भारत को विभिन्न प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा स्तर पर शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए सालाना एक अरब डॉलर और 20 साल तक 20 अरब डॉलर का निवेश करके अनुसंधान और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना चाहिए। यह कहना है इन्फोसिस के संस्थापक और चेयरमैन एमेरिटस एनआर नारायण मूर्ति का।
मूर्ति ने बुधवार को बेंगलूरु में इन्फोसिस प्राइज 2023 कार्यक्रम में में कहा ‘भारत को हर उस क्षेत्र में चरण-4 (नवाचार के) की ओर बढ़ने की आकांक्षा रखनी चाहिए, जो देश के सुदूरवर्ती हिस्से में हमारे सबसे गरीब नागरिकों के जीवन को प्रभावित करता है।
अच्छे विचार उत्पन्न करने के लिए उच्च शिक्षा के हमारे संस्थानों में अनुसंधान और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना और उन विचारों के तीव्र और उच्च गुणवत्ता वाले कार्यान्वयन पर ध्यान केंद्रित करना इस आकांक्षा का समाधान है।’
उन्होंने कहा कि चरण-3 और चरण-4 में सफलता के लिए हमारी महत्वाकांक्षा के लिए स्वतंत्र, आलोचनात्मक और विश्लेषणात्मक सोच अपनाने के लिए, सुकरात की प्रश्नोत्तरी और अपने आसपास की असली दुनिया को समझने के लिए संबंधित सिद्धांत पर ध्यान केंद्रित करना, प्रकृति के रहस्यों को सुलझाने और अपनी असली दुनिया की समस्याओं को हल करने के लिए हमारे प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शैक्षणिक संस्थानों की गुणवत्ता में सुधार की जरूरत है।
मूर्ति ने कहा कि हालांकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) ने इस सफर को शुरू कर दिया है, लेकिन 28 राज्यों और आठ केंद्र शासित प्रदेशों में 2,500 ‘ट्रेन द टीचर’ कॉलेज बनाने के लिए विकसित दुनिया और भारत से एसटीईएम क्षेत्रों (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) में 10,000 अत्यधिक निपुण सेवानिवृत्त शिक्षकों को आमंत्रित करके परिणाम को तेज किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि यह ट्रेनिंग कार्यक्रम साल भर का होना चाहिए। विशेषज्ञों ने उन्हें सूचित किया है कि चार प्रशिक्षकों का प्रत्येक समूह एक वर्ष में प्राथमिक विद्यालय के 100 शिक्षकों और इतने ही माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों को प्रशिक्षित कर सकता है।
मूर्ति ने कहा कि हम इस पद्धति से हर साल प्राथमिक विद्यालय के 2,50,000 शिक्षकों और माध्यमिक विद्यालय के 2,50,000 शिक्षकों को प्रशिक्षित कर सकेंगे।