प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को तिरुवनंतपुरम में विझिंजम अंतरराष्ट्रीय समुद्री बंदरगाह का औपचारिक संचालन शुरू किया। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने ऐलान किया कि शीघ्र ही इसकी क्षमता को कई गुना बढ़ाया जाएगा। यह बंदरगाह न केवल देश का पहला ट्रांसशिपमेंट हब है बल्कि गहरे पानी वाला पहला कंटेनर टर्मिनल भी है। इसकी क्षमता 2028 तक सालाना 50 लाख टीईयू हो जाएगी। टीईयू शिपिंग कंटेनर होता है, जो भीतर से लगभग 20 फुट लंबा, 8 फुट चौड़ा और 8 फुट ऊंचा होता है।
लगभग 8,867 करोड़ रुपये के निवेश से तैयार हो रहे बंदरगाह की क्षमता पहले चरण में 10 लाख टीईयू सालाना होगी। इस निवेश में केरल सरकार ने सड़क संपर्क और रेल ढांचे के लिए 5,595 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। परियोजना में अदाणी समूह ने 2,454 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। बचे हुए खर्च की भरपाई के लिए केंद्र ने 800 करोड़ रुपये से अधिक दिए हैं।
यह बंदरगाह राष्ट्र को समर्पित करते हुए मोदी ने कहा, ‘आने वाले दिनों में बंदरगाह की क्षमता में भी कई गुना वृद्धि होने जा रही है। दुनिया के बड़े जहाज यहां आ सकेंगे। अब तक भारत का लगभग 75 प्रतिशत ट्रांसशिपमेंट देश के बाहर हो रहा था। इससे हमें बहुत राजस्व का नुकसान हो रहा था। पहले जो पैसा बाहर जा रहा था, इस बंदरगाह के शुरू होने से वह अब देश, केरल और विझिंजम के लिए एक नई अर्थव्यवस्था बनाएगा।’
इस समय देश के ट्रांसशिपमेंट कार्गो कोलंबो, सिंगापुर, सलालाह (ओमान), जेबेल अली (यूएई), तंजुंग पेलपास और पोर्ट क्लैंग (दोनों मलेशिया में) जैसे बंदरगाहों द्वारा संभाले जाते हैं। विझिंजम ट्रांसशिपमेंट हब के पूरी तरह से चालू हो जाने के बाद सभी ट्रांसशिपमेंट कार्गो यहीं से संचालित होंगे। स्वागत भाषण के दौरान राज्य के बंदरगाह मंत्री वीएन वासवन ने अदाणी समूह के प्रमुख गौतम अदाणी को ‘सहयोगी’ बताया। इस पर मोदी ने कहा, ‘एक कम्युनिस्ट मंत्री अदाणी जैसे व्यवसायी को सहयोगी कह रहा है। यही बदलते भारत का चेहरा है।’
बंदरगाह की डेवलपर और संचालक अदाणी विझिंजम पोर्ट प्राइवेट लिमिटेड (एवीपीपीएल) ने यहां 3,000 मीटर लंबी ब्रेकवाटर और 800 मीटर कंटेनर बर्थिंग सुविधा का निर्माण किया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में भारतीय बंदरगाहों में संचालन प्रक्रिया के समय में लगभग 30 प्रतिशत की कमी आई है। इससे दक्षता में सुधार हुआ है। उन्होंने कहा, ‘आज दो भारतीय बंदरगाह दुनिया के शीर्ष 30 बंदरगाहों में शामिल हैं। हम वैश्विक जहाज निर्माण में शीर्ष 20 देशों में गिने जाते हैं और लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स में भी हमारा प्रदर्शन बहुत अच्छा है। बुनियादी ढांचे में सुधार के साथ अब हम वैश्विक व्यापार में अपनी स्थिति को लगातार मजबूत कर रहे हैं।’
मोदी ने कहा, ‘जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान हमने भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप गलियारे की योजना बनाई थी। इसमें केरल की बहुत बड़ी भूमिका है। भारत के नौवहन में निजी क्षेत्र की बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। पिछले 10 वर्षों के दौरान निजी सार्वजनिक भागीदारी वाली हमारी कई परियोजनाओं के कारण इस क्षेत्र में हजारों करोड़ रुपये का निवेश हुआ है।’
विझिंजम अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह अंतरराष्ट्रीय जहाजरानी मार्ग से बमुश्किल 11 नॉटिकल मील दूर है। देश के लगभग 30 प्रतिशत माल की आवाजाही इसी अंतरराष्ट्रीय मार्ग से होती है। भारत का गहरे पानी का पहला अंतरराष्ट्रीय ट्रांसशिपमेंट पोर्ट दुनिया के सबसे बड़े कंटेनर जहाज संभाल सकता है।
इस मौके पर केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा, ‘निविदा के अनुसार परियोजना को 2045 तक पूरा किया जा सकता है। हमने इसके लिए इंतजार नहीं किया और 2024 तक व्यावसायिक कामकाज शुरू कर दिया। अब तक 250 से अधिक जहाज यहां आ चुके हैं। हम 2028 तक इस परियोजना को पूरा करने की योजना पर काम कर रहे हैं। देश में पहली बार एक राज्य बंदरगाह में भारी-भरकम योगदान कर रहा है।’