जहां तक नजर जाए शामियानों का शहर दिख रहा है, श्रद्धालुओं की फौज चमचमाती भगवा बसों से उतर रही है, चप्पे चप्पे पर पुलिस की आंखें हैं, ड्रोन उड़ रहे हैं, एआई कैमरे हर किसी को अपनी नजरों में कैद कर रहे हैं… यह किसी बॉलीवुड फिल्म का दृश्य नहीं है। यह संगम किनारे प्रयागराज है, जो महाकुंभ के लिए तैयार हो रहा है।
12 साल बाद होने वाला यह महाकुंभ हिंदी फिल्मों के उस मेले की तरह नहीं है, जहां भाई बिछड़ जाते हैं या भगदड़ मच जाती है। बेशक कुंभ में भी कभी भगदड़ मची है या सफाई न होने से बीमारियां फैली हैं। मगर पूरी दुनिया में आस्था के इस सबसे बड़े जुटान में ऐसी कोई भी अनहोनी रोकने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार पूरी शिद्दत से जुटी है।
इस बार महाकुंभ 13 जनवरी को शुरू होगा और इसका समापन 26 फरवरी को होगा। इसकी सफलता ब्रांड यूपी के लिए भी अहम है और राज्य को 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की कोशिशों को भी इससे बहुत बल मिलेगा। इस मेले से प्रदेश के महिला स्वंय सहायता समूहों को आर्थिक लाभ मिलेगा और अनुसूचित जाति (एससी) तथा अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) को साथ लेने का संकेत भी जाएगा। दोनों ही बातें प्रदेश में 2027 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की लगातार तीसरी सरकार बनाने की योगी आदित्यनाथ की उम्मीदों के लिए बहुत अहमियत रखती हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार का अनुमान है कि महाकुंभ में इस बार लगभग 40 करोड़ श्रद्धालु पहुंचेंगे और उनके लिए की जा रही तैयारी की झांकी दिखाने के लिए सरकार विदेशों तथा राज्यों की राजधानियों में रोड शो कर रही है। रोड शो में आदित्यनाथ सरकार द्वारा प्रदेश के बुनियादी ढांचे में किया जा रहा विकास दिखाया जा रहा है मसलन देश का सबसे बड़ा एक्सप्रेसवे नेटवर्क और काशी विश्वनाथ धाम गलियारे एवं अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के साथ सांस्कृतिक पुनरुत्थान का सरकार का संकल्प।
महाकुंभ के सफल आयोजन से देश-विदेश में आदित्यनाथ की कुशल प्रशासक की छवि और भी पुख्ता हो जाएगी। 2013 के आरंभ में हुए पिछले सफल महाकुंभ से पिछले मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को काफी सराहना मिली थी और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल ने उन्हें उसी साल अपने यहां व्याख्यान देने को बुलाया था। यह बात अलग है कि उस बार महाकुंभ अप्रिय घटनाओं के बगैर संपन्न नहीं हो पाया। 10 फरवरी, 2013 को मौनी अमावस्या पर संगम में डुबकी लगाने के लिए एक साथ करीब 3 करोड़ श्रद्धालु पहुंच गए, जिन्हें संभालने के लिए रेलवे स्टेशन पर लाठीचार्ज करना पड़ा। इससे वहां भगदड़ मच गई, जिसमें 36 की मौत हो गई और 39 लोग घायल हो गए। उससे पहले तक समाजवादी पार्टी (सपा) सरकार महाकुंभ को एकदम अच्छी तरह से संभाल रही थी।
धार्मिक आयोजनों में अनहोनी कोई नई बात नहीं है। उत्तर प्रदेश के पहले तथा सबसे लंबे समय तक पद पर रहने वाले मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत के समय में 3 फरवरी, 1954 को मौनी अमावस्या पर भी भगदड़ मची थी। उस भगदड़ में 800 से 1,000 श्रद्धालुओं को जान गंवानी पड़ी थी। 1986 के महाकुंभ में भी भगदड़ हुई थी।
बहरहाल भाजपा को महाकुंभ निर्विघ्न संपन्न होने का भरोसा है और केंद्र सरकार में राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल प्रयागराज में 2019 के अर्द्ध कुंभ को इस भरोसे की वजह बताते हैं। उन्होंने कहा, ‘उस समय मैं उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री था। मुख्यमंत्री (आदित्यनाथ) के नेतृत्व में हमने कुंभ के दौरान दो कैबिनेट बैठक कीं। कुंभ में एक भी दुर्घटना या अप्रिय घटना नहीं हुई थी। एक तरह से यह महाकुंभ का सेमीफाइनल था, जिसमें उत्तर प्रदेश प्रशासन कामयाब रहा।’
2024 के लोक सभा चुनावों में उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में से भाजपा 33 ही जीत पाई थी और उसके सहयोगी दलों ने तीन सीट जीती थीं। भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का 2014 से अभी तक प्रदेश में यह सबसे खराब प्रदर्शन था। प्रदर्शन इतना खराब था कि राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के कुछ महीने बाद ही वह अयोध्या की सीट तक सपा से हार गई। राज्य के ओबीसी और दलितों का भाजपा से मोहभंग इसका कारण बताया गया, जो उत्तर प्रदेश की आबादी में 73 फीसदी हिस्सेदारी रखते हैं। इसीलिए पिछले कुछ महीनों में आदित्यनाथ सरकार ओबीसी और एससी के साथ अपना जुड़ाव मजबूत करने की कोशिश में है।
इसमें बड़ी सफलता उसे तब मिली, जब नवंबर में 9 विधानसभा सीटों के उपचुनाव में राजग ने सात सीट जीत लीं, जिनमें प्रयागराज की पड़ोसी फूलपुर सीट भी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी शुक्रवार को श्रृंगवेरपुर धाम का उद्घाटन किया, जो निषादराज को समर्पित है। इसे पिछड़े वर्गों से जुड़ने की भाजपा की कोशिश का ही हिस्सा माना जा रहा है क्योंकि निषादराज गुह वही नाविक थे, जिन्होंने वनवास जाते भगवान राम, सीता और लक्ष्मण को गंगा पार कराई थी।
प्रयागराज से 40 किलोमीटर दूर बना यह पार्क आठ हेक्टेयर में फैला है, जिसमें राम और निषादराज की 51 फुट ऊंची प्रतिमा लगी है। निषाद ओबीसी में आते हैं और उत्तर प्रदेश की आबादी में 4.33 फीसदी हिस्सेदारी के साथ चुनाव में काफी अहम हो जाते हैं।
प्रयागराज में महाकुंभ से जुड़ी 5,500 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन करने के बाद जनसभा में मोदी ने इस मेले के सामाजिक संदेश पर जोर देते हुए इसे ‘एकता का महायज्ञ’ बताया, जहां जाति-पाति का बंधन तोड़कर एक साथ लाखों लोग संगम में डुबकी लगाते हैं।
प्रधानमंत्री ने मेले के दौरान सफाई सुनिश्चित करने में 15,00 सफाई कर्मचारियों की भूमिका की भी सराहना की। उन्होंने याद किया कि 2019 अर्द्ध कुंभ के दौरान उन्होंने सफाई कर्मचारियों को कर्मयोगी कहा था और पांच कर्मयोगियों के पैर धोकर मेले में उनकी सेवाओं के लिए आभार प्रकट किया था।
(साथ में लखनऊ से वीरेंद्र सिंह रावत)