयार होगा।

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शिखा चतुर्वेदी   
Last Updated- June 23, 2024 | 10:37 PM IST

विश्व बैंक के एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि वैश्विक महामारी के बाद से ग्रामीण महिलाओं की वेतन संबंधी आकांक्षाओं में कमी आई है और शहरी इलाकों में उनके पलायन की इच्छा में भी कमी आई है।

‘द इन्फ्लुएंस ऑफ कोविड-19 ऑन यंग वीमंस लेबर मार्केट एस्पिरेशंस ऐंड एक्सपेक्टेशंस इन इंडिया’ शीर्षक वाले वर्किंग पेपर में लिखा गया है कि वैश्विक महामारी कोविड-19 के बाद ग्रामीण इलाकों की युवा महिलाओं की वेतन आकांक्षाओं में 25 फीसदी की भारी कमी आई है।

इसके अलावा, अध्ययन की लेखक एस अनुकृति, हेरेरा अल्मांजा और सोफी ऑकमैन ने पाया कि वैश्विक महामारी के हाद वेतन अपेक्षाओं पर पर प्रभाव में 13 फीसदी की गिरावट आई है। साथ में इन बदलावों से ग्रामीण युवा महिलाओं के बीच आकांक्षा अंतर में भी 90 फीसदी की कमी आई है।

यह शोध जून से लेकर 2022 के बीच हरियाणा में 3,180 महिला व्यावसायिक प्रशिक्षुओं पर किया गया है।

वेतन आकांक्षा से मतलब सबसे कम वेतन दर से है, जिस पर एक कामगार खास तरह की नौकरी स्वीकार करने के लिए तैयार होगा। वेतन अपेक्षा उस प्रत्याशित वेतन को दर्शाती है जब कोई कामगार मानता है कि उसे आर्थिक स्थितियों के आधार पर श्रम बाजार से कितना वेतन मिलेगा। वेतन आकांक्षा अंतर को वेतन की आकांक्षा और वेतन की अपेक्षा के बीच अंतर से परिभाषित किया जाता है।

शोध में आकांक्षा अंतर में कमी के प्रभावों का अध्ययन किया गया। इसमें पाया गया कि वैश्विक महामारी ने अनिश्चितता, नौकरी छूटने का भय के कारण, कोविड-19 की किसी अन्य लहर के कारण सामाजिक सुरक्षा में कमी से ग्रामीण महिलाओं में काम के सिलसिले में शहरों में पलायन करने की इच्छा भी 65 फीसदी तक कम कर दिया है।

अध्ययन में कहा गया है कि आकांक्षा अंतर पर वैश्विक महामारी का नकारात्मक प्रभाव शोध में शामिल उन लोगों की हिस्सेदारी में गिरावट के कारण है जिनकी वेतन आकांक्षाएं अवास्तविक तरीके से अधिक हैं।

अध्ययन में निष्कर्ष निकाला गया है, ‘इसके बजाय वैश्विक महामारी ने गांवों की युवा महिलाओं की आकांक्षाओं को और ज्यादा यथार्थवादी बना दिया है। पलायन के प्रति उनकी इच्छा कम होने से उनकी अपेक्षित आय में भी कमी आने की आशंका है, यह जानते हुए कि शहरी इलाकों में पलायन कई ग्रामीण परिवारों के लिए अधिक आय का एक महत्त्वपूर्ण मार्ग है।’

नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनैंस ऐंड पॉलिसी में प्रोफेसर लेखा चक्रवर्ती ने अध्ययन पर कहा कि कम वेतन पर नौकरी करने वाली महिलाओं को कम आकांक्षी नहीं समझा जा सकता है।

First Published : June 23, 2024 | 10:37 PM IST