RBI PSL Rules 2025: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने प्राथमिक क्षेत्र ऋण (Priority Sector Lending -PSL) के नियमों में बड़े बदलाव की घोषणा की है। नए नियम 1 अप्रैल 2025 से लागू होंगे। ये गाइडलाइंस मौजूदा प्रावधानों की व्यापक समीक्षा और संबंधित हितधारकों से प्राप्त फीडबैक को ध्यान में रखते हुए तैयार किए गए हैं। SBI रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, ये बदलाव MSME, कृषि, रिन्यूएबल एनर्जी, किफायती आवास और कमजोर वर्गों जैसे क्षेत्रों में ऋण प्रवाह (Credit Flow) को बढ़ावा देंगे और समावेशी एवं सतत विकास के लक्ष्यों के अनुरूप हैं।
RBI ने 24 मार्च 2025 को प्राथमिक क्षेत्र ऋण (Priority Sector Lending – PSL) से संबंधित संशोधित गाइडलाइंस जारी किए हैं। नए गाइडलाइंस 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी होंगे और इनमें निम्नलिखित प्रमुख बदलाव शामिल हैं:
1 प्राथमिक क्षेत्र ऋण (PSL) कवरेज को बढ़ाने के उद्देश्य से, हाउसिंग लोन सहित कई लोन सीमाओं में वृद्धि।
2 ‘रिन्यूएबल’ श्रेणी के तहत लोन को वर्गीकृत किए जाने के आधारों का विस्तार।
3 शहरी सहकारी बैंकों (UCBs) के लिए कुल PSL लक्ष्य को संशोधित कर उनके समायोजित शुद्ध बैंक क्रेडिट (ANBC) या ऑफ-बैलेंस शीट एक्सपोज़र (CEOBSE) के क्रेडिट समतुल्य — जो भी अधिक हो — का 60% किया गया है।
4 ‘कमजोर वर्गों’ की श्रेणी के तहत पात्र उधारकर्ताओं की सूची का विस्तार, साथ ही UCBs द्वारा व्यक्तिगत महिला लाभार्थियों को दिए जाने वाले ऋण की अधिकतम सीमा को हटा दिया गया है।
संशोधित गाइडलाइंस के बढ़े हुए दायरे से अर्थव्यवस्था के प्राथमिक क्षेत्रों में बैंक लोन के बेहतर लक्षित वितरण की संभावना है।
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RBI ने संशोधित गाइडलाइंस में हाउसिंग लोन की सीमा और अधिकतम मकान लागत को काफी हद तक बढ़ा दिया है। पहले जहां दो श्रेणियां होती थीं, अब RBI ने प्राथमिक क्षेत्र ऋण (PSL) के तहत हाउसिंग लोन के लिए तीन श्रेणियां तय की हैं।
यह कदम विभिन्न आय वर्गों, विशेषकर टियर-IV/V/VI शहरों में कम लागत/किफायती आवास को बढ़ावा देगा, जहां महामारी के बाद खुद के मकान की बढ़ती मांग को देखते हुए बैंक और गैर-बैंकिंग संस्थाएं अपनी अगली बड़ी संभावनाएं तलाश सकती हैं।
RBI ने अब पुराने या टूटे-फूटे मकानों की मरम्मत के लिए मिलने वाले लोन की सीमा बढ़ा दी है। यह कदम बैंकों और दूसरी वित्तीय संस्थाओं के लिए एक सुरक्षित और विशिष्ट क्षेत्र में ऋण वितरण के नए अवसर खोलता है। साथ ही, यह उन मकान मालिकों की वित्तीय परेशानी को भी कम करता है जो अपने मकानों की जरूरी मरम्मत के लिए नकद (liquidity) की तलाश में होते हैं। इससे ऋण वितरण के लिए एक बड़ा बाजार खुलने की संभावना बनती है।
रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट के लिए ऋण सीमा को ₹30 करोड़ से बढ़ाकर ₹35 करोड़ किया गया है। व्यक्तिगत घरों के लिए लोन सीमा पहले की तरह ₹10 लाख ही बनी रहेगी। यह कदम भारत के 2030 तक 500 GW नॉन-फॉसिल फ्यूल और 2070 तक नेट जीरो टारगेट को पूरा करने में मदद करेगा।
बता दें कि RBI ने 1 जुलाई 2015 को प्राथमिक क्षेत्र ऋण (PSL) के दायरे का विस्तार करते हुए उन उधारकर्ताओं को ₹15 करोड़ तक का लोन देने की अनुमति दी थी जो सोलर पावर जनरेटर, बायोमास आधारित जनरेटर, माइक्रो-हाइडल प्लांट्स और नॉन-कन्वेन्शनल एनर्जी (NCE) आधारित पब्लिक यूटिलिटीज़ जैसे स्ट्रीट लाइटिंग और दूरदराज़ गांवों के विद्युतीकरण जैसे कार्यों से जुड़े हों। बाद में, 4 सितंबर 2020 को यह सीमा बढ़ाकर प्रति उधारकर्ता ₹30 करोड़ कर दी गई थी (पांच साल में यह सीमा दोगुनी की गई थी)।
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RBI द्वारा प्राथमिक क्षेत्र ऋण (PSL) गाइडलाइंस में किए गए बदलावों के तहत कारीगरों और महिला लाभार्थियों के लिए ऋण सीमा को ₹1 लाख से बढ़ाकर ₹2 लाख कर दिया गया है। इसके अलावा, अब ट्रांसजेंडर और संयुक्त दायित्व समूह (JLG) के सदस्यों को भी PSL की पात्रता में शामिल कर लिया गया है। कृषि क्षेत्र में भी बड़ी राहत दी गई है—वेयरहाउस रिसीट्स के विरुद्ध ऋण सीमा को बढ़ाकर ₹4 करोड़ कर दिया गया है, जबकि किसान उत्पादक संगठनों (FPOs/FPCs) के लिए ऋण सीमा ₹5 करोड़ से बढ़ाकर ₹10 करोड़ कर दी गई है। साथ ही, शहरी सहकारी बैंकों (UCBs) को बड़ी राहत देते हुए उनके लिए PSL लक्ष्य को 75% से घटाकर 60% कर दिया गया है, ताकि उनकी परिचालन संबंधी चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए लक्ष्य प्राप्ति को व्यवहारिक बनाया जा सके।